‘स्कैम 1992’ में हर्षद मेहता बने प्रतीक गांधी ने सात-आठ लुक टेस्ट किए, 18 किलो वजन बढ़ाया

उर्वी ब्रह्मभट्ट. लगभग तीन दशकों के बाद ‘बिग बुल’ हर्षद मेहता फिर से एक बार चर्चा में हैं। हर्षद मेहता की जिंदगी पर आधारित वेब सीरीज ‘स्कैम 1992’ हाल ही में रिलीज हुई है और खूब वाहवाही बटोर रही है। इस वाहवाही के केंद्र में एक गुजराती यानी की प्रतीक गांधी हैं, जिन्होंने परदे पर हर्षद मेहता को हू-ब-हू जीवंत किया है।

जी हां, ये वही प्रतीक गांधी हैं, जिन्हें हम ‘दो यार’, ‘रॉन्ग साइड’, ‘धूनकी’, ‘मैं चंद्रकांत बक्शी’, ‘मोहन का मसाला’ ‘मेरे पिया गए रंगून’ जैसे नाटकों में देख चुके हैं। ‘स्कैम 1992’ की ओवरनाइट सफलता से पूरा देश पूछने लगा है कि ये प्रतीक गांधी आखिर हैं कौन? ‘स्कैम 1992’ की सफलता के केंद्र बिंदु रहे प्रतीक गांधी ने दैनिक भास्कर से बात की। पेश हैं कुछ चुनिंदा अंश…

यह सीरीज किस तरह मिली?

मैंने इस सीरीज के लिए ऑडिशन दिया था। हंसल सर ने (डायरेक्टर हंसल मेहता ने) मेरी गुजराती फिल्में ‘दो यार’ और ‘रॉन्ग साइड’ देखी थीं। उन्होंने मेरा थिएटर का काम भी देखा था और यही सब बातें मेरे फेवर में रहीं। जब हंसल सर को पता चला कि मैंने भी इस सीरीज के लिए ऑडिशन दिया है तो उन्होंने तय कर लिया कि अब इस सीरीज में मैं ही काम करूंगा। उन्होंने तो मेरा ऑडिशन भी नहीं देखा था। उन्होंने सिर्फ यही देखा कि मैं इस रोल के लिए कितना तैयार हूं। ऑडिशन में जो सीन किए थे, वे सीरीज में ही नहीं हैं। स्क्रिप्ट पर काम करते-करते ये सीन ही कट हो गए थे। मैंने सात-आठ लुक टेस्ट किए थे। सीरीज फाइनल होने के बाद मुझे ख्याल आया कि मेरा वजन बढ़ गया है। फिर करीब डेढ़ महीने बाद मेरा लुक टेस्ट करवाया गया था। पहली मीटिंग के एक साल बाद हमने शूटिंग की।

किस तरह तैयार हुई सीरीज?

इन सातों लुक टेस्ट के दरमियान मैंने वो सब खाया, जो पहले नहीं खाया था। इस सीरीज के दौरान मैंने अपना 18 किलो वजन बढ़ाया था। पेट बढ़ाया था। डबल चिन लाने के लिए ज्यादा खाता था। सीरीज पहले मेरे वजन 71 किलो था और सीरीज के दौरान 89 किलो तक हो गया था। जबकि, लॉकडाउन के दौरान मैंने 12-15 किलो वजन कम किया था और मैं फिर से परफेक्ट शेप में आ गया था।

मेरे लिए हर्षद मेहता को स्क्रीन पर लाना मुश्किल से ज्यादा रोचक चैलेंज था। क्योंकि, यह वह कैरेक्टर था, जिसकी छवि पूरी दुनिया में निगेटिव है और उसे विलेन के तौर पर पहचाना जाता है। लोगों के दिमाग में इस व्यक्ति को लेकर कई थ्योरीज हैं। इस व्यक्ति के बारे में बहुत कुछ लिखा-पढ़ा और सुना गया। मैंने यह कैरेक्टर किसी भी तरह के पूर्वाग्रहों के स्क्रीन पर लाने की कोशिश की।

