केजरीवाल बोले- हमारी पार्टी 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव लड़ेगी – BBC हिंदी

Copyright: Getty Images

हज़ारों आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली की सीमाओं और देश भर में धरने के साथ भूख हड़ताल की. किसानों की माँग है कि मोदी सरकार तीन नए कृषि क़ानूनों को रद्द करे. किसानों का कहना है कि इन क़ानूनों से उनकी आजीविका चौपट हो जाएगी और कॉर्पोरेट को बढ़ावा मिलेगा.

दूसरी तरफ़ केंद्र सरकार इस आंदोलन को ख़त्म करने के लक्ष्य से किसान नेताओं से व्यक्तिगत मुलाक़ात करने की कोशिश कर रही है.

इस बीच किसान नेताओं के मतभेद भी उभरकर सामने आए हैं. ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्यव समिति के राष्ट्रीय संयोजक वीएम सिंह को पद से हटा दिया क्योंकि उन्होंने सरकार से अलग से बात करने की इच्छा ज़ाहिर की थी.

उनका कहना था कि मांग एमएसपी के लिए नियम बनाने पर केंद्रित होनी चाहिए न कि क़ानून रद्द करने पर. इसी तरह पंजाब के किसान यूनियनों ने ख़ुद को भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के मानवाधिकार संबंधी विरोध-प्रदर्शनों से अलग कर लिया. भारतीय किसान यूनियन (उगहारां) भी सोमवार की भूख हड़ताल में शामिल नहीं हुआ.

किसान यूनियनों के बीच यह विभाजन दिल्ली की सीमाओं पर जारी विरोध प्रदर्शन के 19वें दिन हुआ. किसान और सरकार के बीच पाँचवें चरण की वार्ता के बाद से ही बातचीत बंद है. किसानों का कहना है कि सरकार तीनों क़ानून रद्द करेगी तभी कोई समाधान निकलेगा जबकि सरकार का कहना है कि संशोधन करने को तैयार है लेकिन क़ानून वापस नहीं लिए जाएंगे.

Copyright: Getty Images

किसानों की भूख हड़ताल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हुए. हरियाणा राजस्थान सीमा पर रेवाड़ी के नज़दीक सैकड़ों किसान बैठे हुए हैं और दिल्ली-जयपुर हाइवे पर गाड़ियों की आवाजाही बंद है.

वीएम सिंह ने का कहना है कि वो क़ानून रद्द करने की माँग से ख़ुद को अलग करते हैं. वीएम सिंह ने द हिन्दू अख़बार से कहा, ”अगर एमएसपी गारंटी क़ानून पास हो जाता है तो ये तीनों क़ानून ख़ुद से ही निष्प्रभावी हो जाएंगे. हमेशा से हमारी असली माँग यही रही है. दूसरे संगठन अपनी गोलपोस्ट लगातार बदल रहे हैं. अगर सरकार हमें बातचीत के लिए बुलाती है तो मैं यूपी के किसानों की तरफ़ से बातचीत करने के लिए तैयार हूं.”

वीएम सिंह उत्तर प्रदेश में धान और गन्ने के किसानों के लिए एक संगठन चलाते हैं.

वीएम सिंह का कहना है कि तीनों क़ानूनों को रद्द करने से देश के किसानों के बीच यथास्थिति मज़बूत होगी. एमएसपी गारंटी क़ानून से किसानों की आय बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि वो गतिरोध का समर्थन नहीं कर सकते.

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति देश भर के 250 से ज़्यादा किसान समूहों का संगठन है जो इस किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है. वीएम सिंह के बयान को लेकर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) की वर्किंग कमिटी की रविवार रात सिंघु बॉर्डर पर बैठक हुई और वीएम सिंह के बयान से किनारा करने का फ़ैसला किया गया.

Copyright: Getty Images

इस बैठक के बाद हनन मुल्ला, जो कि वाम नेता हैं और AIKSCC की वर्किंग कमिटी का हिस्सा हैं, ने कहा कि इस आंदोलन का पहला लक्ष्य है कि सरकार क़ानून रद्द करे क्योंकि इससे भारत की खेती-किसानी बर्बाद हो जाएगी. उन्होंने कहा कि दूसरी माँग एमएसपी गारंटी क़ानून है. मुल्ला ने कहा कि आंदोलन का एक लक्ष्य यह भी है. उन्होंने कहा, ”सरकार हमारे बीच विभाजन करवाना चाहती है. वीएम सिंह आंदोलन की भावना से अलग बोलने लगे थे, इसलिए उन्हें हटा दिया गया है.”

बीकेयू का विरोध-प्रदर्शन

पंजाब के सभी किसान समूहों के बीच भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) राज्य का सबसे बड़ा किसान यूनियन है. इसे लेकर भी रविवार को किसान यूनियनों के बीच विभाजन दिखा. 10 दिसबंर को मानवाधिकार दिवस था और बीकेयू उगराहां के कार्यकर्ता सिंघु बॉर्डर पर जेल में बंद एक्टिविस्टों की रिहाई के लिए एक प्रदर्शन में शामिल हुआ.

इसके बाद केंद्र के मंत्रियों ने कहना शुरू कर दिया था कि ये सबूत हैं कि इस आंदोलन को माओवादी और वामपंथी धड़ों ने हाईजैक कर लिया है. इसके बाद दूसरे किसान संगठनों ने बीकेयू उगराहां के प्रदर्शन से ख़ुद को अलग कर लिया.

भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने कहा कि ऐसी माँगों को कभी और रखने की ज़रूरत है और अभी पूरी तरह से कृषि क़ानूनों को रद्द करने पर आंदोलन केंद्रित रखना चाहिए. उन्होंने कहा, ”अगर किसी को ग़लत तरीक़े से जेल में डाला गया है तो हम उसका विरोध करते हैं लेकिन यह मंच ऐसे विरोध-प्रदर्शनों के लिए नहीं है. हम अपनी माँगों पर केंद्रित रहना चाहते हैं.”

इसके जवाब में बीकेयू (उगराहां) के नेता भी सोमवार को किसानों की भूख हड़ताल में शामिल नहीं हुए. हालांकि इस संगठन के सदस्य पंजाब के अलग-अलग इलाक़ों में कृष क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं.

बीकेयू (उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह ने कहा, ”हमलोग भूख हड़ताल में शामिल नहीं हुए क्योंकि हमें किसी भी फ़ैसले में शामिल नहीं किया जा रहा है.”

Copyright: Getty Images

Related posts