न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 14 Dec 2020 11:26 AM IST
पढ़ें अमर उजाला ई-पेपर
कहीं भी, कभी भी।
*Yearly subscription for just ₹299 Limited Period Offer. HURRY UP!
ख़बर सुनें
इसलिए तमिलनाडु को कम आबादी होने के बावजूद बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान की तुलना में वैक्सीन की अधिक खुराक प्राप्त हो सकती है। बिहार की अनुमानित 12.3 करोड़ जनसंख्या तमिलनाडु के 7.6 करोड़ से लगभग 60 प्रतिशत बड़ी है। बिहार में केवल 1.8 करोड़ लोग ही 50 साल और उससे अधिक उम्र के हैं जबकि तमिलनाडु में यह संख्या दो करोड़ है।
बिहार जैसे युवा आबादी वाले राज्यों में अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों का अनुपात कम है। दूसरी ओर, केरल में लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या- लगभग एक करोड़ लोग 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं और उनके मधुमेह और उच्च रक्तचाप से पीड़ित होने की आशंका है। इसी कारण राज्य के ज्यादातर नागरिक प्राथमिकता श्रेणी में आते हैं।
यह भी पढ़ें- कोरोना वायरस से दो साल तक सुरक्षा देगी रूस की यह वैक्सीन, टीका बनाने वाले वैज्ञानिक का दावा
सरकार 50 से अधिक आयु वर्ग में लगभग 19.5 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण करने की तैयारी कर रही है। इसका मतलब है कि लगभग 50 साल की आयु वर्ग में एक करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारियों और चार करोड़ मधुमेह रोगियों के अलावा लगभग 26.5 करोड़ लोग होंगे। इसलिए, कोविड वैक्सीन के वितरण में बूढ़ी आबादी वाले राज्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
हालांकि, उत्तर प्रदेश जहां केवल 15 प्रतिशत लोग 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं, उसे वैक्सीन का सबसे बड़ा शेयर दिया जाएगा क्योंकि राज्य की जनसंख्या ज्यादा है। इसके बाद महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु का नंबर आता है, जहां 50 से अधिक आयु के लोगों की संख्या ज्यादा है। हालांकि जिस राज्य की सबसे ज्यादा आबादी को टीकाकरण की आवश्यकता है उसमें केरल का पहला स्थान है।