कैसे तय होती है टीवी रेटिंग और कैसे हेराफेरी कर सकते हैं चैनल, जानिए अहम बातें – NDTV India

खास बातें

  • टीआरपी में हेराफेरी को लेकर महाराष्ट्र सरकार चैनलों के खिलाफ करेगी जांच
  • टीआरपी किसी चैनल या शो की लोकप्रियता का पैमाना है
  • टीआरपी के जरिये विज्ञापनदाता भी तय करते हैं कि कहां और कैसे ऐड देना है

टीवी रेटिंग यानी टीआरपी में हेराफेरी को लेकर शिकायतें नई नहीं हैं, टीआरपी रेटिंग बार्क द्वारा जारी होती है और इसको लेकर वैज्ञानिक तरीका अपनाया जाता है. लेकिन किसी चुनिंदा जगह पर किसी प्रोग्राम की लोकप्रियता का आकलन करने वाले गोपनीय मीटर की जानकारी हासिल कर इसमें हेराफेरी की शिकायतें सामने आई हैं.

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दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने रिपब्लिक समेत तीन टीवी चैनलों के खिलाफ टीआरपी में हेराफेरी को लेकर जांच का ऐलान किया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, टीआरपी तमाम लोगों को यह बताती है कि किस चैनल या किस शो की पहुंच कितनी है, वह किस उम्र के लोगों को टारगेट करती है. बार्क जैसी एजेंसियां व्यूवरशिप को लेकर जगह-जगह मीटर लगाते हैं और उसे गोपनीय रखते हैं. न तो विज्ञापनदाताओं और न ही टीवी चैनलों को बताया जाता है कि ये मीटर कहां लगे हैं. जब दर्शक रिमोट से चैनल बदलते हैं या आप कितनी देर किस चैनल पर बिताते हैं, इसका आकलन टीआरपी में किया जाता है. अगर आप किसी को यह बता देते हैं कि ये मीटर कहां लगा है तो गड़बड़ी की आशंका बढ़ जाती है.

अगर किसी ने मीटर प्वाइंट वाले को खरीद लिया है तो टीआरपी के आंकड़ों में फर्जीवाड़ा हो सकता है. कई बार किसी चुनिंदा चैनल को देखने के लिए घूसखोरी की शिकायतें भी सामने आई हैं. मीटर बांटने के काम में गड़बड़ी नहीं है, लेकिन इसकी जानकारी हासिल कर ये गड़बड़झाला किया जा सकता है.

टीआरपी यानी टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट
TRP को टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट (Television Rating Point) कहते हैं. TRP एक ऐसा पैमाना है जिसके द्वारा ये पता लगाया जाता है कि कौन सा प्रोग्राम या TV चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है.  इससे किसी भी कार्यक्रम या  चैनल की लोकप्रियता जानने में मदद मिलती है. चैनल या शो की TRP सबसे ज्यादा होने का मतलब सबसे ज्यादा दर्शक उस प्रोग्राम को देख रहे हैं. TRP का डेटा विज्ञापनदाताओं (advertisers) के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि विज्ञापनदाता उन्हीं शो को विज्ञापन देने के लिए चुनते हैं,जिनकी रेटिंग ज्यादा होती है.

पॉकेट में लगाए जाते हैं मीटर
टीआरपी के आकलन के लिए कुछ जगहों पर पीपल्स मीटर लगाए जाते हैं. इससे किसी पॉकेट में कुछ हजार दर्शकों के बीच सर्वे किया जाता है. इन्हीं दर्शकों को सैंपल की तरह वे सारे दर्शक मान लिया जाता है जो TV देख रहे होते हैं. पीपल्स मीटर Specific Frequency के जरिये पता लगाते हैं कि कौन सा प्रोग्राम या चैनल कितनी बार और सबसे ज्यादा देखा जा रहा है.

विशेषज्ञों की टीम करती है डेटा का आकलन
पीपल्स मीटर के द्वारा एक-एक मिनट TV के डेटा की जानकारी को निगरानी करने वाली टीम यानी Indian television Audience Measurement तक पहुंचाई जाती है. ये टीम पीपल्स मीटर के डेटा का विश्लेषण करने के बाद तय करती है कि किस चैनल या प्रोग्राम की TRP कितनी है. इसका आकलन करने के लिए दर्शक के द्वारा नियमित रूप से देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है. फिर इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोग्राम का एवरेज रिकॉर्ड निकाला जाता है. यह पीपल्स मीटर किसी भी चैनल और उसके प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी निकाल लेता है.

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)

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