न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Updated Fri, 09 Oct 2020 05:40 PM IST
सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : पेक्सेल्स
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मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम) मिलिंद भरांबे ने बताया कि हंसा रिसर्च ग्रुप की एफआईआर में इंडिया टुडे का नाम था। लेकिन, गुरुवार को गिरफ्तार किए गए दो आरोपियों में से एक ने पूछताछ में रिपब्लिक टीवी और दो मराठी चैनलों का नाम लिया था। अभी तक की जांच में इन तीनों चैनल के खिलाफ सबूत मिले हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल जांच जारी है और आगे मिलने वाले सबूतों के आधार पर जांच आगे बढ़ेगी।
क्या होती है टीआरपी, चैनल को नंबर वन बनाने में क्या है इसकी भूमिका, जानें सबकुछ
बता दें कि गुरुवार को मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने टीआरपी मामले को लेकर एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया था। उन्होंने वार्ता के दौरान दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी और दो मराठी चैनल फर्जी टीआरपी पाने के खेल में शामिल थे। सिंह ने कहा था कि ये चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़वा रहे थे। इस मामले में पूछताछ के लिए मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के कंसल्टिंग एडिटर प्रदीप भंडारी को समन भी भेजा है।
मुंबई पुलिस का दावा: पैसे देकर टीआरपी खरीदने का काम कर रहा था रिपब्लिक टीवी
उधर रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी ने मुंबई पुलिस के आरोपों को झूठा करार दिया है। गोस्वामी ने कहा कि मुंबई पुलिस ने झूठे आरोप लगाए हैं क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में हमने उनकी जांच पर सवाल खड़े किए थे। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) की रिपोर्ट में रिपब्लिक टीवी का जिक्र नहीं है। गोस्वामी ने कहा कि मुंबई पुलिस माफी मांगे या अदालत में सामना करने के लिए तैयार रहे।