अमेरिकी विदेश मंत्री का भारत दौरा आज, चीन को सबक सिखाने के लिए ढूंढा जाएगा हल, जानिए कितनी अहम है 2+2 वार्ता? – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • 2+2 वार्ता के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर आज भारत आएंगे
  • नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ होने वाली यह बैठक अहम
  • बैठक में चीन का मसला सुलझाने के अलावा दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौता होगा

नई दिल्ली
पूर्वी लद्दाख में चीन का अड़ियल रवैया और दक्षिण चीन सागर में बढ़ती दखलअंदाजी का तोड़ निकालने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर आज भारत आएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ऐन पहले नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ होने वाली यह बैठक कई मायनों में अहम होगी। बैठक में चीन का मसला सुलझाने के अलावा दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौता होगा। इसके तहत दोनों देश बेसिक एक्‍सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्‍पेशियल कोऑपरेशन (BECA) पर हस्‍ताक्षर करेंगे।

क्या है टू प्लस टू वार्ता?
टू प्लस टू वार्ता से मतलब है- द्विपक्षीय बातचीत। यह दो देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली बैठक है। इस बैठक का फॉर्मेट जापान से निकला है जिसका मकसद दो देशों के बीच रक्षा सहयोग के लिए उच्च स्तरीय राजनयिक और राजनीतिक बातचीत को सुविधाजनक बनाना है।












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Indo-US 2+2 बैठक कब घोषित हुई थी?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2017 में अपनी पहली मुलाकात के दौरान 2+2 वार्ता की घोषणा की थी। सितंबर 2018 में नई दिल्ली में इस बैठक का पहला संस्करण आयोजित हुआ था जबकि पिछले साल दिसंबर में वॉशिंगटन में दूसरी बार वार्ता हुई थी।

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2+2 डायलॉग ने ओबामा प्रशासन में दोनों देशों के बीच होने वाली विदेश और वाणिज्य मंत्री स्तर बैठक की जगह ली है। भारत के अलावा अमेरिका QUAD समूह के दूसरे देश ऑस्ट्रेलिया और जापान से भी इस तरह की मंत्री स्तर की वार्ता आयोजित करता है।

चीन को कड़ा संदेश देगी बैठक
इस साल होने वाली 2+2 बैठक एक महत्वपूर्ण समय पर हो रही है। इस वक्त भारत पिछले 45 वर्षों में चीन के सबसे खराब रवैये से गुजर रहा है। ट्रंप सरकार अक्सर चीन के दूसरे देशों के साथ क्षेत्रीय विवाद और आक्रामक रुख की आलोचना करती रही है। एलएसी गतिरोध को लेकर हाल ही में माइक पॉम्पियो ने कहा था कि चीन के पास अपने पड़ोसी देशों को सीमा विवाद के लिए उकसाने का एक तरीका है लेकिन दुनिया को उसकी इस बदमाशी की इजाजत नहीं देनी चाहिए।


क्वॉड वार्ता के बाद भारत-अमेरिका की बैठक
2+2 मीटिंग से पहले पिछले दिनों जापान में क्वॉड वार्ता आयोजित हुई थी। क्वॉड चार देशों- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के समूह को कहा जाता है। इस मीटिंग ने चीन की टेंशन बढ़ाने का काम किया था। साथ ही भारत और यूएस के बीच बढ़ती सिक्यॉरिटी कॉर्पोरेशन को चीन हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी महत्वकांक्षा पर खतरे के रूप में देख रहा है।

बैठक में कोविड-19 वैक्सीन को लेकर चर्चा
इस बैठक में कोविड-19 को लेकर भी अहम चर्चा होने वाली है। बता दें कि अमेरिका भारत जैसे देशों के साथ कोरोना वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग और वितरण में सहयोग कर रहा है। कई कोरोना वैक्सीन कैंडिडेट का तीसरे फेज का ट्रायल शुरू हो गया है।












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Indo-US के बीच होगा BECA समझौता
बैठक में दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक समझौता होने जा रहा है। 2+2 मीटिंग में बेसिक एक्‍सचेंज ऐंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट फॉर जियोस्‍पेशियल कोऑपरेशन (BECA) पर हस्‍ताक्षर होंगे। लंबे वक्‍त से इसकी कोशिशें चल रही थी। अमेरिका के साथ BECA से भारत को बेहद सटीक जियोस्‍पेशियल डेटा मिलेगा जिसका सेना में बेहतरीन इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

क्या-क्या साझा करेंगे दोनों देश
BECA उन तीन मूल समझौतों में आखिरी है जो अमेरिका अपने खास सहयोगियों संग करता है। इससे संवेदनशील और क्‍लासिफाइड जानकारी साझा करने के रास्‍ते खुलते हैं। बाकी दो समझौते मिलिट्री लॉजिस्टिक्‍स और सिक्‍योर कम्‍युनिकेशंस के लिए हैं। BECA का मकसद नॉटिकल और एयरोनॉटिकल चार्ट्स समेत जियोस्‍पेशियल डेटा की साझेदारी है। अमेरिका के सटीक सैटेलाइट्स के डेटा से मिलिट्री ठिकानों को निशाना बनाने के साथ-साथ नेविगेशन में भी मदद मिलेगी।

BECA के तहत जो आइटम्‍स एक्‍सचेंज किए जा सकते हैं, उनमें मैप्‍स, नॉटिकल और एयरोनॉटिकल चार्ट्स, कॉमर्शियल व अन्‍य अनक्‍लासिफाइड इमेजरी, जियोडेटिक, जियो फिजिकल, जियो मैग्‍नेटिक और ग्रेविटी डेटा शामिल हैं। यह डेटा प्रिंट या डिजिटल फॉर्मेट में हो सकता है। BECA में क्‍लासिफाइड सूचनाएं साझा करने का भी प्रावधान है मगर पूरी सावधानी के साथ ताकि वह जानकारी किसी तीसरे के हाथ न लगे।












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