#FarmersProtest: सिंघु बॉर्डर से हिलने को राज़ी नहीं है किसान, पहले बातचीत की माँग – BBC हिंदी

किसान तब तक शांत नहीं होंगे जब तक कि वो सेंट्रल दिल्ली नहीं पहुँचेंगे… जहाँ से केंद्र सरकार ने उनसे वोट माँगे थे… और संसद भवन के पास जंतर मंतर पर शाँतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे ताकि क़ानून बनाने वालों तक उनकी शिकायत पहुँच सके.

यह माँग दिल्ली और हरियाणा के बीच सिंघु बॉर्डर पर जमा हुए किसानों की है जो लगातार वहां की फ़िज़ाओं में गूँज रही है.

ये किसान केंद्र सरकार के बनाए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ यहाँ बड़ी संख्या में बीते तीन दिनों से जुटे हैं. प्रदर्शनकारी किसानों में महिलाएँ भी हैं.

शनिवार को भी सिंघु के साथ साथ ये टिकरी बॉर्डर पर भी डटे रहे. हालांकि इस बीच उन्हें उत्तरी दिल्ली में बुराड़ी के निरंकारी मैदान पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की इजाज़त दे दी गई है.

लेकिन किसान अभी यहां से हिलने के लिए तैयार नहीं है और लगातार रामलीला मैदान या जंतर-मंतर पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपनी मांग पर कायम हैं.

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दिल्ली पुलिस की पेशकश

इस बीच सिंघु बॉर्डर पर किसानों की संख्या में लगातार इजाफ़ा होता जा रहा है क्योंकि पंजाब और हरियाणा के अन्य किसान घटकों के सदस्य भी यहां पहुंचने लगे हैं.

हरियाणा के झज्जर से आए एक किसान मनीष कदियान ने कहा, “हम यहां केंद्र के बनाए नए कृषि क़ानूनों के विरोध में आए हैं. निरंकारी मैदान में जाकर क्या हम सत्संग करेंगे? सरकार केंद्र में बैठ कर किसानों के केवल वोट लेती है. हम जनपथ जाकर संसद भवन का घेराव करना चाहते हैं. हम यहां से अपने घर वापस नहीं जाएंगे.”

उन्होंने कहा कि किसानों ने बुराड़ी के मैदान में प्रदर्शन करने की दिल्ली पुलिस की पेशकश को ठुकरा दिया है.

पंजाब से आए 62 वर्षीय गुरमेज सिंह ने कहा कि किसान तब तक नहीं हार मानेंगे जब तक कि वो जंतर मंतर या रामलीला मैदान में नहीं पहुंच जाते.

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किसानों की रोज़ी रोटी

गुरमेज सिंह ने कहा, “हम निरंकारी मैदान में नहीं जाएंगे. या तो हम जंतर मंतर जाएंगे या रामलीला मैदान या हम यहीं बैठे रहेंगे. हमारे पास छह महीने का राशन है और हम राष्ट्रीय राजमार्ग से नहीं उतरेंगे.”

प्रदर्शन कर रहे अन्य किसानों के साथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों के ख़िलाफ़ है और इसके नए कृषि क़ानून किसानों की रोज़ी रोटी छीन लेंगे.

पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठनों में से एक भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्रहण) ने भी कहा कि वो बुराड़ी के संत निरंकारी मैदान में प्रदर्शन के लिए नहीं जाएंगे.

भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्रहण) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष झंडा सिंह जेठुके ने कहा, “हम केंद्र सरकार से माँग कर रहे हैं कि वो हमें जंतर मंतर पर प्रदर्शन की इजाज़त दे. हम किसी भी कीमत पर बुराड़ी नहीं जाएँगे.”

किसानों का प्रदर्शन

आगे क्या कदम उठाएंगे, रविवार की सुबह होगी बैठक

किसानों का कहना है कि रविवार की सुबह उनकी एक अहम बैठक होगी जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा.

भारतीय किसान यूनियन, जालंधर यूनिट के अध्यक्ष बलजीत सिंह महल ने कहा, “आज हमने मीटिंग में यह तय किया कि हम सिंघु बॉर्डर पर डटे रहेंगे. कल सुबह 11 बजे एक और बैठक करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे.”

प्रदर्शन कर रहे इन किसानों को उत्तर प्रदेश के किसान संगठनों का भी समर्थन मिला है जो शनिवार की दोपहर गाज़ीपुर बॉर्डर पर अपने वाहनों के साथ इकट्ठा हुए.

इससे पहले शनिवार की दोपहर को संयुक्त पुलिस आयुक्त (उत्तरी रेंज) सुरेंद्र सिंह यादव ने सिंघु सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के बाद बताया कि उत्तरी दिल्ली के मैदान में क़रीब 600 से 700 किसान पहुंच गए हैं.

उन्होंने बताया कि पुलिस और प्रशासन ने तय किए गए प्रदर्शन स्थल पर किसानों के लिए पर्याप्त इंतज़ाम किए हैं. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें प्रदर्शन स्थल पर और किसानों के पहुंचने की उम्मीद है.

हापुड़ की चुंगी पर भी किसान जुटे

हमारे लिए ‘जय किसान’ था, है और रहेगा

काँग्रेस नेता राहुल गाँधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार की वजह से केंद्र सरकार ने सैनिकों को बुज़ुर्ग किसानों के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया है.

उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि प्रधानमंत्री कॉरपोरेट दफ़्तरों में अपनी फ़ोटोग्राफ़ी की बजाए प्रदर्शनकारी किसानों से बात करते.

शनिवार की सुबह हिंदी में किए एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, “बड़ी ही दुखद फ़ोटो है. हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था लेकिन आज PM मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के ख़िलाफ़ खड़ा कर दिया. यह बहुत ख़तरनाक है.”

राहुल ने शाम को एक और ट्वीट किया. उसमें उन्होंने लिखा, “अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना अपराध नहीं, कर्तव्य है. मोदी सरकार पुलिस की फ़र्ज़ी FIR से किसानों के मज़बूत इरादे नहीं बदल सकती. कृषि विरोधी काले क़ानूनों के ख़त्म होने तक ये लड़ाई जारी रहेगी. हमारे लिए ‘जय किसान’ था, है और रहेगा!”

काँग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “मोदी जी कम्पनियों के दफ़्तर जा फ़ोटो खिंचा रहे हैं और लाखों किसान दिल्ली के सड़कों पर कराह रहे हैं. काश! PM जहाज़ की बजाय ज़मीन पर किसान से बात करते. कोरोना वैक्सीन साइंटिस्ट और शौधकर्ता ढूंढेंगे, व… देश का पेट किसान पालेंगे, और… मोदी जी तथा भाजपाई टेलिविज़न सम्भालेंगे!”

किसानों का प्रदर्शन

काँग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने भी ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि “भाजपा सरकार में देश की व्यवस्था को देखिए. जब भाजपा के खरबपति मित्र दिल्ली आते हैं तो उनके लिए लाल कालीन डाली जाती है. मगर किसानों के लिए दिल्ली आने के रास्ते खोदे जा रहे हैं. दिल्ली किसानों के ख़िलाफ़ क़ानून बनाए वह ठीक, मगर सरकार को अपनी बात सुनाने किसान दिल्ली आए तो वह ग़लत?”

आठ विपक्षी पार्टियों का मिला समर्थन

प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली कूच करने से रोकने के लिए दिल्ली पुलिस की तरफ से आँसू गैस, पानी की बौछार और सड़कों को खोद दिए जाने जैसी कोशिशों को कई विपक्षी पार्टियों ने ‘दमन’ और ‘युद्ध छेड़ने’ से तुलना की.

उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि केंद्र के बनाए कृषि क़ानून भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं.

आठ विपक्षी पार्टियों ने एक संयुक्त वक्तव्य में कहा कि तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ वो प्रदर्शनकारी किसानों का समर्थन करते हैं.

इन नेताओं में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, टीएमके के टीआर बालू, सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा, आरजेडी सांसद मनोज झा, सीपीआई (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य, एआईएफबी के देबब्रत बिस्वास और आरएसपी के महासचिव मनोज भट्टाचार्य शामिल हैं.

अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि “पुलिसिया बर्बरता, आँसू गैस, पानी की तेज़ बौछार, सड़कों पर लगाए गए अवरोधों, पुलिस अवरोधों और राष्ट्रीय राजमार्ग को खोद दिए जाने के बावजूद कई किसान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पहुँच गए हैं. हम उनकी प्रतिबद्धता और साहस को सलाम करते हैं.”

किसानों का प्रदर्शन

समर्थन में छात्र भी जुटे

शनिवार को ही उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के टालडा गाँव के पास किसानों ने पानीपत-खातिमा राजमार्ग को जाम कर दिया. उत्तर प्रदेश पुलिस ने इसकी जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि ये पंजाब-हरियाणा के दिल्ली बॉर्डर पर जुटे प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में यहाँ जुटे थे.

इसी तरह एक धरना छपर गाँव में भी हुआ जहाँ भारतीय किसान सेना ने प्रदर्शन किया और अधिकारियों को नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक ज्ञापन सौंपा.

इस बीच दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में भारतीय किसान यूनिनय (बीकेयू) का एक दल दिल्ली की सीमा पर यूपी गेट पहुँच गया है.

शनिवार की रात होते होते अब सिंघु बॉर्डर पर कई यूनिवर्सिटी के छात्र जुट गए हैं.

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पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्रा और चंडीगढ़ की रहने वाली अर्पण ने कहा कि वो किसानों के साथ आंदोलन में भाग लेने आई हैं क्योंकि उनकी ज़मीन से ‘भावनात्मक संबंध’ है.

उन्होंने कहा, “हम यहां किसानों के साथ रह रहे हैं और उनके साथ ही लंगर में खाते हैं. हम पंजाबी और हिंदी में गाकर किसानों की स्थिति को बता रहे हैं.”

न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कम से कम 25 से 30 छात्र हरियाणा और पंजाब से यहां पहुंचे हैं.

कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के एक छात्र अंकित ने कहा कि वो झज्जर से यहाँ किसानों का साथ देने अपनी मर्जी से आए हैं.

वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी में इतिहास के छात्र फ़िरोज़ आलम ने कहा, “एक छात्र के रूप में मैं किसानों को अपना समर्थन देता हूं और हम तब तक नहीं हटेंगे जब तक कि इनकी माँगे न मान ली जाएं.”

इस बीच यह ख़बर भी आई कि केंद्र सरकार ने पंजाब के कई किसान संगठनों को 3 दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया है.

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