पिछली बार नाराज नीतीश ने DNA सैम्पल बोरियों में PMO भेजे थे, अब पहली बार उनके लिए प्रचार कर रहे मोदी

शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी बिहार में चुनाव प्रचार की शुरुआत करने पहुंचे। तीन रैली की, तीनों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौजूद थे। उन्हें तो रहना ही था, गठबंधन जो है। मंच पर दोनों में खूब गर्मजोशी भी दिखी और एक-दूसरे के लिए सम्मान भी।
राजनीतिक इतिहास में ये पहला मौका है जब सीएम नीतीश के लिए नरेंद्र मोदी प्रचार कर रहे हैं। यही नीतीश कभी नरेंद्र मोदी से प्रचार करवाने के सवाल पर कहा करते थे कि हमारे पास एक मोदी (सुशील मोदी) है तो दूसरे मोदी की क्या जरूरत है?
अब ठीक 5 साल पीछे चलते हैं। तब मोदी-नीतीश एक दूसरे पर हमलावर थे। 25 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में परिवर्तन रैली की शुरुआत की थी। पहली ही रैली में उन्होंने नीतीश के पॉलिटिकल DNA पर सवाल उठा दिए थे। याद आया?

तब के नीतीश ने इसे ही चुनावी मुद्दा बना दिया था। पूरे चुनाव के दौरान लाखों लोगों के DNA सैंपल बोरियों में बांध-बांधकर PMO भेजे गए। आखिरकार नीतीश-लालू की जोड़ी जीत गई।

1. 2010ः मोदी ने 5 करोड़ का चेक दिया, तो नाराज नीतीश डिनर किए बगैर चले गए
2008 में कोसी में आई बाढ़ के बाद भी उस वक्त गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 करोड़ दिया था। 2010 में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में गुजरात के कुछ एनजीओ ने ये विज्ञापन दिया कि कैसे बिहार की बाढ़ में गुजरात सरकार ने मदद की थी। इससे गुस्साए नीतीश ने पैसे वापस कर दिए थे। उस दौर में नीतीश मोदी के धुर विरोधियों में शामिल थे। उसी दिन भाजपा की तरफ से पटना में एक डिनर पार्टी रखी गई थी, जिसमें मोदी भी थे। नाराज नीतीश ये डिनर पार्टी छोड़कर चले गए थे।

2. 2013ः मोदी प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष बने, तो नीतीश ने 17 साल का रिश्ता तोड़ा
सितंबर 2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को 2014 के लिए भाजपा प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद जदयू ने भाजपा से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ लिया था।

3. 2014ः मोदी के पीएम बनने पर नीतीश ने बधाई तो दी, लेकिन इस्तीफा भी दे दिया
2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया, तो नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में नीतीश की जदयू पार्टी सिर्फ दो सीट ही जीत सकी। इसके बाद नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने। सीएम पद से इस्तीफे की घोषणा नीतीश ने फेसबुक पर की थी। इसी पोस्ट में उन्होंने मोदी को प्रधानमंत्री बनने की बधाई भी दी। तब सुशील मोदी ने तंज कसा था कि नीतीश फेसबुक पर ही प्रधानमंत्री को बधाई दे सकते हैं। फोन पर बधाई देने की उनकी हिम्मत नहीं है। हालांकि, ये पहली बार ही था जब नीतीश ने मोदी को बधाई दी थी। 2012 में जब मोदी तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे, तब भी नीतीश ने बधाई नहीं दी थी।

4. 2015ः मोदी ने कहा- इनके DNA में दिक्कत, तो नीतीश ने 50 लाख बिहारियों के DNA सैंपल पीएमओ भिजवाने का अभियान चलाया
जुलाई 2015 में मुजफ्फरपुर में एक रैली में पीएम मोदी ने ‘DNA’ पर बयान दिया था। जीतन राम मांझी की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा था, ‘जीतन राम मांझी पर जुल्म हुआ तो मैं बैचेन हो गया। एक चाय वाले की थाली खींच ली, एक गरीब के बेटे की थाली खींच ली। लेकिन जब एक महादलित के बेटे का सबकुछ छीन लिया गया तब मुझे लगा कि शायद DNA में ही गड़बड़ है।’

मोदी के इस बयान को नीतीश ने बड़ा मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा कि बिहार के 50 लाख लोग प्रधानमंत्री को अपना DNA सैंपल भेजेंगे। सितंबर 2015 तक ही 1 लाख से ज्यादा DNA सैंपल पीएमओ भेज दिए गए। हालांकि, पीएमओ ने इसे लिया नहीं। इसके बाद नीतीश ने तंज कसते हुए कहा था, नहीं चाहिए तो वापस कर दो। इस पूरे मामले पर नीतीश ने प्रधानमंत्री को खुला खत भी लिखा था।

5. 2017ः अंतरात्मा की आवाज पर लौटने की बात की, लेकिन नजदीकियां 7 महीने पहले से बढ़नी शुरू हो गईं
जुलाई 2017 में उस समय के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। सीबीआई ने जगह-जगह छापेमारी की। उसके बाद 26 जुलाई 2017 को नीतीश ने इस्तीफा दे दिया। नीतीश ने तब कहा था, ‘मौजूदा माहौल में मेरे लिए नेतृत्व करना मुश्किल हो गया है। अंतरात्मा की आवाज पर कोई रास्ता नहीं निकलता देखकर खुद ही नमस्कार कह दिया। अपने आप को अलग किया।’ इस्तीफा देने के एक दिन बाद ही नीतीश ने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई और छठी बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि, एनडीए में वापसी की ये कवायद जनवरी से ही शुरू हो गई थी, जब मोदी गुरु गोविंद सिंह की जयंती पर पटना गए थे। इसके बाद फरवरी में नीतीश के कमल में भरने की फोटो आई, उसके भी कई मायने निकाले गए।

नीतीश कुमार की यह तस्वीर फरवरी 2017 को 23वें पटना पुस्तक मेले के उद्घाटन की है। उस दौरान उन्होंने कमल के फूल के चित्र में रंग भरा था। इस तस्वीर के उस समय कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे थे।

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Source: DainikBhaskar.com

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