कभी कांग्रेस ने बैन करवा दिए थे सिंगर के गाने, कभी खुद घर के बाहर लगा दिया था ‘किशोर से सावधान’ का बोर्ड

बॉलीवुड डेस्क. किशोर कुमार को गुजरे 33 साल हो गए हैं। 13 अक्टूबर 1987 को 58 साल की उम्र मुंबई में उनका निधन हुआ था। जितनी बेहतरीन किशोर दा की आवाज थी, उतने ही रोचक उनकी जिंदगी के किस्से हैं। ऐसे ही चार किस्सों पर एक नजर:-

किस्सा नं. 1: कांग्रेस ने लगा दिया था बैन

बात 80 के दशक में तब की है, जब देश में आपातकाल लगा हुआ था। उसी दौरान कांग्रेस ने किशोर कुमार से एक गीत गाने की गुजारिश की, जिसके लिए वे तैयार नहीं हुए। इस बात से कांग्रेस को इतनी ठेस लगी कि उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो पर किशोर दा के गीतों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन पर बैन लगाने वाले कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ल की बाद में नक्सली हमले में मौत हो गई थी।

किस्सा नं. 2 : बी. आर. चोपड़ा के सामने रखी थी अजीब शर्त

किशोर दा के ‘विनोदी’ स्वभाव का शिकार एक बार मशहूर फिल्मकार बलदेव राज चोपड़ा भी हुए थे। किशोर के भाई अशोक कुमार और बीआर चोपड़ा शुरू से ही दोस्त थे। लेकिन जब पारिवारिक रिश्ते के चलते किशोर चोपड़ा के पास काम मांगने गए तो उन्होंने कुछ शर्तें रख दी। इसके बाद किशोर ने कहा कि आज मेरा बुरा वक्त है तो आप शर्त रख रहे हैं, जब मेरा वक्त आएगा तो मैं शर्त रखूंगा।

किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ। बचपन में उनका नाम आभास कुमार गांगुली था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना नाम बदलकर किशोर कुमार रख लिया।

इस बात को बाकी सब तो भूल गए थे, लेकिन किशोर दा नहीं। जब बीआर चोपड़ा उनके पास अपनी एक फिल्म के लिए आए तो किशोर ने शर्त रख दी। किशोर की शर्त थी कि आप धोती पहनने के साथ ही अपने पैरों में मोजे और जूते डालकर आएं! मुझे साइन करने के लिए पान खाकर आइए। वह भी ऐसे कि लार टपकी हुई हो, जिससे आपका मुंह लाल-लाल नजर आए। दिलचस्प बात यह है कि चोपड़ा न तो पान खाते थे और न ही धोती पहनते थे।

किस्सा नं.3 : जब ऋषिकेश मुखर्जी को वाचमैन ने भगा दिया था

एक बार की बात है। एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में जाने-माने निर्देशक किशोर कुमार से मिलने उनके घर गए थे, लेकिन उनके वाचमैन ने उन्हें घर में घुसने से रोक दिया था और बेइज्जत करके भगा दिया था। दरअसल, ऐसा एक कंफ्यूजन के चलते हुआ था।

किशोर के.एल.सहगल के गानों से प्रभावित थे और उन्हीं की तरह गायक बनना चाहते थे। सहगल से मिलने की चाह लिए किशोर कुमार 18 साल की उम्र मे मुंबई पहुंचे लेकिन उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पाई।

किशोर कुमार ने एक बंगाली ऑर्गनाइजर के लिए शो किया थ, जिसने उन्हें पैसे नहीं चुकाए थे। गुस्से में आकर किशोर कुमार ने अपने गेट कीपर को सख्त हिदायत दे रखी थी कि अगर कोई बंगाली बाबू घर पर आए तो उसे भगा देना। ऋषिकेश मुखर्जी भी बंगाली थे। गेटकीपर ने उन्हें वही स्टेज शो ऑर्गनाइजर समझकर भगा दिया था।

किस्सा नं. 4 किशोर कुमार से सावधान

लोग अक्सर घरों में कुत्ते से सावधान का बोर्ड लगाते हैं, लेकिन किशोर कुमार ने अपने घर के बाहर ‘किशोर कुमार से सावधान’ का बोर्ड लगवा कर रखा था। एक बार प्रोड्यूसर-डायरेक्टर एचएस रवैल उन्हें पैसे चुकाने घर गए। पैसे देने के बाद जब वह किशोर कुमार से हाथ मिलाने लगे तो उन्होंने रवैल का हाथ मुंह में डाला और काटने लगे, यह देखकर रवैल सकपका गए तो किशोर बोले-क्या आपने साइनबोर्ड नहीं देखा?

