भीमा कोरेगांवः आनंद तेलतुंबड़े, स्टेन स्वामी माओवादियों के इशारे पर काम करते थे – NIA सप्लीमेंट्री चार्जशीट – BBC हिंदी

भीमा कोरेगांव मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दूसरी सप्लिमेंट्री चार्टशीट झारखंड से गिरफ़्तार किए गए सोशल एक्टिविस्ट फ़ादर स्टेन स्वामी, प्रोफ़ेसर आनंद तेलतुंबड़े, दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर हनी बाबू, गौतम नवलखा और क्लचरल ग्रुप कबीर कला मंच के तीन सदस्य ज्योति जगतप, सागर गोरखे और रमेश गायचोर सहित आठ लोगों के ख़िलाफ़ दायर की है. ये सप्लीमेंट्री चार्जशीट 10 हज़ार पन्नों की है.

एनआईए ने अपने बयान में कहा है कि, “जाँच के दौरान ये पाया गया है कि आनंद तेलतुंबड़े, गौतम नवलखा, हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गायचोर, ज्योति जगतप और स्टेन स्वामी ने अन्य अभियुक्तों के साथ मिलकर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की विचारधारा का प्रचार प्रसार करने की साज़िश रची, हिंसा भड़काई, लोगों में सरकार के ख़िलाफ़ नफ़रत और असंतोष पैदा किया. धार्मिक और जातिय समूहों के बीच वैमन्यस्य पैदा किया. फ़रार अभियुक्त मिलिंद तेलतुंबड़े ने अभियुक्तों को हथियारों की ट्रेनिंग देने के लिए ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया.”

चार्जशीट कहती है, ”आनंद तेलतुंबड़े जो गोवा में रहते हैं वो भीमा कोरगांव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान के मौक़े पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवार वाड़ा में मौजूद थे. जहां एल्गार परिषद के कार्यक्रम का आयोजन किया गया. उन्होंने अन्य माओवादी कैडर्स के साथ मिलकर फ़ंड पाने से लेकर गतिविधियों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई.”

”जाँच में गौतम नवलखा के भी माओवादियों के संपर्क में होने की भूमिका सामने आई है. उन्हें बुद्धिजीवियों को सरकार के ख़िलाफ़ जुटाने का काम सौंपा गया था. वह किसी फ़ैक्ट फ़ाइडिंग कमेटी का हिस्सा थे और उन्हें सीपीआई (माओवादी) की ओर से गोरिल्ला युद्ध के लिए भर्ती करने का काम सौंपा गया था. नवलखा के तार इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस यानी आईएसआई (पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी) के साथ भी जुड़े हुए पाए गए हैं.”

”हनी बाबू, दिल्ली यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफ़ेसर विदेशी पत्रकारों के दौरे सीपीआई (माओवादी) के इलाक़े में कराने का काम करते थे. उन्हें रिवॉल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ़ंड ( आंध्र प्रदेश की प्रतिबंधित संस्था) के कुछ कार्य सौंपे गए थे. यह सीपीआई (माओवादी) के इशारे पर दोषी और सज़ा काट रहे जी.एन साईंबाबा को छुड़ाने का प्रयास कर रहे थे.”

”स्टैन स्वामी सीपीआई (माओवादी) के कैडर हैं और इसकी गतिविधियों में शामिल थे. वह पीपीएससी के संयोजक हैं जो कि सीपीआई (माओवादी) की फ्रंटल आर्गनाइजेशन है.”

इस चार्जशीट के फ़ाइल होने से एक दिन पहले यानी गुरुवार को चर्चित सोशल एक्टिविस्ट फ़ादर स्टेन स्वामी को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की मुंबई से आई एक टीम ने गिरफ़्तार किया था.

एल्गार परिषद केस में सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वरवर राव, वरनॉन गोंज़ाल्विस, अरुण फ़रेरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे, हनी बाबू एमटी जैसे बुद्धिजीवी और समाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है.

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