नए किसान कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन का आज 11वां दिन था। इस बीच रविवार को पूरा विपक्ष खुलकर किसानों के समर्थन में सामने आया। विपक्षी दलों ने किसानों की ओर से बुलाए गए भारत बंद के समर्थन में एक जॉइंट स्टेटमेंट जारी किया। इसमें सोनिया गांधी समेत 11 बड़े नेताओं ने मांग की है कि केंद्र सरकार किसानों की मांगें पूरी करे।
किसान आंदोलन को अपना समर्थन देने वाले नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, NCP नेता शरद पवार, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, DMK के चीफ एमके स्टालिन और PAGD के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, RJD की ओर से तेजस्वी यादव, भाकपा के महासचिव डी राजा, भाकपा (ML) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, AIFB के महासचिव देवव्रत विश्वास और RSP के महासचिव मनोज भट्टाचार्य शामिल हैं।
दूसरी ओर, नई रणनीति को लेकर किसान संगठनों के बीच सिंघु बॉर्डर पर अहम बैठक चल रही है। बॉक्सर विजेंदर कुमार ने भी कानून वापस न होने की स्थिति में अवॉर्ड वापसी की चेतावनी दी।
Boxer Vijender Singh joins the farmers’ agitation at Singhu border (Haryana-Delhi border).
The farmers’ protest at Singhu border, against Central Government’s Farm laws, entered 11th day today. pic.twitter.com/uMOZLIyRU9
— ANI (@ANI) December 6, 2020
इन पार्टियों ने बंद को समर्थन दिया
बंद का समर्थन करने वाली पार्टियों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा, TRS, VCK, MMK, IJK, KNMNK, DMK, MDMK और IUML शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन भी बंद के समर्थन में है। इस अलायंस में नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और माकपा की जम्मू-कश्मीर इकाई शामिल है।
किसान आंदोलन के कारण भाजपा की अगुवाई वाले नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में फूट पड़ने लगी है। बंद के समर्थन में आए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को कृषि कानून वापस लेने चाहिए। हम एनडीए में रहेंगे या नहीं इस पर आठ दिसंबर के बाद ही फैसला लिया जाएगा।
कृषि राज्य मंत्री का विपक्ष पर वार
इसके बाद कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा कि देश के किसानों को नए कानून से फायदा ही होगा, लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें उन्हें भड़का रही हैं। राजनीतिक लोग आग में ईंधन डाल रहे हैं।
लंदन में इंडियन हाई कमीशन के बाहर नारेबाजी
#WATCH: London Police in full force giving protection to Indian High Commission while protestors raise anti-India slogans and some pro-farmer slogans. pic.twitter.com/AfFbZdhLbX
— ANI (@ANI) December 6, 2020
किसान आंदोलन के समर्थन में विदेश में भी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। रविवार को लंदन में इंडियन हाई कमीशन के बाहर कुछ लोगों ने नारेबाजी की। इसे देखते हुए हाई कमीशन के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई।
दिलजीत ने किसानों को दिए एक करोड़
पंजाबी सिंगर-एक्टर दिलजीत दोसांझ द्वारा किसानों को एक करोड़ रुपए की मदद करने की खबर सामने आई है। पंजाबी सिंगर सिंगा ने इस बात का खुलासा किया।
उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि किसानों को गर्म कपड़े मुहैया कराने के लिए दिलजीत ने एक करोड़ रुपए दिए हैं। आजकल तो लोग 10 रुपए दान देने के बाद भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करने लगते हैं, लेकिन इतनी बड़ी मदद करने बाद भी मैंने इस बारे में अब तक कोई पोस्ट नहीं देखी।
अपडेट्स
- सिंघु बॉर्डर पर किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि 8 दिसंबर को होने वाले भारत बंद में सभी शामिल हों। उन्होंने कहा कि गुजरात से 250 किसान दिल्ली आ रहे हैं।
- कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ है। हमारी सभी जिला इकाइयों को निर्देश दिया गया है कि वे किसानों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन करें।
- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आज कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी और कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला के साथ बैठक करेंगे।
- ओलंपिक मेडलिस्ट विजेंदर सिंह ने सिंघू बॉर्डर पहुंचकर किसान आंदोलन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर सरकार काला कानून वापस नहीं लेती, तो मैं अपना राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार वापस कर दूंगा।
- मुंबई में शिरोमणि अकाली दल के प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि उद्धव ने आंदोलन के दौरान किसानों के सभी कार्यक्रमों में समर्थन करने का भरोसा दिलाया है। वे दो हफ्ते बाद दिल्ली में होने वाली बैठक में भी हिस्सा लेंगे। उन्होंने किसान आंदोलन के समर्थन की बात भी कही है।
- राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार को परिपक्वता दिखानी चाहिए। यह आंदोलन सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं रहेगा। अगर सरकार ने किसानों की मांगों पर विचार नहीं किया, तो पूरे देश के किसान सरकार के खिलाफ खड़े हो जाएंगे।
- दिल्ली की आप सरकार में मंत्री गोपाल राय ने बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पार्टी अधिकारियों और कार्यकर्ताओं से किसानों के भारत बंद का समर्थन करने की अपील की है।
