हाइलाइट्स:
- बिहार में चुनावी चौसर बिछ चुका है, शह-मात का खेल जारी
- एनडीए से चिराग के अलग होने के बाद जेडीयू को नुकसान के कयास लगाए जा रहे हैं
- उधर, महागठबंधन भी चिराग के अलग होने बाद अपने दांव का आकलन करने में जुटी
- बीजेपी को भी चिराग के दांव से हो सकता है बड़ा फायदा
पटना/नई दिल्ली
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग के लिए आज नामांकन का आखिरी दिन है। धीरे-धीरे राज्य में सियासी पारा चरम पर पहुंच रहा है। लोकजनशक्ति पार्टी (LJP) के राज्य में एनडीए से अलग होने के बाद महागठबंधन सियासी गुना-गणित में लगी हुई है। वहीं, बीजेपी को भी चिराग के फैसले से फायदे की उम्मीद दिख रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या LJP नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू को नुकसान पहुंचाएगी या फिर महागठबंधन को होगा फायदा। आइए 10 पॉइंट में समझते हैं LJP के फैसले बिहार की सियासी फिजा पर क्या होगा असर किसे होगा फायदा और किसे होगा नुकसान..
महागठबंधन के लिए बढ़ी उम्मीदें?
LJP के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को उम्मीद दिखने लगी है। दरअसल, चिराग की पार्टी का आधार वोट अगर उनके साथ जुड़ा रहा तो एनडीए को नुकसान हो सकता है। ऐसे में आरजेडी और कांग्रेस चुनावी चौसर में अपना गणित मजबूत करने में जुट गए हैं।
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सवर्ण वोटों का होगा बिखराव?
महागठबंधन को उम्मीद है कि LJP के अलग होने से सवर्ण वोटरों में सेंध लगेगी और आरजेडी को वोट से परहेज करने वाले सवर्ण वोटरों को LJP के रूप में एक नया विकल्प मिल गया है। अगर सवर्ण वोटरों का बिखराव होता है तो इसका सीधा फायदा महागठबंधन को मिल सकता है।
कांग्रेस की होगी बल्ले-बल्ले!
LJP के अलग होने के बाद ही कांग्रेस इस दल में बीजेपी और जेडीयू से शामिल होने वाले नेताओं के सियासी प्रोफाइल पर नजर रख रही है। बीजेपी से LJP में शामिल होने वाले राजेंद्र सिंह से अगड़े नेताओं का फायदा चिराग को मिल सकता है और कांग्रेस को यहीं अपने लिए उम्मीद की किरण दिख रही है। वोटों के बंटवारे से जहां कांग्रेस के उम्मीदवार खड़ा होंगे वहां उन्हें सीधा लाभ मिल सकता है।
त्रिकोणीय मुकाबले में किसे होगा फायदा?
LJP के अलग होने के बाद कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले होंगे। महागठबंधन को इन सीटों पर फायदा दिख रहा है। जिन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले होने की उम्मीद है उनमें से ज्यादातर सीटें जेडीयू के हिस्से वाली हैं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जिन सीटों पर महागठबंधन बनाम एनडीए की लड़ाई है वहां LJP के आने से मुकाबला रोचक हो जाएगा और महागठबंधन को इसका फायदा मिल सकता है।
जेडीयू को चुनौती दे पाएंगे चिराग?
LJP के बिहार में एनडीए से अलग होने के बाद कहा जा रहा है कि करीब दो दर्जन सीटों पर मुकाबला रोचक हो जाएगा। चिराग पासवान ने कहा है कि वह बीजेपी के खिलाफ अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी। ऐसे में राज्य में 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही जेडीयू के लिए चिराग कितनी चुनौती बन पाएंगे इसपर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। अगर चिराग एनडीए के आधार वोट में सेंध लगाने में सफल हो जाते हैं तो निश्चित तौर पर नीतीश कुमार की पार्टी को झटका लग सकता है। अगर चिराग दोहरे अंक में सीटें हासिल करने में सफल रहे तो फिर वह मोलभाव करने की स्थिति में होंगे।
चिराग ने चला 2025 के लिए दांव!
चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान का राज्य में अकेले चुनाव लड़ने का दांव 2025 विधानसभा को लक्ष्य करके चला गया है। विश्लेषकों के अनुसार इस चुनाव में चिराग और LJP के अपनी सियासी ताकत का अंदाजा हो जाएगा। ऐसे में वह फिर आगे की रणनीति नए सिरे से तैयार कर पाएंगे। चिराग खुद को फ्यूचर नेता के तौर पर आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं।
LJP के ‘एकला चलो’ दांव से बीजेपी को फायदा या नुकसान?
दरअसल, चिराग की पार्टी जिन 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है उनपर जेडीयू के उम्मीदवार ही ज्यादा हैं। ऐसे में अगर चिराग उन विधानसभा सीटों पर कुछ वोट हासिल करेंगे तो इसका सीधा नुकसान जेडीयू को होगा। अगर बीजेपी इस चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटें जीतने में सफल हो गई तो फिर उसका नीतीश की पार्टी पर एक मनोवैज्ञानिक बढ़त हो जाएगी।
दलित किसके साथ? हो जाएगा फैसला
चिराग पासवान राज्य में दलितों के नेता हैं। बिहार में दलितों की आबादी करीब 16% है। चिराग का वोट आधार वोट बैंक पासवान हैं, जो राज्य की आबादी का करीब 6% हिस्सा हैं। वहीं, नीतीश ने महादलित नेता और राज्य के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को एनडीए में शामिल कर महादलितों को रिझाने के लिए दांव चला है। ऐसे में इस बार के चुनाव यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि दलित किसके साथ रहते हैं।
चिराग को बीजेपी ने दिया संदेश
LJP के एनडीए गठबंधन से अलग होने के बाद बीजेपी ने मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली VIP के साथ डील कर एक तरह से चिराग को संदेश भी दे दिया है। भगवा दल ने VIP को 11 सीटें दी हैं और VIP आधी सीटें भी जीतने में सफल रही तो एनडीए के लिए यह फायदे का सौदा रहेगा। यही नहीं, बीजेपी ने चिराग को चुनाव प्रचार के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी फोटो का इस्तेमाल नहीं करने को भी कहा है। बिहार के डेप्युटी सीएम और बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि LJP से चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा गया है।
नीतीश के खिलाफ नाराजगी, पड़ेगी NDA को भारी?
पिछली तीन बार से राज्य की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार के खिलाफ राज्य में लोगों की नाराजगी बढ़ी है। कुछ सर्वे में कोरोना से लेकर कई मुद्दों पर नीतीश के प्रति लोगों ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश से जनता की नाराजगी NDA को भारी तो नहीं पड़ेगी। हालांकि बीजेपी ने एकबार फिर पीएम मोदी के नाम के सहारे NDA की नैया पार करने की कोशिश में जुटी हुई है।