राहुल गांधी वीवीआईपी एयरक्राफ्ट पर केंद्र की कर रहे आलोचना, पर UPA सरकार में ही लिया गया था इसका फैसला – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • राहुल गांधी ने वीवीआईपी की यात्राओं के लिए 8 हजार करोड़ में 2 विमानों के खरीद की आलोचना की
  • आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यूपीए सरकार के दौरान ही वीवीआईपी विमानों के प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया शुरू हुई थी
  • 2011 में शुरू हुई थी प्रक्रिया, मोदी सरकार ने उसे तार्किक अंजाम तक पहुंचाया

नई दिल्ली
वीवीआईपी के लिए 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा में 2 एयरक्राफ्टों को खरीदे जाने पर राहुल गांधी के हमलों को बीजेपी सूत्रों ने निराधार बताया है। आने वाले दिनों में बीजेपी राहुल पर तीखा पलटवार कर सकती है। दूसरी तरफ आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वीवीआईपी विमानों का प्रोक्युरमेंट प्रॉसेस यूपीए सरकार के दौर में ही शुरू हुआ था और मोदी सरकार ने उसे बस तार्किक अंजाम तक पहुंचाया है। इसके अलावा, ये विमान स्पेशली प्रधानमंत्री मोदी के लिए नहीं, बल्कि बाकी वीवीआईपी के लिए हैं और ये इंडियन एयरफोर्स के हैं न कि प्रधानमंत्री के। ये विमान नए नहीं हैं, बल्कि बोइंग ने वीवीआईपी की यात्राओं के लिए इसमें कुछ खास बदलाव किए हैं।

क्या कहा था राहुल ने?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वीवीआईपी के लिए एयरक्राफ्ट खरीदने पर हमला करते हुए मंगलवार को पंजाब के नूरपुर में कहा, ‘एक तरफ पीएम मोदी ने 8 हजार करोड़ में 2 एयरक्राफ्ट खरीदे हैं। दूसरी तरफ, चीन हमारी सीमाओं पर है और हमारे सुरक्षा बल सरहदों की हिफाजत के लिए भीषण ठंड का सामना कर रहे हैं।’

करीब एक दशक पहले शुरू हुई विमान प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया
इन एयरक्राफ्टों के प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया करीब एक दशक पहले यूपीए सरकार के दौरान शुरू हुई थी। बीजेपी के एक बड़े नेता ने कहा कि जिस तरह राहुल यूपीए सरकार के बाकी ज्यादातर पहलों से दूरी बना रहे हैं शायद विमान प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया से भी दूरी बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अपनी ही यूपीए सरकार का अपमान भले ही करें लेकिन तथ्यों का अपमान करने का उन्हें हक नहीं है।

2011 में शुरू हुई प्रक्रिया
वीवीआईपी की यात्रा के लिए इन दोनों विमानों के प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया 2011 में शुरू हुई थी जब ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के निर्देशों पर मीटिंग ऑफ कमिटी सेक्रटरीज (CoS) की बैठक हुई थी। उसमें यह फैसला किया गया कि वीवीआईपी एयरक्राफ्ट्स के लिए उपलब्ध विकल्पों को एक इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप (IMG) एग्जामिन करेगी।

नए नहीं, बल्कि मौजूदा B777 ER विमानों में किए गए खास बदलाव
उसी साल इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप को गठित किया गया। आईएमजी की करीब 10 बार बैठकें हुईं और उसने 2012 में अपनी सिफारिशों को पेश किया। वीवीआईपी एयरक्राफ्ट्स के लिए 2 विकल्प सुझाए गए- मौजूदा B777 ER विमान को वीवीआईपी के लिए कन्वर्ट किया जाए या फिर नए एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया जाए जिसका एयर फोर्स ने ऑर्डर तो दे दिया था लेकिन उनकी डिलिवरी नहीं हुई थी। बाद में मौजूदा विमानों में जरूरी बदलावों का फैसला किया गया। मोदी सरकार ने इन वीवीआईपी एयरक्राफ्ट के प्रोक्योरमेंट की प्रक्रिया को पूरा किया।

अभी वीवीआईपी के लिए जिन विमानों का इस्तेमाल होता है, वे 25 साल पुराने
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अभी भारत में वीवीआईपी की यात्राओं के लिए एयर इंडिया के जम्बो जेट्स का इस्तेमाल होता है जो 25 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। ये विमान न सिर्फ लंबी दूरी की यात्राओं के लिए मिसफिट हैं बल्कि तेल भरने के लिए इन्हें रूट में रुकना पड़ता है।

गुरुवार को भारत पहुंचे वीवीआईपी विमान
वीवीआईपी की यात्राओं के लिए विशेष तौर पर बनाए गए एयरक्राफ्ट गुरुवार को अमेरिका से भारत पहुंचे। दोनों एयरक्राफ्ट 2018 में कुछ समय के लिए एयर इंडिया के कमर्शल फ्लीट का हिस्सा थे मगर बाद में उन्हें वीवीआईपी के सफर के लिए विशेष तौर पर पुनर्निर्मित करने के लिए अमेरिकी विमान कंपनी बोइंग को भेज दिया गया। इन विमानों में जरूरी बदलावों पर करीब 8400 करोड़ रुपये का खर्च आया है। ये विमान अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम से लैस हैं। इन विमानों को इंडियन एयर फोर्स के पायलट चलाएंगे न कि एयर इंडिया के। अब तक वीवीआईपी एयरक्राफ्ट्स को एयर इंडिया के पायलट चलाते रहे हैं।

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