भारत ने 9 अक्टूबर को पहली स्वदेशी एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रम का टेस्ट किया, जो सफल रहा। यह मिसाइल इंडियन एयर फोर्स के लिए बनाई गई है। यह टेस्ट सुखोई-30 एमकेआई जेट से ओडिशा के बालासोर स्थित इंटिग्रेटेड टेस्ट रेंज पर किया गया।
इस मिसाइल को भारतीय परंपरा को कायम रखते हुए संस्कृत शब्द रुद्रम दिया गया, क्योंकि इसमें ARM (एंटी-रेडिएशन मिसाइल) भी शामिल है। इस शब्द के कई अर्थ हैं। इनमें एक अर्थ दुखों को दूर करने वाला है। सही मायनों में रुद्रम मिसाइल हवाई युद्ध में दुखी करने वाले दुश्मन के राडार को उड़ाकर अपने नाम को सही साबित कर सकती है।
आइए जानते हैं, क्या है रुद्रम? हवाई युद्ध में किस तरह यह मिसाइल इंडियन एयर फोर्स के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकती है?
New generation first indigenous Anti-Radiation Missile RUDRAM developed by @DRDO_India for Indian Air Force successfully flight tested today onto a radiation target located on Wheeler Island off the coast of Odisha. The missile was launched from SU-30 MKI fighter aircraft. pic.twitter.com/RQWJUFxdwP
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) October 9, 2020
यह एंटी-रेडिएशन मिसाइल क्या होती है?
- एंटी-रेडिएशन मिसाइल दुश्मन के एयर डिफेंस राडार को डिटेक्ट, लोकेट और तबाह करती है। अक्सर इन मिसाइल्स को स्पेशलिस्ट एयरक्राफ्ट से जोड़ा जाता है ताकि SEAD (सप्रेशन ऑफ एनमी एयर डिफेंस यानी दुश्मन के एयर डिफेंस को तबाह करना) मिशन में इस्तेमाल किया जा सके।
- यह सिर्फ राडार को ही डिटेक्ट नहीं करती, बल्कि एयर डिफेंस सिस्टम के अन्य कम्पोनेंट्स कम्युनिकेशन असेट्स और अन्य रेडियो फ्रीक्वेंसी सोर्सेस को भी डिटेक्ट कर तबाह करती है। मिसाइल में इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम होता है, जो कंप्यूटराइज्ड होता है और ऑब्जेक्ट की पोजिशन के मुताबिक बदलता रहता है। साथ ही सैटेलाइट-बेस्ड जीपीएस से भी जुड़ा होता है।
- डीआरडीओ के अधिकारियों का कहना है कि रुद्रम मिसाइल ने एक बार टारगेट लॉक किया तो वह रेडिएशन सोर्स बंद होने के बाद भी सटीकता के साथ उसे निशाना बना सकता है। इसे 500 मीटर से 15 किमी की ऊंचाई से लॉन्च किया जा सकता है। इसमें टारगेट को लॉन्च करने से पहले और बाद में लॉक करने की सुविधा है।
रुद्रम को किस तरह डेवलप किया गया है?
- रुद्रम एयर-टू-सरफेस मिसाइल है, जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने बनाया है। डीआरडीओ ने एंटी-रेडिएशन मिसाइल बनाने का काम आठ साल पहले शुरू किया था। इसके लिए डीआरडीओ की अलग-अलग फैसिलिटी के साथ ही एयर फोर्स और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स को भी जोड़ा गया था।
- फिलहाल इसे सुखोई-30 MKI से टेस्ट किया गया है। इसे रफाल जैसे अन्य फाइटर जेट्स के साथ ही जोड़ा जा सकता है। चूंकि, मिसाइल को बेहद कॉम्प्लेक्स और सेंसिटिव फाइटर जेट्स से लॉन्च किया जाता है, इसे बनाने में कई चुनौतियां भी आईं।
हवाई युद्ध में इसका होना कितना महत्वपूर्ण है?
- रुद्रम को SEAD मिशन की क्षमता को बेहतर बनाने के लिए किया गया है। इस तरह के मिशन आम तौर पर दुश्मन के राडार को तबाह करने और अपने विमानों की मारक क्षमता बढ़ाने के साथ ही उनका सरवाइल बढ़ाने में मदद करते हैं।
- दुश्मन के वार्निंग राडार, कमांड और कंट्रोल सिस्टम, रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करने वाले सर्विलांस सिस्टम और एंटी-एयरक्राफ्ट हथियारों से कनेक्टेड कम्युनिकेशन सिस्टम को तबाह करना किसी भी युद्ध में जीत की पहली सीढ़ी माना जा सकता है।
क्या चीन और पाकिस्तान के खिलाफ रुद्रम हमारी स्थिति को मजबूत करेगा?
- एक्सपर्ट्स की मानें तो चीन और पाकिस्तान के लिए कोई बहुत बड़ी चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। चीन के पास तो पहले ही इस तरह की मिसाइल्स हैं। हां, लेकिन यह भारत को हवाई युद्धों में और ताकतवर बना देगा। इससे पहले भी डीआरडीओ ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य संघर्ष के बीच कई टेस्ट किए हैं।
- इसमें स्वदेशी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV), विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल (400-किमी रेंज), परमाणु हथियार ले जाने में कैपेबल शौर्य बैलिस्टिक मिसाइल (750-1,000 किमी), लेजर-गाइडेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (SMART) हथियार सिस्टम शामिल हैं।
क्या भारत एंटी-रेडिएशन मिसाइल बनाने वाला पहला देश है?
- नहीं। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और ईरान के पास पहले से ही अपनी एंटी-रेडिएशन मिसाइलें हैं। अमेरिका के पास 35 साल से AGM-88 HARM है। यह एयर क्रू के कम से कम इनपुट के साथ राडार एंटिना को तबाह करता है।
- ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स की एयर-लॉन्च एंटी रेडिएशन मिसाइल (ALARM) का इस्तेमाल भी दुश्मन के खिलाफ SEAD मिशन में होता है। सोवियत मिसाइल Kh-58 की रेंज 120 किमी की है और इसमें स्पेसिफिक एयर डिफेंस राडार को टारगेट करने की क्षमता है।
- ताईवान की Sky या TC-2 एक मीडियम-रेंज राडार-गाइडेड एयर-टू-एयर मिसाइल है, जो मल्टीपल टारगेट्स को निशाना बना सकती है। ईरान नेवी की Hormuz-2 बैलिस्टिक एंटी-रेडिएशन मिसाइल समुद्र में दुश्मन को तबाह करने में कारगर है। इसकी रेंज 300 किमी के करीब है।
- चीन ने AEW और AWACS टारगेट्स से मुकाबला करने के लिए FT-2000 सिस्टम बनाया है। यह सिस्टम HQ-9 पर आधारित है जो S-300PMU से संचालित होता है। इन एंटी-रेडिएशन मिसाइलों की मार्केटिंग पाकिस्तान समेत कई देशों में की जा चुकी है।

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Source: DainikBhaskar.com