सियासी उठापटक के संकेत: शाह-प्रधान ने एक घंटे की थी बागियों से मुलाकात, कहा था- राजस्थान में गिरा देंगे सरक… – Dainik Bhaskar

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जयपुर2 घंटे पहले

सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोनाकाल में भी राजस्थान की सरकार गिराने की कोशिश हो रही है। -फाइल फोटो।

  • सीएम; इलेक्टोरल बॉन्ड, पीएम केयर फंड और नोटबंदी में छिपे हैं घोटालों के राज
  • सीएम के बयान पर भाजपा का पलटवार : गहलोत से कांग्रेसी ही नाराज

राजस्थान में पायलट खेमे की बगावत के 5 माह बाद फिर सियासी तूफान आ गया है। शनिवार को सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान में सरकार गिराने का खेल फिर शुरू हो गया है। इसके लिए भाजपा नेता सक्रिय हो गए हैं। यही नहीं महाराष्ट्र में भी सरकार गिराने की चर्चाएं हैं।

गहलोत ने ये आरोप शनिवार को सिरोही के शिवगंज कांग्रेस कार्यालय भवन का वर्चुअल उद्घाटन करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में लगाए। इस दौरान प्रदेश प्रभारी अजय माकन सहित कई कांग्रेस नेता वीसी से जुड़े थे।

गहलोत ने भाजपा के साथ सचिन पायलट व उनके समर्थक विधायकों को भी निशाने पर लिया। उन्होंने सीधे तौर पर किसी बागी का नाम नहीं लिया, लेकिन कहा कि बागियों से मिलकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान ने सरकार गिराने की पूरी पटकथा लिख दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड, पीएम केयर फंड और नोटबंदी में घोटालों के राज छिपे हुए हैं।

केंद्रीय मंत्री प्रधान ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जजों से बातचीत का दावा किया

वीसी के दौरान गहलोत ने बागियों और भाजपा नेतृत्व पर हमला किया। कहा- पिछली बार जब बागी विधायकों की शाह से मुलाकात हुई तब वहां केंद्रीय मंत्री प्रधान व राज्यसभा सांसद सैयद जफर इस्लाम भी थे। यह मुलाकात एक घंटा चली, जिसमें प्रधान ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जजों से बातचीत का दिखावा किया। हमारे विधायकों से प्रधान ने कहा- वे देश में 5 राज्यों की सरकार गिरा चुके हैं और राजस्थान में भी गिरा देंगे।

बागियों को बर्खास्त किया तब बची सरकार
सीएम बोले- सरकार बचाने के लिए हमें विधायकों को 34 दिन होटल में रखना पड़ा था। वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, अजय माकन व अविनाश पांडे ने बागियों को बर्खास्त करने का फैसला लिया, तब जाकर सरकार बच पाई। अब भाजपा ने यह खेल फिर से शुरू कर दिया है।

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कोरोनाकाल में भी सरकार गिराने के प्रयास हुए- गहलोत

सीएम गहलोत ने कहा कि कोरोनाकाल में भी राजस्थान की सरकार गिराने के प्रयास हुए। उन्होंने कहा कि हमारे विधायक जब अमित शाह से मिलने गए थे, तब वहां इस बैठक में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान और राज्यसभा सांसद सैयद जाफर इस्लाम भी थे। करीब एक घंटे यह मुलाकात चली।

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फिर विधायकों ने आकर मुझे बताया कि हमें शर्म आ रही थी कि कहां तो सरदार पटेल जैसे गृहमंत्री थे और कहां उनकी कुर्सी पर अब अमित शाह जैसे लोग बैठे हैं। विधायकों ने यह भी बताया था कि मंत्री धर्मेंद्र प्रधान उस दौरान सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के जजों से बातचीत का ड्रामा भी कर रहे थे और उन विधायकों का हौसला भी बढ़ा रहे थे।

कुल मिलाकर वहां माहौल ऐसा बनाया जा रहा था कि हमें 4 राज्यों की सरकार गिराने का अनुभव है और पांचवी भी गिराकर रहेंगे। गहलोत ने कहा कि उस समय अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, वेणुगोपाल और अविनाश पांडे यहां आकर बैठ गए। उस समय इन्होंने जो फैसले लिए, हमारे नेताओं को बर्खास्त किया, तब जाकर हमारी सरकार बची सकी।

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^अहमद पटेल के निधन के बाद कांग्रेस को दिल्ली में एक अनुभवी और भरोसेमंद सिपहसालार चाहिए। आलाकमान ने इसके लिए गहलोत से संपर्क किया है, लेकिन वे दिल्ली नहीं जाना चाहते। इसलिए भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप लगा रहे हैं। ताकि राजस्थान में ही रहें। कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत है। इसके बावजूद वे डरे हुए हैं तो इससे साफ है कि कांग्रेस के अंदर ही सीएम को लेकर नाराजगी है।

-राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष

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गहलोत अपना मनोबल खो चुके हैं: पूनिया

गहलोत के सरकार गिराने वाले बयान पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने पलटवार किया। उन्होंने कहा आज गहलोत के बयान से साफ जाहिर हो गया कि सरकार दो साल से शासन चलाने में विफल है और एक मानसिक विचलन उनके इन बयानों में दिखता है। मुझे लगता है कि वे अपना मनोबल एवं नैतिक साहस खो चुके हैं।

उन्होंने कहा कि ये अफसोस जनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री होकर बिना किसी प्रमाण के भारत के गृह मंत्री और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम ले रहे हैं, जो राजनीति की मर्यादा से भी बाहर है। गहलोत जी बार-बार अपनी सत्ता हिलने के डर से “भेड़िया आया-भेड़िया आया” जैसी कहावत को अपनाकर भाजपा पर आरोप लगा रहे हैं। अब जनता प्रदेश की कांग्रेस पार्टी के अंतर्कलह को समझ चुकी है। इस सरकार के कुशासन से तंग आ चुकी है।

विधायकों को इनाम का इंतजार; सियासी संकट के समय सरकार का साथ देने वाले विधायकों को इनाम का इंतजार है। तब से न राजनीतिक नियुक्तियां हुईं न मंत्रिमंडल मंे फेरबदल। ऐसे में कई विधायकों के नाराज होने की आशंका भी है।

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