- गाजीपुर-गाजियाबाद (दिल्ली-यूपी) बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन की वजह से गाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में ट्रैफिक जाम के हालात बन गए।
8 दिसंबर को भारत बंद का अल्टीमेटम
इससे पहले शुक्रवार को किसानों ने कहा कि अगर तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो 8 दिसंबर को भारत बंद करेंगे। किसानों ने सभी टोल प्लाजा पर कब्जे की भी चेतावनी दी है। शुक्रवार को किसानों की मीटिंग के बाद उनके नेता हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा- आने वाले दिनों में दिल्ली की बची हुई सड़कों को भी ब्लॉक करेंगे।
प्रधानमंत्री से चर्चा के बाद होगा फैसला
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के संदीप गिड्डे ने कहा, ‘शनिवार को किसानों और सरकार के बीच हुई बातचीत में हमने चेतावनी दी कि अगर कानून वापस नहीं हुआ, तो किसान मीटिंग का बायकॉट कर देंगे। इसके बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल और राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा करेंगे। इसके बाद उनकी अध्यक्षता में कैबिनेट इस बारे में फैसला करेगी।’
महाराष्ट्र से बैठक में शामिल होने आए गिड्डे के मुताबिक, मंत्रियों ने कहा कि 9 दिसंबर को होने वाली अगले दौर की बातचीत से पहले प्रधानमंत्री से चर्चा कर प्रस्ताव तैयार कर लिया जाएगा और मीटिंग में किसानों के साथ उसे शेयर किया जाएगा।
5वें दौर की मीटिंग भी बेनतीजा
आंदोलन के 10वें दिन शनिवार को किसान नेताओं के साथ सरकार दिल्ली के विज्ञान भवन में बैठक हुई। 5वें दौर की बैठक के बाद भी सरकार और किसानों के बीच बात नहीं बनी और सरकार ने अपना प्रस्ताव तैयार करने के लिए 4 दिन और मांगे थे। अब अगली बैठक 9 दिसंबर को होगी।
बैठक के दौरान किसान नेता 3 सवालों पर हां या ना में जवाब जानने के लिए अड़ गए। उधर, बैठक के बाद सरकार कहने लगी कि हम हर गलतफहमी दूर करने को तैयार हैं, लेकिन किसान सुझाव दे देते तो अच्छा रहता।
बैठक में तल्ख होते रहे किसान
दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई मीटिंग में 40 किसान नेता पहुंचे थे। बैठक के दौरान कई बार किसान तल्ख हो गए। जब चार घंटे की बैठक हो गई, तो आखिरी एक घंटे में किसानों ने मौन साध लिया। मुंह पर उंगली रखकर बैठ गए। उन्होंने सरकार से तीन सवाल पूछे और हां या ना में जवाब मांगा। कहा- सरकार बताए कि वह कृषि कानूनों को खत्म करेगी या नहीं? MSP को पूरे देश में जारी रखेगी या नहीं? और नए बिजली कानून को बदलेगी या नहीं?
किसानों का सरकार को अल्टीमेटम
- बैठक के दौरान एक बार बात इतनी बिगड़ गई कि किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी मांगें पूरी करे, नहीं तो हम मीटिंग छोड़कर चले जाएंगे।
- किसानों ने सरकार से कहा कि हम कॉरपोरेट फार्मिंग नहीं चाहते। इस कानून से सरकार को फायदा होगा, किसानों को नहीं।
- उन्होंने कहा कि हम पिछले कई दिनों से सड़कों पर हैं। हमारे पास एक साल की व्यवस्था है। अगर सरकार यही चाहती है तो हमें कोई दिक्कत नहीं।
- लंच ब्रेक में किसानों ने आज भी सरकारी खाना नहीं, बल्कि अपना लाया हुआ खाना ही खाया। वे पानी और चाय तक साथ लाए थे।
बैठक के बाद सरकार बोली- सुझाव मिलते तो अच्छा होता
शनिवार को करीब पांच घंटे की बैठक खत्म होने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने MSP और APMC पर पिछली बैठक में कही बातें दोहराईं।
- MSP: कृषि मंत्री ने कहा कि मिनिमम सपोर्ट प्राइस की व्यवस्था जारी रहेगी। इस पर किसी भी तरह का खतरा नहीं है। फिर भी किसी के मन में कोई शंका है तो सरकार समाधान के लिए पूरी तरह तैयार है।
- APMC: तोमर बोले कि यह एक्ट राज्य का है और APMC मंडी को किसी भी प्रकार से प्रभावित करने का हमारा इरादा नहीं है। कानूनी रूप से भी वह प्रभावित नहीं होगी। इस पर गलतफहमी है तो सरकार समाधान के लिए तैयार है।
- सुझाव भी चाहिए: कृषि मंत्री ने कहा कि हमने किसानों से कहा है कि समाधान का रास्ता खोजने की कोशिश में अगर किसानों से सुझाव मिल जाते तो उचित होगा। हम इंतजार करेंगे।
- बुजुर्गों-बच्चों को घर भेजिए: सरकार ने कहा कि सर्दी का सीजन है। कोरोना का संकट है, इसलिए बुजुर्गों और बच्चों को किसान नेता घर भेज देंगे तो ठीक रहेगा। किसानों को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं कि वे अनुशासन के साथ आंदोलन कर रहे हैं। अनुशासन बना रहे, यह जरूरी है।
- मोदी सरकार की उपलब्धियां बताईं: तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थी, है और रहेगी। अगर आप मोदीजी के छह साल के काम को देखेंगे तो किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। MSP बढ़ी है। एक साल में हम 75 हजार करोड़ रुपए किसानों के खातों में भेजे हैं। 10 करोड़ किसानों को 1 लाख करोड़ से ज्यादा पैसा दे चुके हैं।
सरकार MSP की लिखित गारंटी देने को राजी
न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, सरकार किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जारी रखने की लिखित गारंटी देने और कृषि बिलों के जिन प्रोविजंस पर किसानों को ऐतराज है, उनमें बदलाव करने को भी तैयार है, लेकिन किसान तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं।
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Source: DainikBhaskar.com