क्या हैं मोदी सरकार के वो तीन कानून, जिसके विरोध में दिल्ली कूच कर रहे हैं 1 लाख किसान? जानें सब कुछ

किसान एक बार फिर सड़कों पर है। वजह है खेती से जुड़े तीन कानून, जो डेढ़ महीने पहले ही बने हैं। इन तीनों कानून के विरोध में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान 26-27 नवंबर को दिल्ली चलो की अपील के साथ प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। पंजाब के किसान संगठनों का दावा है कि इस प्रदर्शन में 1 लाख से ज्यादा किसान जुटेंगे। आखिर क्यों किसान दिल्ली पहुंचने पर अड़े हैं? क्या हैं वो तीन कानून जिसको लेकर विरोध हो रहा है? आइए जानते हैं…

कितने राज्यों के किसान इसमें शामिल हो रहे हैं?
इसमें मुख्य रुप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान शामिल हो रहे हैं। मध्य प्रदेश के किसान भी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के नेतृत्व में दिल्ली पहुंच रहे हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश के आगरा में ही इन किसानों को रोक दिया गया और मेधा पाटकर को गिरफ्तार कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि इस किसान आंदोलन को देशभर के करीब 500 संगठनों का समर्थन है। ऑल इंडिया किसान संघर्ष को-ऑर्डिनेशन कमिटी (AIKSCC) का कहना है कि किसानों को जहां भी दिल्ली जाने से रोका जाएगा, किसान वहीं बैठकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।

किसानों के आंदोलन करने की वजह क्या है?
मोदी सरकार संसद के पिछले सत्र में खेती से जुड़े तीन कानून लेकर आई थी। ये तीन कानून हैं: कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन-कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020। ये तीनों कानून संसद के दोनों सदनों से पारित हो भी चुके हैं और कानून बन चुके हैं। भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह का कहना है कि ये कानून खेती-किसानी की कब्र खोदने के लिए बनाए गए हैं। इन्हीं तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर किसान आंदोलन कर रहे हैं।

किसानों के दिल्ली चलो आंदोलन को देखते हुए दिल्ली बॉर्डर पर बैरिकैड लगाए गए हैं।

सरकार का क्या कहना है?

  • अभी तक जो पता चला है, उसके मुताबिक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं लेने वाली। सरकार का दावा है कि इन कानूनों का पास होना एक ऐतिहासिक फैसला है और इससे किसानों की जिंदगी बदल जाएगी। प्रधानमंत्री मोदी ने इन कानूनों को आजादी के बाद किसानों का एक नई आजादी देने वाला बताया है। मोदी का कहना है कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का फायदा नहीं मिलने की बात गलत है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी इन कानूनों को महत्वपूर्ण, क्रांतिकारी और किसानों के लिए फायदेमंद बताया था।
  • हालांकि, उनकी ही सरकार में सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल ने इन कानूनों को लेकर चिंता जताई है। अकाली दल से सांसद और कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर ने इन कानूनों के विरोध में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में अकाली दल भी NDA से 22 साल बाद अलग हो गई।

क्या हैं वो तीन कानून?
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

इस कानून में एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने का प्रावधान है, जहां किसानों और कारोबारियों को मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी होगी। कानून में राज्य के अंदर और दो राज्यों के बीच कारोबार को बढ़ावा देने की बात कही गई है। साथ ही मार्केटिंग और ट्रांसपोर्टेशन का खर्च कम करने की बात भी इस कानून में है।

2. कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
इस कानून में कृषि करारों (एग्रीकल्चर एग्रीमेंट) पर नेशनल फ्रेमवर्क का प्रावधान किया गया है। ये कृषि उत्पादों की बिक्री, फार्म सेवाओं, कृषि बिजनेस फर्म, प्रोसेसर्स, थोक और खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ किसानों को जोड़ता है। इसके साथ किसानों को क्वालिटी वाले बीज की आपूर्ति करना, फसल स्वास्थ्य की निगरानी, कर्ज की सुविधा और फसल बीमा की सुविधा देने की बात इस कानून में है।

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020
इस कानून में अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज और आलू को आवश्यक वस्तुओं की लिस्ट से हटाने का प्रावधान है। सरकार के मुताबिक, इससे किसानों को उनकी फसल की सही कीमत मिल सकेगी, क्योंकि बाजार में कॉम्पिटीशन बढ़ेगा।

किसानों का कहना है कि हमें जहां रोकेंगे, वहीं बैठ जाएंगे।

इन तीन कानूनों पर किसानों को क्या है डर और सरकार का क्या है बचाव?
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020

  • किसानों को डरः MSP का सिस्टम खत्म हो जाएगा। किसान अगर मंडियों के बाहर उपज बेचेंगे तो मंडियां खत्म हो जाएंगी। ई-नाम जैसे सरकारी पोर्टल का क्या होगा?
  • सरकार का बचावः MSP पहले की तरह जारी रहेगी। मंडियां खत्म नहीं होंगी, बल्कि वहां भी पहले की तरह ही कारोबार होता रहेगा। नई व्यवस्था से किसानों को मंडी के साथ-साथ दूसरी जगहों पर भी फसल बेचने का विकल्प मिलेगा। मंडियों में ई-नाम ट्रेडिंग जारी रहेगी।

2. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020

  • किसानों को डरः कॉन्ट्रैक्ट या एग्रीमेंट करने से किसानों का पक्ष कमजोर होगा। वो कीमत तय नहीं कर पाएंगे। छोटे किसान कैसे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करेंगे? विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को फायदा होगा।
  • सरकार का बचावः कॉन्ट्रैक्ट करना है या नहीं, इसमें किसान को पूरी आजादी रहेगी। वो अपनी इच्छा से दाम तय कर फसल बेच सकेंगे। देश में 10 हजार फार्मर्स प्रोड्यूसर ग्रुप्स (FPO) बन रहे हैं। ये FPO छोटे किसानों को जोड़कर फसल को बाजार में सही कीमत दिलाने का काम करेंगे। विवाद की स्थिति में कोर्ट-कचहरी जाने की जरूरत नहीं होगी। स्थानीय स्तर पर ही विवाद निपटाया जाएगा।

3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020

  • किसानों को डरः बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का स्टोरेज करेगी। इससे कालाबाजारी बढ़ सकती है।
  • सरकार का बचावः किसान की फसल खराब होने की आंशका दूर होगी। वह आलू-प्याज जैसी फसलें बेफिक्र होकर उगा सकेगा। एक सीमा से ज्यादा कीमतें बढ़ने पर सरकार के पास उस पर काबू करने की शक्तियां तो रहेंगी ही। इंस्पेक्टर राज खत्म होगा और भ्रष्टाचार भी।

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Delhi Chalo: Haryana Punjab Farmers Protest: What Are 3 Farm Ordinance Of Narendra Modi Government

Source: DainikBhaskar.com

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