सीरम इंस्टिट्यूट नहीं, फाइजर लाएगी भारत में पहली कोरोना वैक्‍सीन? जानें क्‍या होता है इमर्जेंसी अप्रूवल – नवभारत टाइम्स

भारत में उपलब्‍ध होने वाली कोरोना वायरस की पहली वैक्‍सीन फाइजर की हो सकती है। फाइजर इंडिया (Pfizer India) ने अपनी वैक्‍सीन के इमर्जेंसी यूज अथॅराइजेशन के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के सामने अप्‍लाई किया है। भारत में ऐसा करने वाली यह पहली कंपनी है। इसकी पेरेंट कंपनी को यूनाइटेड किंगडम और बहरीन में ऐसा अप्रूवल मिल चुका है। अगर DCGI से फाइजर इंडिया को मंजूरी मिल जाती है तो भारत में उपलब्‍ध होने वाला पहला टीका उसका हो सकता है। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने भी DCGI से अपनी वैक्‍सीन के लिए ऐसी ही अनुमतियां मांगी हैं। कंपनी भारत में ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका की वैक्‍सीन Covishield के लिए मंजूरी चाहती है।

क्‍या होता है वैक्‍सीन का इमर्जेंसी अप्रूवल?



इमर्जेंसी यूज अथॅराइजेशन यानी EUA वैक्‍सीन और दवाओं, यहां तक कि डायग्‍नोस्टिक टेस्‍ट्स और मेडिकल डिवाइसेज के लिए भी लिया जाता है। भारत में इसके लिए सेंट्रल ड्रग्‍स स्‍टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) रेगुलेटरी बॉडी है। वैक्‍सीन और दवाओं के लिए ऐसा अप्रूवल उनकी सेफ्टी और असर के आंकलन के बाद दिया जाता है। इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल्‍स के डेटा को आधार बनाया जाता है। आमतौर पर वैक्‍सीन को अप्रूवल होने में कई साल लगते हैं। अबतक का सबसे कम अप्रूवल टाइम साढ़े चार साल था। आपातकालीन स्थितियों में, जैसी अभी है, दुनिया भर के देशों में ऐसी व्‍यवस्‍था है कि दवाओं और टीकों को अंतरिम मंजूरी दी जा सके अगर उनके असर के पर्याप्‍त सबूत हैं तो। फाइनल अप्रूवल पूरे डेटा के एनालिसिस के बाद ही मिलता है।

भारत में नहीं हुआ है इस वैक्‍सीन का टेस्‍ट



फाइजर इंडिया ने 4 दिसंबर को आवेदन किया है। यह वैक्‍सीन जर्मन फार्मा कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर बनाई गई है। यह mRNA जैसी ऐडवांस्‍ड तकनीक पर आधारित है। वैक्‍सीन का कोडनेम BNT162b2 है। इस वैक्‍सीन का एफेकसी डेटा दिखाता है कि यह 95% तक असरदार है, मगर भारत में इसका ट्रायल नहीं हुआ है। भारत में इस वैक्‍सीन के इस्‍तेमाल के लिए कंपनी को वही डेटा देना होगा जो उसने यूके रेगुलेटर के सामने रखा है।

भारत के लिए कितनी मुफीद है यह वैक्‍सीन?



फाइजर की वैक्‍सीन के साथ सबसे बड़ी समस्‍या कोल्‍ड स्‍टोरेज की है। इसे -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्‍टोर करना पड़ता है। भारत जैसे देश में इतने कम तापमान पर वैक्‍सीन स्‍टोरेज का इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर नहीं है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि महामारी के दौर में कपंनी केवल सरकारी ठेकों के जरिए ही वैक्‍सीन सप्‍लाई करेगी। वैक्‍सीन के दाम भी अमेरिका में 40 डॉलर से ज्‍यादा हैं, ऐसे में भारत में इसकी कीमत और ज्‍यादा रह सकती है।

फाइजर के सीईओ ने कहा, ट्रांसमिशन रोकने के बारे में पता नहीं



फाइजर की वैक्‍सीन को दो देशों में इस्‍तेमाल की मंजूरी के बीच, कंपनी के सीईओ डॉ अल्‍बर्ट बूर्ला का बड़ा बयान सामने आया है। उन्‍होंने कहा कि अभी यह साफ नहीं है कि उनकी वैक्‍सीन जिन लोगों को लगेगी, वे आगे संक्रमण फैलाएंगे या नहीं। उन्‍होंने एनबीसी से बातचीत में कहा कि इसपर और जांच की जरूरत है, अभी उन्‍हें जितना पता है, उसके आधार पर वे कुछ भी कन्‍फर्म नहीं कह सकते।

भारत में इन वैक्‍सीन का चल रहा क्लिनिकल ट्रायल



सीरम इंस्टिट्यूट के अलावा देश में कई अन्‍य वैक्‍सीन का भी क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ रिसर्च (ICMR) की Covaxin फेज 3 ट्रायल्‍स से गुजर रही है। इसके अलावा जायडस कैडिला की वैक्‍सीन ZyCov-D भी फेज 2/3 ट्रायल में है। रूस में बनी कोविड वैक्‍सीन Sputnik V का ट्रायल भी देश में चल रहा है।

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