आईसीएमआर ने पहली बार माना- भारत में 3 लोगों को दूसरी बार कोरोना हुआ, 100 दिन बाद संक्रमित हुए तो लिस्ट से बाहर होंगे

डॉयचे वेले से. आईसीएमआर ने भारत में कोविड-19 के दूसरी बार होने की पहली बार पुष्टि की है। उसने कहा है कि दोबारा संक्रमण होने के भारत में तीन और दूसरे देशों में कुल 24 मामले सामने आए हैं। आईसीएमआर भारत में कोरोनावायरस के रोकथाम की गाइडलाइन और रणनीति तय करने वाली सबसे बड़ी संस्था है।

हालांकि देश में कई अस्पताल और शोध संस्थान इस बात को पहले ही बता चुके हैं, जिनमें लोगों को कोरोना से ठीक हो जाने के कुछ ही दिन बाद दोबारा संक्रमण हो गया। कई रिसर्च में यह भी पाया जा चुका है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों के शरीर में एंटीबॉडीज कुछ ही हफ्तों में नष्ट हो गई।

आईसीएमआर ने पहली बार इन संभावनाओं को गंभीरता से लिया है। भारत में दो मामले मुंबई और एक अहमदाबाद में सामने आए हैं। आईसीएमआर के प्रमुख बलराम भार्गव का कहना है कि इसे और समझने के लिए अध्ययन अभी चल रहा है।

भार्गव के मुताबिक दोबारा संक्रमण होने के मामले को पहचानने के लिए कितने दिनों का फासला होना चाहिए, यह अभी तक WHO ने भी तय नहीं किया है। आईसीएमआर अभी लगभग 100 दिनों को कट-ऑफ मान के चल रहा है। इसका मतलब है कि यदि कोविड-19 से ठीक हुए किसी व्यक्ति को 100 दिनों के बाद फिर से कोरोना हो जाता है तो उसे दोबारा संक्रमण का मामला नहीं माना जाएगा।

दोबारा कोरोना होने का मतलब है एंटीबॉडीज खत्म हो गई

दोबारा कोरोना होने का मतलब है कि पहली बार संक्रमण से ठीक होने के बाद मरीज के शरीर में जो एंटीबॉडीज बनी थी वो नष्ट हो गई। लैंसेट मैगजीन ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका में एक व्यक्ति के दोबारा संक्रमित हो जाने का ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें दूसरी बार संक्रमित होने पर पहली बार से ज्यादा गंभीर लक्षण पाए गए।

पहली बार दोबारा संक्रमित होने का मामला हांगकांग में आया था

पहले एक्सपर्ट यह उम्मीद कर रहे थे कि दोबारा कोरोना यदि हो भी रहा है तो बीमारी के लक्षण पहली बार के मुकाबले हल्के होंगे, लेकिन लैंसेट की रिपोर्ट इस धारणा को भी चुनौती दे रही है। अगस्त में पहली बार हांगकांग में एक व्यक्ति के कोविड-19 से ठीक हो जाने के बाद दोबारा संक्रमित हो जाने के मामले की पुष्टि हुई थी।

रिसर्च में मालूम चला कि 7 सप्ताह बाद कोई एंटीबॉडी नहीं मिली

अगस्त में ही मुंबई में हुए एक शोध में पता चला था कि शरीर में एंटीबॉडी बनने के बाद, वो संभवतः 50 दिनों तक ही रहती है। यह रिसर्च जेजे अस्पताल ने अपने 801 स्वास्थ्यकर्मियों पर सीरो सर्वे के जरिए किया था। इन कर्मचारियों से 28 को अप्रैल-मई में कोरोना हुआ था। 7 सप्ताह बाद जून में किए गए सीरो सर्वे में इनके शरीर में कोई एंटीबॉडी नहीं मिली।

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अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना से उबरा मरीज अगर सावधानी नहीं बरतता है तो वह दोबारा चपेट में आ सकता है। दूसरी बार संक्रमित होने वाले मरीजों को खतरा ज्यादा है।

Source: DainikBhaskar.com

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