मैंने हर्षद मेहता की बॉडी लैंग्वेज पर खास ध्यान दिया था। मैंने इस बात का खासतौर पर ख्याल रखा कि स्क्रीन पर कहीं भी ऐसा न लगे कि प्रतीक गांधी हर्षद मेहता जैसा दिखने की कोशिश कर रहा है। मुझे नैचुरल फ्लो में हर्षद मेहता के कैरेक्टर को उतारना था और इसीलिए मैंने कोशिश की, कि कहीं भी इसमें प्रतीक गांधी न नजर आए।

हर्षद मेहता किस तरह रिएक्ट करता है, वह कैसे सोचता है और किस तरह हंसता है। हर्षद मेहता के ऑनलाइन एक-दो इंटरव्यू हैं, जिसमें प्रीतीश नंदी के साथ का इंटरव्यू काफी अच्छा है। मैंने यह इंटरव्यू तीन-चार बार देखा। इस इंटरव्यू से मैंने सीखा कि वह किस तरह जवाब देता है, किस तरह हंसता है। इसके लिए मेरे थिएटर का अनुभव भी मेरे काफी काम आया। मैंने एक्टिंग करने की एक बार भी कोशिश नहीं की, बस मुझे फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन में समय लगना था। बाकी तो बहुत सारी बातें अंदर से ही निकलकर बाहर आ जाती हैं, जो स्क्रीन पर दिखाई देती हैं।

हर्षद मेहता के परिवार के उनके साथ काम करने वाले लोगों से मिले थे?

नहीं, मैं हर्षद मेहता के परिवार से नहीं मिला, लेकिन उनके आसपास रहने वाले लोगों से मिला था। मैंने उनसे ही जानने की कोशिश की थी कि उसका व्यक्तित्व कैसा था, कैसे सोचता था और कैसे बात करता था। हर्षद मेहता की सीरीज के पहले ‘स्कैम 1992’ बुक एक बार भी नहीं पढ़ी थी। जबकि हमारी सीरीज इसी बुक पर ही आधारित है, इसलिए शूटिंग के दौरान ही बुक पढ़ने का मौका मिला। पहले हमारी स्क्रिप्ट 650 पन्नों की थी और बाद में 550 पन्नों की हो गई। स्क्रिप्ट आप एक बार पढ़ो तो लगभग पूरी बुक पढ़ लेने के बराबर है।

सबसे पहले हर्षद मेहता के बारे में कब सुना था?

जब हर्षद मेहता स्कैम सामने आया, तब मैं स्कूल में था। मेरे परिवार के एक कजिन को शेयर मार्केट में खासा नुकसान हुआ था। इस तरह मैं हर्षद मेहता के बारे में जानता था। हालांकि, हर्षद मेहता को लेकर मेरे लिए यह एक बहुत छोटा सा रेफरेंस था।

हर्षद मेहता के बारे में आप क्या कहते हैं?

हर्षद मेहता सपनों का व्यापारी था। उसने पूरे हिंदुस्तान को सपने बेचे। हर्षद मेहता में किसी तरह की बुरी आदत यानी की शराब, सिगरेट, जुआ नहीं थी। उसे मात्र एक ही शौक था और वह था ज्यादा से ज्यादा कमाने का। रोल करते हुए ही मुझे मालूम हुआ था कि वह पूरी तरह से फैमिली मैन था। मुझे हर्षद मेहता का ह्यूमन साइड भी पेश करना था और यही बात मुझे बहुत अच्छी लगी। मेरे पास तो रोजाना का 9-10 घंटों का पर्याप्त समय था और इसलिए मैं जानता था कि मैं यह रोल बहुत अच्छे तरीके से निभा सकता हूं।

गुजराती के रूप में हर्षद मेहता का रोल करना आसान लगा?

