यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जो फोरेंसिक रिपोर्ट सौंपी, उसमें रेप के सबूत नहीं मिलने का जिक्र; चीफ जस्टिस बोले- यह घटना भयावह और असाधारण थी

हाथरस गैंगरेप मामले की हाईलेवल जांच की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। यूपी सरकार ने कोर्ट में फोरेंसिक रिपोर्ट सौंपी, उसमें रेप के सबूत नहीं मिलने का जिक्र है। वहीं, चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने पिटीशनर की वकील इंदिरा जयसिंह से कहा, “हाथरस की घटना भयानक और चौंकाने वाली थी। हम नहीं चाहते कि बार-बार दलीलें दोहराई जाएं। आपको इसलिए सुन रहे हैं, क्योंकि यह असाधारण मामला है।”

कोर्ट ने यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए जा रहे हैं? एफिडेविट देकर बताएं। इस मामले में अगले हफ्ते फिर सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से 3 सवाल पूछे

  • पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं?
  • क्या पीड़ित परिवार ने वकील चुन लिया है?
  • क्या इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही से इस केस का दायरा बढ़ सकता है?

सॉलिसिटर जनरल का जवाब
मेहता ने कहा, “पीड़ित परिवार को पहले ही सुरक्षा मुहैया करवाई जा चुकी है। कोर्ट के बाहर कई तरह की बातें हो रही हैं। किसी केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाने और निगरानी रखने से यह सिलसिला रुक सकता है।”

इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में एक एफिडेविट दिया गया। इसमें कहा गया, “स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए CBI जांच के आदेश दिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट को खुद भी CBI जांच की निगरानी करनी चाहिए। पीड़ित का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया गया, क्योंकि दिन में हिंसा भड़कने की आशंका थी। इंटेलीजेंस इनपुट मिला था कि इस मामले को जातिवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है और पीड़ित के अंतिम संस्कार में लाखों प्रदर्शनकारी जमा हो सकते हैं।”

एफिडेविट में यह भी कहा गया है कि हाथरस मामले में सरकार को बदनाम करने के लिए नफरत भरा कैंपेन चलाया गया। अब तक की जांच में पता चला है कि कुछ लोग अपने हितों के लिए निष्पक्ष जांच को प्रभावित करना चाहते हैं।

उधर, यूपी सरकार की तरफ से बनाई गई SIT ने पीड़ित के गांव बुलगढ़ी में वारदात वाली जगह का जायजा लिया। SIT बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपेंगी। इस मामले की हाईलेवल जांच की अर्जी लगाने वाले सोशल एक्टिविस्ट सत्यम दुबे, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने अपील की है कि इस केस की जांच सीबीआई या सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूदा जज या फिर हाईकोर्ट के जज से करवाई जाए।

पिटीशनर्स का दावा- यूपी पुलिस ने झूठी बातें फैलाई
पिटीशनर्स ने यह अपील भी की है कि हाथरस केस को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश जारी किया जाए, क्योंकि उत्तर प्रदेश पुलिस-प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ सही कार्रवाई नहीं की। पीड़ित की मौत के बाद पुलिस ने जल्दबाजी में रात में ही शव जला दिया और कहा कि परिवार की सहमति से ऐसा किया गया। लेकिन, यह सच नहीं है, क्योंकि पुलिसवाले ने खुद चिता को आग लगाई और मीडिया को भी नहीं आने दिया था।

पिटीशनर्स ने कहा है कि पुलिस ने पीड़ित के लिए अपनी ड्यूटी निभाने की बजाय आरोपियों को बचाने की कोशिश की। ऊंची जाति के लोगों ने पीड़ित के परिवार का शोषण किया, लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया।

क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की दलित युवती से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़ित की मौत हो गई।

इस मामले में चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ था। उधर, यूपी सरकार इस मामले की जांच SIT से करवा रही है। CBI जांच की सिफारिश भी की है। पीड़ित का शव जल्दबाजी में जलाने और लापरवाही के आरोपों के बीच हाथरस के एसपी समेत 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड किए गए हैं।

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Hathras Gang Rape case: CJI’s bench today to hear PIL seeking CBI or SIT probe under Supreme court judge

Source: DainikBhaskar.com

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