सुतापा ने नोबेल विजेता की कविता से बताया विधवा का दर्द, लिखा- हर रोज विधवाएं-अनाथ पैदा होते हैं, हाथ बांधे कब्रिस्तानों में अपना भविष्य सोचते हैं

एक्टिंग में अलग ही मुकाम रखने वाले इरफान की मौत को 5 महीने से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है। उनका बेटा बाबिल लगातार सोशल मीडिया पर पिता की यादें शेयर करता रहता है। अब इरफान की पत्नी सुतापा सिकदर ने फेसबुक पर बेहद भावुक पोस्ट की है। यह एक नोबल प्राइज विनर राइटर लुइस ग्लक्स की कविता है। इसमें एक विधवा के दर्द और उसके मन की हालत का जिक्र किया गया है।

सुतापा ने जो कविता लिखी है वो कुछ इस तरह है-

मैं आपको कुछ बताऊंगी: हर दिन लोग मर रहे हैं और यह सिर्फ शुरुआत है।
हर दिन, श्मशानों में, नई विधवाओं नए अनाथों का जन्म होता है,
वे हाथ जोड़कर बैठ हुए इस नए जीवन के बारे में फैसला करने की कोशिश करते हैं।

फिर वे कब्रिस्तान में होते हैं उनमें से कुछ पहली बार वहां हैं। वे रोने से डरते हैं,
कभी रोने का नहीं। कोई उन्हें सहारा देकर यह बताता है कि आगे क्या करना है,
जिसका मतलब हो सकता है कभी-कभी कुछ शब्द कहना फिर खुली कब्र में मिट्टी फेंकना।

और उसके बाद वो घर जो आगंतुकों से भरा होता है खाली है सभी वापस चले जाते हैं,
विधवा सोफे पर बैठी है, लोग लाइन में लगे हैं, कभी उसका हाथ थामते हैं, कभी गले लगाते हैं। वह हर एक से कहने के लिए कुछ खोजती है,उन्हें धन्यवाद देती है, उनके आने के लिए धन्यवाद देती।

उसके दिल में कुछ है, वह चाहती है कि वे चले जाएं। वह कब्रिस्तान में वापस आना चाहती है,वापस उसकी बीमारी में वाले कमरे में, अस्पताल में। वो जानती है यह संभव नहीं है।
लेकिन यह उसकी एकमात्र आशा है, पीछे जाने की इच्छा है। और बस थोड़ा सा नहीं, न शादी तक बल्कि पहले किस तक

Irrfan Khan’s Wife sutapa Shares A Heart-Breaking Poem About A Widow’s Pain

Source: DainikBhaskar.com

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