हां, बतौर गुजराती मेरे लिए यह रोल करना थोड़ा आसान था। पहले से ही तय था कि गुजराती लोगों और उनकी भाषा को अच्छे तरीके से पेश किया जा सके। आमतौर पर फिल्मों या सीरियल्स में गलत तरीके से गुजराती बोलते हुए दिखाया जाता है। इसे लेकर अक्सर मुझे बुरा भी लगता है। इसलिए मैं बहुत सिंपल तरीके से गुजराती शब्दों को स्क्रीन पर लाया।

सीरीज इतनी सफल रहेगी, इसका अंदाजा था?

मैंने जब इस सीरीज में काम किया तो ख्याल भी नहीं था कि यह इतनी फेमस होगी। हां, मुझे यह बात पता थी कि मैं हंसल सर और उनकी टीम से जुड़ रहा हूं तो यह एक अच्छा प्रोजेक्ट ही बनेगा। मुझे विश्वास था कि मैं गर्व से कह सकूंगा कि मैं इस सीरीज का हिस्सा था। जबकि, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि लोग मुझे इतना प्यार देंगे और मुझे इतना सफल कर देंगे।

सीरीज में आपका फेवरेट डॉयलॉग क्या था?

‘सक्सेज क्या है? फेल्योर के बाद का नया चैप्टर’ यह मेरी फेवरेट लाइन है। मैं जहां से आया हूं और जो करता था, वह तो करता ही रहूंगा, लेकिन मेरा सपना था कि मैं हिंदी में काम करूं।

बेस्ट कॉम्प्लीमेंट क्या मिला?

हंसल सर ने मुझसे कहा था कि तुम सोच भी नहीं सकते कि तुमने कितना बढ़िया काम किया है।

अभिषेक बच्चन भी ‘बिग बुल’ नाम की फिल्म में हैं। उनके साथ तुलना पर क्या कहेंगे?

यह तो मेरे लिए दर्शकों का प्रेम है। जहां तक फिल्म की बात की जाए तो अभिषेक बच्चन एक बड़े कलाकार हैं। वे अपनी फिल्म में एक अलग ही फ्लेवर के साथ आएंगे। जब तक यह फिल्म नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी बोलना ठीक नहीं।

कोरोना की मुश्किल से कैसे बाहर निकले?

मेरे पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ गया था। मैं, मेरा भाई, पत्नी, मेरी बेटी और मम्मी। वहीं, भाई करीब दस दिन तक हॉस्पिटल में एडमिट रहा था। बाकी हम सब होम आइसोलेशन में थे। हम लोग आज तक नहीं समझ पाए कि हमें कोरोना कैसे हुआ था, जबकि हम लोग न तो घर से बाहर निकले और न ही कोई घर में आया। मेरे सिर में दो-तीन दिन तक दर्द हुआ, इसके बाद बुखार आ गया और फिर डायरिया हो गया। इसके बाद कोरोना टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजीटिव आई। इसके बाद पूरे परिवार की जांच करवाने पर सबकी रिपोर्ट पॉजीटिव आईं।

आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं?

मैं शेयर बाजार में निवेश नहीं करता। एक-दो बार सिर्फ देखने भर और शेयर बाजार की प्रोसेस जानने के लिए पांच शेयर खरीदे थे। शेयर मार्केट एक अलग ही दुनिया है और उसे समझे बगैर निवेश नहीं करना चाहिए। मैं अपनी आय का 15 फीसदी हिस्सा इन्वेस्ट करने की कोशिश करता हूं। मैं म्यूचुअल फंड्स और एसआईपी में ही निवेश करता हूं। रियल एस्टेट में तो मेरे घर का ही लोन चल रहा है।

अगले प्रोजेक्ट्स क्या हैं?

‘भवाई’ नाम की मेरी हिंदी फिल्म तैयार है और उसकी रिलीज डेट तय होने वाली है। बाकी कई सीरीज पर चर्चा हो रही है, जिसका अनाउंस फाइनल होने के बाद ही करूंगा।

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Source: DainikBhaskar.com

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