‘आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है’, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में और क्यों ये कहा – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • कर्ज के ब्याज पर लगने वाले ब्याज की माफी की योजना से जुड़े सर्कुलर के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर की डेडलाइन दी
  • मोरेटोरियम मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सर्कुलर जारी करने के लिए अभी एक और महीने का वक्त मांगा
  • उस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब फैसला लिया जा चुका है तो उसे लागू करने के लिए इतना समय क्यों चाहिए
  • कोर्ट ने कहा कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है, 2 नवंबर तक जारी करे इससे जुड़ा सर्कुलर

नई दिल्ली
मोरेटोरियम मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 2 करोड़ रुपये तक लोन पर ब्याज की छूट के मामले में सर्कुलर जारी करने के लिए 2 नवंबर तक की डेडलाइन तय की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है। केंद्र सरकार ने तमाम तरह की औपचारिकताओं का हवाला देते हुए फैसले को लागू करने के लिए एक महीने का वक्त मांगा। कोर्ट ने केंद्र की इस गुजारिश को ठुकराते हुए कहा कि जब फैसला पहले ही लिया जा चुका है तो उसे लागू करने में इतना ज्यादा वक्त क्यों लगना चाहिए? तीन सदस्यीय पीठ के सदस्य जस्टिस एमआर शाह ने कहा, ‘आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है।’

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि मोरेटोरियम अवधि के लिए दो करोड़ तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज की छूट के मामले में 15 नवंबर तक सर्कुलर जारी कर दिया जाएगा। तब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर इस फैसले को लागू करने के लिए इतना वक्त क्यों चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए दो नवंबर की तारीख तय की है ताकि सरकार सर्कुलर और आदेश जारी कर पाए। अदालत ने कहा कि आम लोगों की दिवाली सरकार के हाथों में है।

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सुप्रीम कोर्ट में इससे पहले केंद्र सरकार ने हलफनामा देकर कहा था कि दो करोड़ तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज में छूट के अलावा और कोई राहत देना असंभव है। सुप्रीम कोर्ट ने 5 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और आरबीआई से कहा था कि वह वह केवी कामथ कमिटी की सिफारिशों को रेकॉर्ड में पेश करे। सिफारिश के बाद से आरबीआई और केंद्र सरकार ने लोन मोरेटोरियम से लेकर तमाम नोटिफिकेशन और सर्कुलर जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तमाम फैसले और सर्कुलर का डीटेल रेकॉर्ड में पेश किया जाए। बुधवार की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो नवंबर के लिए टाल दी है।


मोरेटोरियम मामले की सुनवाई के मुख्य अंश

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: ब्याज पर ब्याज की छूट कैसे दी जाए इसको सरकार देख रही है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण: दो करोड़ तक के लोन पर जिन कैटगरी को ब्याज पर ब्याज की छूट का फैसला किा गया है उसे जल्दी लागू किया जाना चाहिए।

सॉलिसिटर जनरल: सरकार द्वारा इसे प्रभावी करने के लिए 15 नवंबर तक सर्कुलर जारी कर दिया जाएगा।

जस्टिस भूषण: दो करोड़ तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज की छूट को लागू करने के लिए सर्कुलर जल्दी जारी किया जाए।

सॉलिसिटर जनरल: 15 नवंबर तक या उससे पहले सर्कुलर जारी हो जाएगा।

जस्टिस अशोक भूषण: आखिर आपको (केंद्र सरकार) अपने फैसले लागू करने के लिए इतना वक्त क्यों चाहिए? ये सही नहीं है कि केंद्र सरकार इसे लागू करने के लिए एक महीने का वक्त ले रही है। आप आम आदमी की स्थिति को देखिए जिनकी आप सहायता कर रहे हैं। उनके दिमाग में है कि सरकार ने सहायता की है उसका परिणाम वह देखना चाहते हैं। मोरेटेरियम अवधि के लिए जब दो करोड़ तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज की छूट देने का सरकार ने फैसला कर लिया है तो फिर आदेश को प्रभावी करने के लिए सर्कुलर जारी करने में देरी क्यों।

सॉलिसिटर जनरल: हम देरी अपने फायदे के लिए नहीं कर रहे हैं। हमें वक्त इसलिए चाहिए ताकि ब्याज का हिसाब हो सके जिसका भुगतान हमें (सरकार) को करना है। कई औपचारिककताएं हैं। हित धारकों से बात करनी है, ब्याज का आंकलन करना है। 15 नवंबर आखिरी सीमा तय की गई है।

जस्टिस भूषण: क्या औपचारिकताएं हैं कि एक महीने लग जाएंगे?

बैंक असोसिएशन के वकील हरीश साल्वे: कई मुद्दे होते हैं।

जस्टिस भूषण: ये सही नहीं है बल्कि जल्दी सर्कुलर जारी होना चाहिए। हमने आपको पर्याप्त समय दिया था। सरकार को अपने फैसले को प्रभावी करने के लिए सर्कुलर जारी करने में देरी नहीं करना चाहिए ये आम लोगों के हित में नहीं है।

जस्टिस एमआर शाह: आम आदमी की दिवाली अब आपके (सरकार) के हाथों में है।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई दो नवंबर के लिए टाल दी ताकि सरकार सर्कुलर और आदेश जारी कर सके।












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जानें क्या है पूरा मामला
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाया था। उस समय उद्योग धंधे पूरी तरह बंद थे। इसीलिए कारोबारियों और कंपनियों के लिए कई मुश्किलें खड़ी हो गई। कई लोगों की नौकरियां चली गईं। ऐसे में लोन की किस्तें चुकाना मुश्किल था। ऐसे में रिजर्व बैंक ने लोन मोरेटोरियम की सहूलियत दी थी। यानी लोन पर किस्तें टाल दी गई थीं। किसी लोन पर मोरेटोरियम का लाभ लेते हुए किस्त नहीं चुकाई तो उस अवधि का ब्याज मूलधन में जुड़ जाएगा। यानी अब मूलधन+ब्याज पर ब्याज लगेगा। इसी ब्याज पर ब्याज का मसला सुप्रीम कोर्ट में है।

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