फारूक अब्दुल्ला के बयान को देशद्रोह से जुड़ा मामला बता रहे हैं जानकार – अमर उजाला

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को अनुच्छेद 370 को लेकर जो विवादित बयान दिया है, उसे गैर जिम्मेदाराना ही कहा जाएगा। ऐसा बयान देकर वे किसके लिए गड्ढा खोद रहे हैं, ये समझ से परे है। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक और सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) ने यह बात कही है। उनका कहना है कि फारूक अब्दुल्ला कोई सामान्य सांसद नहीं हैं। उनके परिवार ने जम्मू-कश्मीर पर राज किया है। मौजूदा पीढ़ी में वे और उनके बेटे मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके खिलाफ संसद में विशेषाधिकार प्रस्ताव लाया जाना चाहिए।

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केंद्र सरकार को उनके खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करना चाहिए। अब्दुल्ला ने अपने बयान में कहा था कि एलएसी पर जो भी तनाव के हालात बने हैं, उसका जिम्मेदार केंद्र का वह फैसला है, जिसके मार्फत जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया था। चीन ने कभी भी अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले का समर्थन नहीं किया है। उम्मीद है कि इसे (अनुच्छेद 370) को चीन की मदद से दोबारा बहाल कराया जा सकेगा। दूसरी ओर, उनके इस बयान को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय में अभी कार्रवाई जैसी कोई बात नहीं हो रही।

जम्मू में रह रहे कैप्टन अनिल गौर (रिटायर्ड) कहते हैं कि जो व्यक्ति सांसद और मुख्यमंत्री रहा हो, उससे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं की जाती। ये तोड़ने वाला बयान है। जम्मू-कश्मीर, किस मुश्किल के दौर से बाहर निकल रहा है, ये सब जानते हैं। ऐसे समय में, वो भी एक सुलझा हुआ राजनेता यह बयान दे रहा है तो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। अब्दुल्ला की आदत रही है कि वे कुर्सी पर जब विराजमान होते हैं तो कुछ बोलते हैं और कुर्सी छिनते ही उनकी भाषा बदल जाती है। उनके इस बयान को आम जनता कैसे लेगी, ये सोचने वाली बात है। उन्होंने ये कभी नहीं कहा कि चीन में मुस्लिम समुदाय पर जो अत्याचार हो रहे हैं, वह निंदनीय है। अब्दुल्ला के खिलाफ कार्रवाई जरुरी है।

पूर्व आईपीएस और केंद्रीय सूचना आयुक्त रहे यशोवर्धन आजाद कहते हैं, इसे हम केवल गैर जिम्मेदाराना बयान ही कह सकते हैं। इसका कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। वे कई बार भावावेश में आकर ऐसे बयान दे जाते हैं। उन्हें खुद नहीं पता होता कि वे क्या कह गए हैं। इस तरह की बयानबाजी पर सोचना ही नहीं चाहिए। न सरकार को और न ही जनता व मीडिया को। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि पूर्व सीएम अब्दुल्ला के बयान पर अभी कोई रिपोर्ट नहीं मांगी गई है।

गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी के अनुसार, पांच अगस्त 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं और पत्थरबाजी के पंजीकृत मामलों में पचास फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जम्मू-कश्मीर में सात जुलाई 2018 से लेकर चार अगस्त 2019 तक आतंकी घटनाओं में 54 नागरिक मारे गए थे। अनुच्छेद 370 हटाने के बाद 45 लोगों की मौत हुई है। सात जुलाई 2018 से लेकर चार अगस्त 2019 तक आतंकी घटनाओं में 125 सुरक्षा कर्मी शहीद हो गए थे।

इसके बाद पांच अगस्त 2019 से लेकर 31 अगस्त 2020 तक 49 कर्मी शहीद हुए हैं। उक्त अवधि में पत्थरबाजों के पंजीकृत मामलों की संख्या 703 तक पहुंच गई थी, जबकि गत वर्ष पांच अगस्त से लेकर इस साल 31 अगस्त तक पत्थरबाजी के 310 केस दर्ज हुए हैं। आतंकवादी रोधी ऑपरेशनों में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा होने के बाद 200 से अधिक आतंकी मारे जा चुके हैं। पांच अगस्त 2019 से एक वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं की संख्या 443 थी, जबकि पिछले साल अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद 206 आतंकी घटनाएं देखने को मिली हैं।

जम्मू-कश्मीर के युवाओं को मुख्यधारा में लाने के लिए, सीएपीएफ के सिविक एक्शन प्रोग्राम के साथ साथ ‘वतन को जानो कार्यक्रम’, स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम व खेलकूद इत्यादि का विशेष जोर दिया जा रहा है। अब वहां पर बैक टू विलेज कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसमें अधिकारी गांव में जाकर लोगों के बीच रुकते हैं। उनकी बात सुनते हैं। मौके पर ही समस्याओं का हल तलाशा जाता है।

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