डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Sat, 05 Dec 2020 12:15 PM IST
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सार
- बढ़ रहे जनसमर्थन से उत्साहित हैं किसान नेता
- खुले मन से किसानों की बात सुनने का संदेश देती रहेगी सरकार
विस्तार
इसके बाद सरकार विज्ञान भवन में किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुला सकती है। पांचवें दौर की बैठक में केंद्र सरकार किसानों द्वारा उठाए गए कुछ मुद्दों पर बीच का रास्ता निकालने का प्रस्ताव रख सकती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार एमएसपी समेत कुछ किसान की मांगों को लेकर कार्यकारी आदेश के समाधान का प्रस्ताव रख सकती है। वहीं किसान संगठनों ने ठोस नतीजा आने पर ही आंदोलन खत्म करने का मन बनाया है।
भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) नेता एचएस लखोवाल का कहना है कि सरकार के सामने किसान संगठनों के 40 नेताओं ने बैठक के दौरान तीनों कृषि कानून की खामियों पर बिंदुवार अपनी बात रखी है। केंद्रीय कृषि मंत्री और केंद्र सरकार ने भी माना है कि किसानों की कई मांगों पर विचार किया जाएगा। हमनें सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की है। किसान संगठन राजेवाल गुट के नेता का कहना है कि सरकार का संशोधन का प्रस्ताव मंजूर नहीं होगा। केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना पड़ेगा।
8 दिसंबर को भारत बंद
किसान संगठनों के नेता देश भर से मिल रहे जनसमर्थन से उत्साहित हैं। अपनी मांग और प्रदर्शन को मजबूत आधार देने के लिए किसान नेताओं ने पांच दिसंबर को देश के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री का पुतला फूंककर रोष जताने का आह्वान किया है। दिल्ली में प्रवेश के सभी रास्तों पर शनिवार को किसान नेताओं का जमावड़ा बढ़ने की भी संभावना है। इसके अलावा 8 दिसंबर को किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया है। किसानों के केंद्र सरकार पर दबाव की रणनीति से भी साफ है कि वह बिना ठोस नतीजा लिए आंदोलन समाप्त करने के मूड में नहीं हैं। शनिवार पांच दिसंबर को भी समाधान निकलने की संभावना कम नजर आ रही है।
तीनों कानून वापस लेने का सवाल नहीं उठता
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारी किसानों की समस्या और उनकी कई मांग पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। हालांकि केंद्र सरकार हाल में संसद से पारित हुए तीनों कानून को वापस लेने के बारे में कोई विचार नहीं कर रही है। मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि इसका कोई सवाल नहीं उठता। केंद्रीय कृषि मंत्री ने भी किसानों से तीनों कानून के विधेयक को लेकर विस्तार से चर्चा की है। सूत्र का कहना है कि केंद्र सरकार उचित मांग का समाधान करने पर विचार कर रही है। किसानों को भी इसे समझना चाहिए और अड़ियल रवैया छोड़ देना चाहिए।