‘बेका’ समझौते के बाद बोला अमरीका- चीन के ख़िलाफ़ भारत के साथ खड़े हैं – BBC हिंदी

भारत और अमरीका के बीच मंगलवार को नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में तीसरी 2+2 मंत्री स्तरीय बैठक हुई. इस दौरान दोनों देशों के बीच बेसिक एक्‍सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट (BECA) समेत कई अहम समझौते हुए.

बेका समझौते के तहत दोनों देश एक दूसरे को अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी, साज़ोसामान और भू-स्थानिक मानचित्र साझा करेंगे. बेका समझौते पर भारत की ओर से एडिशनल सेक्रेटरी जिवेश नंदन ने हस्ताक्षर किया.

बैठक में भारत की तरफ़ से विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जबकि अमरीका की तरफ़ से विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर इस बैठक में शामिल थे. इसके अलावा शीर्ष सैन्य और सुरक्षा अधिकारियों की मौजूदगी भी बैठक में रही. दोनों देशों ने कारोबारी, हिंद व प्रशांत महासागरीय क्षेत्र की सुरक्षा, सामरिक व रणनीतिक सहयोग पर चर्चा की.

बैठक के बाद अमरीकी रक्षा मंत्री माइक एस्पर ने कहा, “दोनों देशों के बीच रक्षा समझौते हमारे साझा मूल्यों और हितों पर आधारित हैं. सब के लिए खुला और स्वतंत्र इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र हो इसके लिए हम कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े हैं, ख़ास कर चीन की बढ़ती आक्रामकता और अस्थिर करने वाली गतिविधियों के मद्देनज़र.”

मार्क एस्पर ने कहा कि दो दिनों की बैठक में रक्षा के क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने, रक्षा व्यापार को बढ़ाने और सेनाओं के बीच पारस्परिक सहयोग पर भी बातचीत हुई.

बाद में अमरीकी विदेश मंत्री ने भारत और अमरीका के बीच स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुई नई संधि का एलान किया, जिसमें उन्होंने चीन पर निशाना साधा.

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चीन मित्रवत नहींः पॉम्पियो

बैठक के बाद एक साझा बयान जारी किया गया जिसमें दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया.

अमरीकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने कहा, “चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी लोकतंत्र, क़ानूनी नियमों, एक दूसरे के बीच स्पष्टता और नौ-परिवहन की स्वतंत्रता (नैविगेशन की आज़ादी) को लेकर मित्रवत नहीं है जो कि मुक्त और खुले इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र का आधार है.”

इस बैठक से पहले माइक पॉम्पियो नेशनल वॉर मेमोरियल गए थे जिसकी तस्वीर के साथ एक ट्वीट को रीट्विट करते हुए उन्होंने लिखा कि “हम उन वीर पुरुषों, महिलाओं को कभी नहीं भूलेंगे जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े लोकत्रंत की रक्षा में अपनी जान दी है.”

अमरीकी मंत्रियों के भाषणों में गलवान का भी ज़िक्र हुआ जहां चीनी फ़ौज के साथ झड़प में भारत के 20 सैनिकों की मौत हो गई थी लेकिन भारत के दोनों मंत्री- एस जयशंकर और राजनाथ सिंह चीन का नाम लेने से बचते दिखे.

राजनाथ सिंह ने क्या कहा?

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘बेका’ को महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए कहा कि “महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे बीच बातचीत हुई. अमरीका के साथ हमारा सैन्य सहयोग बहुत बढ़िया तरीक़े से आगे बढ़ रहा है. हमने रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास के लिए परियोजनाओं को चिह्नित किया है.”

उन्होंने कहा, “इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के प्रति हमने अपनी प्रतिबद्धता जताई.”

रक्षा मंत्री ने बताया कि दोनों देशों के बीच जो महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं उनमें अमरीकी-भारतीय लाइज़न ऑफ़िसर की नियुक्ति, कॉमसैट अकाउंट, दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास को बढ़ाना शामिल है.

अगले महीने दोनों देश ‘मालाबार एक्सरसाइज़’ में शामिल होंगे. यह एक्सरसाइज़ इंडो-पैसेफ़िक क्षेत्र में होने वाला संयुक्त सैन्य अभ्यास है जिसमें क्वाड, यानी ‘क्वाडिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ में शामिल चारों देश भाग लेंगे. ये चार देश हैं- भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया.

इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “इस बैठक के दौरान हमारे पड़ोसी देशों में चल रही गतिविधियों पर भी बातचीत हुई. हमने यह स्पष्ट किया कि सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियां बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है.”

विदेश मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद, अफ़ग़ानिस्तान और हर देश का दूसरे देश की संप्रभुता और सीमाओं का आदर करने की बात भी कही.

संयुक्त वक्तव्य के बाद जब राजनाथ सिंह से एक पत्रकार ने सवाल पूछा कि क्या आप अमरीका से और अधिक हथियार ख़रीदने की योजना रखते हैं तो रक्षा मंत्री ने कहा, “किसी भी देश का दूसरे देश से हथियार ख़रीदने या बेचने का समझौता दोनों देशों की बीच बातचीत पर निर्भर करता है.”

भारत-अमरीका के बीच 2+2 बातचीत

क्या है बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट?

बेसिक एक्सचेंज एंड कॉपरेशन एग्रीमेंट (Basic Exchange and Cooperation Agreement) यानी ‘बेका’ भारत और अमरीका के बीच होने वाले चार मूलभूत समझौतों में से आख़िरी है. इससे दोनों देशों के बीच लॉजिस्टिक्स और सैन्य सहयोग को बढ़ावा मिलेगा.

पहला समझौता 2002 में किया गया था जो सैन्य सूचना की सुरक्षा को लेकर था. इसके बाद दो समझौते 2016 और 2018 में हुए जो लॉजिस्टिक्स और सुरक्षित संचार से जुड़े थे.

ताज़ा समझौता भारत और अमरीका के बीच भू-स्थानिक सहयोग है. इसमें क्षेत्रीय सुरक्षा में सहयोग करना, रक्षा सूचना साझा करना, सैन्य बातचीत और रक्षा व्यापार के समझौते शामिल हैं.

इस समझौते पर हस्ताक्षर का मतलब है कि भारत को अमरीकी से सटीक भू-स्थानिक (जियोस्पैशियल/जियोस्पैटिकल) डेटा मिलेगा जिसका इस्तेमाल सैन्य कार्रवाई में बेहद कारगर साबित होगा.

जहां इससे दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ेगा वहीं इस समझौते का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि अमरीकी सैटेलाइट्स से जुटाई गई जानकारियां भारत को साझा की जा सकेंगी. इसका रणनीतिक फ़ायदा भारतीय मिसाइल सिस्टम को मिलेगा.

इसके साथ ही भारत उन देशों की श्रेणी में भी शामिल हो जाएगा जिसके मिसाइल हज़ार किलोमीटर तक की दूरी से भी सटीक निशाना साध सकेंगे.

इसके अलावा भारत को अमरीका से प्रिडेटर-बी जैसे सशस्त्र ड्रोन भी उपलब्ध होंगे. हथियारों से लैस ये ड्रोन दुश्मन के ठिकानों का पता लगा कर तबाह करने में सक्षम हैं.

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