बाबरी विध्वंस की बरसी पर बोलीं स्वरा भास्कर- चाहे जितनी लीपापोती कर लो, भगवान का घर तोड़ना… – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • छह दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया गया था
  • अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने 6 दिसंबर को विध्वंस की बरसी पर बाबरी मस्जिद को किया याद
  • स्वरा भस्कर ने ट्वीट किया, ‘चाहे जितनी लीपा पोती कर लो, किसी के भी भगवान का घर तोड़ना पाप होता है

अयोध्या/लखनऊ
छह दिसंबर 1992 के दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया गया था। अभिनेत्री स्वरा भास्कर (Swara Bhaskar) ने 6 दिसंबर को विध्वंस की बरसी पर बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को याद किया है। स्वरा भास्कर ने कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया, ‘चाहे जितनी लीपा पोती कर लो, भगवान का घर.. किसी के भी भगवान का घर तोड़ना पाप होता है।’

इससे पहले बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले पर भी स्वरा भास्कर ने प्रतिक्रिया दी थी। चूंकि फैसले में कोर्ट ने ये कहते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया कि बाबरी ढांचे को गिराना साजिश नहीं थी और न ही ऐसा करने के लिए कारसेवकों को किसी नेता ने उकसाया था। इस पर स्वरा भास्कर ने अदालत के फैसले को लेकर तंज मारा था। स्वरा भास्कर ने अपने ट्वीट में लिखा था, ‘बाबरी मस्जिद ख़ुद ही गिर गया था।’

ओवैसी ने भी विध्वंस की बरसी पर किया कमेंट
उधर, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने भी 6 दिसंबर को विध्वंस की बरसी पर बाबरी मस्जिद को याद किया है। उन्होंने कहा कि 400 सालों तक बाबरी अयोध्या में खड़ी थी, इसे आने वाली पीढ़ियों को याद दिलाने और सिखाने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस नाइंसाफी को कभी नहीं भुलाया जा सकता है।

ओवैसी ने कहा, ‘याद रखें और अगली पीढ़ी को बताएं : 400 से ज्यादा वर्षों से हमारी बाबरी मस्जिद अयोध्या में खड़ी थी। हमारे पूर्वजों ने इसके हॉल में नमाज अता की, इसके आंगन में एक साथ अपना उपवास तोड़ा और जब वे मर गए, तो बगल के कब्रिस्तान में दफन हो गए।’ उन्होंने कहा, ‘22-23 दिसंबर, 1949 की रात को, हमारी बाबरी मस्जिद पर 42 साल तक अवैध रूप से कब्जे किया गया। 1992 में, आज ही के दिन पूरी दुनिया के सामने हमारी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था। इसके लिए जिम्मेदार लोगों को एक दिन की भी सजा नहीं हुई। इस अन्याय को कभी मत भूलना।’

इस बीच, विभिन्न मुस्लिम संगठनों की अपील पर हैदराबाद और तेलंगाना के कई हिस्सों में इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया गया। कुछ इलाकों में दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे।

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