किस्सा नं. 5: सीन खत्म होने के बावजूद घंटों बैठे रहे कार में

किशोर कुमार की अजीबोगरीब हरकतों से परेशान एक डायरेक्टर ने कोर्ट की मदद मांगी थी।उसने बाकायदा कोर्ट से एक एग्रीमेंट लिया, ताकि अगर शूटिंग के दौरान किशोर उनकी बात न मानें तो वह उनपर केस कर सके। अगले दिन जब किशोर शूटिंग के लिए सेट पर पहुंचे और जैसा डायरेक्टर ने कहा वैसा ही करते रहे।

किशोर के बड़े भाई अशोक कुमार ने एक इंटरव्यू में बताया थाकि बचपन में किशोर की आवाज फटे बांस की तरह थी। एक बार उनका पांव सब्जी काटने वाली दराती पर पड़ गया, जिससे उनके पैर की अंगुली कट गई। डॉक्टर्स ने उंगली का इलाज तो कर दिया, लेकिन दर्द नहीं गया। वे कई दिनों तक जोर-जोर से रोते रहे। इसके चलते किशोर दा का ऐसा रियाज हुआ कि उनकी आवाज बदल गई।

एक शॉट के दौरान वह कार से सिर्फ इसलिए बाहर नहीं निकले, क्योंकि डायरेक्टर ने उन्हें बाहर निकलने के लिए नहीं बोला था। इसी फिल्म के एक और कार सीन में डायरेक्टर ने समझाया था-आपको कार से थोड़ी दूर तक जाना है और फिर उतर जाना है, सीन कट हो जाएगा। लेकिन किशोर दा कार से नहीं उतरे। उधर डायरेक्टर इंतजार करता रहा। अगले दिन पता चला कि वह कार से खंडाला चले गए थे।

किस्सा नं. 6: घर में लगवा रखे थे खोपड़ी और हड्डियां

किशोर दा को लाइमलाइट में रहना और मीडिया अटेंशन पाना बिलकुल पसंद नहीं था। वह एकांत में समय बिताना पसंद करते थे और इंटरव्यू देने से नफरत करते थे। लोग उनसे मिलने कम आएं, इसलिए उन्होंने अपने घर के लिविंग रूम में खोपड़ी और हड्डियां लगवा ली थीं। साथ ही कमरे में रेड लाइट लगा रखी थी। ख़ास बात यह है कि खुद किशोर हॉरर फिल्में देखने से डरते थे।

1948 में पढ़ाई अधूरी छोड़कर किशोर इंदौर से मुंबई चले गए थे। लेकिन उस पर क्रिश्चियन कॉलेज के कैंटीन वाले के 5 रुपए और 12 आने उधार रह गए। कहा जाता है कि ‘चलती का नाम गाड़ी’ (1958) का मशहूर गीत “पांच रुपैया बारह आना…” का मुखड़ा उधारी की इसी रकम से प्रेरित था।

किस्सा नं. 7. आधा पैसा-आधा काम

एक बार की बात है किशोर कुमार किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और प्रोड्यूसर ने उन्हें आधे ही पैसे दिए थे। कहते हैं कि इससे खिन्न होकर किशोर आधा मेक-अप करके ही शूटिंग सेट पर आ गए। जब डायरेक्टर ने उनसे पूरा मेक-अप करने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि ‘आधा पैसा, आधा काम। पूरा पैसा, पूरा काम’।

किस्सा नं. 8. हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार

किशोर कुमार की जिंदगी का एक मजेदार किस्सा फिल्म निर्माता आर. सी. तलवार से जुड़ा हुआ है। एक बार वे उनके साथ काम कर रहे थे, लेकिन आर. सी तलवार ने उन्हें आधे पैसे दिए। फिर क्या किशोर दा तो थे ही अपने उसूल के पक्के, वे रोज सुबह तलवार लेकर निर्माता के घर के सामने पहुंच जाते थे और जोर-जोर से चिल्लाने लगते थे, “हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार… हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार…।”

किशोर कुमार ने चार शादियां की थीं। बावजूद इसके वे अकेलापन महसूस करते थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि यहां कोई किसी का दोस्त नहीं है। वे कहते थे कि दोस्त बनाने की बजाय पेड़ों से बात करना बेहतर है। कथिततौर पर किशोर कुमार पेड़ों से बात किया करते थे।

Kishore Kumar Death Anniversary: Interesting Stories About Legendary Singer

Source: DainikBhaskar.com

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