हाथरस ‘गैंगरेप’: क्या उत्तर प्रदेश पुलिस ने पीड़िता के शव का ‘जबरन’ अंतिम संस्कार किया? – BBC हिंदी

  • अनंत प्रकाश
  • बीबीसी संवाददाता

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को हाथरस गैंग रेप मामले और आधी रात में अंतिम संस्कार कराए जाने को लेकर नोटिस भेजा है.

उत्तर प्रदेश पुलिस विपक्षी दलों से लेकर पूर्व पुलिस अधिकारियों की ओर से भी आलोचना का सामना कर रही है.

पूर्व आईपीएस अधिकारी वीएन राय ने बीबीसी से बात करते हुए बताया है कि पुलिस ने जो किया, उसमें संवेदनशीलता बरतनी चाहिए थी.

वहीं, उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजी दिलीप त्रिवेदी ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में कहा है कि “जिस तरह से बॉडी को डिस्पोज़ किया गया है, उसे कोई डिफेंड नहीं कर सकता है. ये बिलकुल नहीं होना चाहिए था. कभी कभी लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति में ये देखा जाता है कि परिवार के मानने के बाद इस तरह की बातें कभी कभी देखने में आती हैं. हाथरस एक बहुत छोटा सा क़स्बा सा ही है. कोई शहर नहीं है. वहां ये संभव था कि जब परिवार माँग कर रहा है, और आपको भी लग रहा है कि क़ानून व्यवस्था बिगड़ सकती है तो आप अतिरिक्त पुलिस बल मंगाकर उसका बंदोबस्त करते.”

लेकिन इन सबके बीच पुलिस की ओर से बयान आया है कि पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार कराए जाने की ख़बरें फ़र्ज़ी हैं और अंतिम संस्कार परिवार द्वारा पुलिस की देखरेख में कराया गया है.

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लेकिन क्या कहते हैं चश्मदीद गवाह और वीडियो

हाथरस में 30 सितंबर की सुबह ढाई बजे के आसपास जब गैंग रेप पीड़िता की लाश का अंतिम संस्कार हो रहा था. उस वक़्त मौक़े पर तमाम पत्रकार मौजूद थे. और बीती रात से अंतिम संस्कार से पहले और बाद के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर आ रही हैं.

इस घटना को अपनी आँखों से देखने वाले कई पत्रकार ये कह रहे हैं कि पुलिसकर्मियों की ओर से ‘जबरन’ पार्थिव शरीर को जला दिया गया.

कई वीडियोज़ ऐसे आ रहे हैं जिसमें पुलिसकर्मी लोगों को डाँटते, मारते हुए और पीड़ित परिवार को उनकी ग़लतियों का अहसास कराने की कोशिश करते दिख रहे हैं.

वहीं, कई वीडियोज़ में पीड़ित परिवार मदद की गुहार लगाता हुआ दिख रहा है.

हाथरस 'गैंगरेप'

एक वीडियो में पीड़िता की माँ कहती दिख रही हैं कि उन्हें एक बार अपनी बेटी के पार्थिव शरीर को घर ले जाने दिया जाए, वह अपने रस्म-ओ-रिवाज से हल्दी चंदन लगाकर बेटी को अंतिम विदाई देना चाहती हैं.

लेकिन मृतका का अंतिम संस्कार घर वालों की ओर से बताए गए रीति रिवाजों के बग़ैर हो गया.

हालांकि यूपी पुलिस का दावा है कि ये अंतिम संस्कार रीति रिवाज के आधार पर हुआ है.

हाथरस पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक ग्राफ़िक पोस्ट करके लिखा है, “हाथरस पुलिस इस असत्य एवं भ्रामक ख़बर का खंडन करती है जबकि सच्चाई ये है कि पुलिस और प्रशासन की देखरेख में परिजनों द्वारा अपने रीति-रिवाज के साथ मृतिका के शव का अंतिम संस्कार किया गया है.”

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क्या कहते हैं परिवार वाले?

बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा से बात करते हुए पीड़िता के भाई ने बताया है, “हम रात साढ़े ग्यारह बजे दिल्ली से चले थे, इसके बाद हमें चंडपा पर डेड बॉडी एंबुलेंस में मिली थी, और एडीएम और डीएम साहब साथ में थे. उन्होंने कहा कि लड़की के अंतिम संस्कार के लिए सीधा मरघट पर जाना है, घर पर नहीं जाना है. हमनें कहा कि सर ऐसा नहीं होगा, जब तक हमारे परिवार और हमारे घर के लोग नहीं होंगे तब तक हम अंतिम संस्कार नहीं करेंगे.”

“डेड बॉडी को एंबुलेंस से ज़बरदस्ती वहां पहुँचाया गया, हमने प्रयास किया, मना किया कि हमारे परिवार के लोग लड़की को देखना चाहते हैं. सुबह अंतिम संस्कार करेंगे. लेकिन डीएम और एडीएम किसी ने भी हमारी बात नहीं मानी. अपने आप जाकर इन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया, हमसे बिना पूछे.”

कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी सामने आ रहा है कि पुलिस की ओर से पीड़ित परिवार के साथ हाथापाई भी की गई.

हाथरस 'गैंगरेप'

पीड़ित पक्ष की ग़लती?

इंडिया टुडे की वीडियो रिपोर्ट में ये सामने आया है कि कुछ पुलिसकर्मी परिवार वालों को ये समझाने की कोशिश करते दिख रहे हैं कि रात में अंतिम संस्कार किए जाने में कोई समस्या नहीं है.

वीडियो रिपोर्ट में पुलिस कर्मी कहते दिख रहे हैं, “समाज के रीति – रिवाज और परंपराएं समय के अनुसार बदलती हैं. ये एक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी सिचुएशन है. इस एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी सिचुएशन में कुछ ग़लतियां हुई हैं आपसे, इस बात को आपको स्वीकार करना चाहिए. कुछ ग़लतियां और लोगों से भी हुई हैं, उनको भी स्वीकार करना चाहिए. चूंकि अब हो गया है, बॉडी आ गयी है हमारे पास, बिटिया का पोस्ट मार्ट्म हुए लगभग लगभग 12-14 घंटे हो गए हैं. बॉडी का एक टाइम होता है. उस पर विचार करो. एक मन बनाओ, बड़े बुजुर्ग लोग हैं, उनको बुला लो. इसको हल करो. ख़ाली हठधर्मिता करके…”

इसके बाद पीड़ित पक्ष के लोगों की ओर से समय को लेकर सवाल उठाया जाता है.

इस पर पुलिस कर्मी कहते हैं, “ये कहीं नहीं लिखा है कि अंतिम संस्कार रात में नहीं होता है. होता है.”

हाथरस 'गैंगरेप'

इसके साथ ही कुछ वीडियोज़ में सामने आया है कि पीड़िता के चाचा ने आरोप लगाया है कि जब वे चिता के नज़दीक पहुँचे तो वहां बैठे सुरक्षाकर्मियों ने जबरन उनके वीडियोज़ बना लिए.

इस पूरे मामले में पुलिस पर असंवेदनशील रवैया बरतने का आरोप लगाया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश पुलिस में कई उच्च पदों पर रह चुके पूर्व आईपीएस अधिकारी विभूति नारायण राय मानते हैं कि पुलिस को इस मामले में संवेदनशीलता से काम लेना चाहिए था.

वे कहते हैं, “कभी-कभी ऐसा होता है कि लॉ एंड ऑर्डर की समस्या को देखते हुए पुलिस को इस तरह के क़दम उठाने पड़ते हैं लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुलिस को थोड़ी संवेदनशीलता का परिचय देना चाहिए था क्योंकि ये मामला बेहद संवेदनशील था. ये ज़्यादा बेहतर रहता कि वे उसे घर ले जाने देते, और एक वीडियो में एक पुलिसकर्मी कहते दिख रहे हैं कि ‘तुम लोगों की क्या ग़लतियां थीं.’ अब इस तरह की बातचीत से बचा जा सकता था.”

हाथरस 'गैंगरेप'

क्या पुलिस ने क़ानून का पालन किया?

इस घटना के बाद से उत्तर प्रदेश पुलिस को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, “यूपी गैंग रेप ट्रेजडी में, रात ढाई बजे पुलिसकर्मियों द्वारा अंतिम संस्कार किया गया, परिवार को इससे बाहर रखा गया. राष्ट्रीय महिला आयोग इसकी निंदा करता है. आख़िर मरघट पर परिजनों को क्यों नहीं आने दिया गया? आख़िर रात में क्यों किया गया?”

इसके साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश पुलिस को हाथरस गैंग रेप मामले और उसके बाद किए गए अंतिम संस्कार को लेकर नोटिस जारी कर दिया है.

लखनऊ हाईकोर्ट के वकील प्रियांशु अवस्थी मानते हैं कि उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से जो किया गया है, वो संकेत देता है कि कुछ छिपाने की कोशिश की जा रही है.

वे कहते हैं, “उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा है कि पीड़िता के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार उसके समुदाय के रीति रिवाजों के तहत हुआ. इस दावे से कई सवाल पैदा होते हैं कि क्या अंतिम संस्कार के रीति रिवाजों को पूरा किया गया. अगर ऐसा किया गया तो वह किसके द्वारा किया गया, क्योंकि परिवार वाले इससे इनकार कर रहे हैं. इसके साथ ही पुलिस को पुलिस रेगुलेशन के मुताबिक़, पोस्टमार्टम के बाद पुलिस को पार्थिव शरीर मृतक के परिवार को सौंपना होता है, लेकिन क्या ऐसा किया गया है? क्या पुलिस के पास वह दस्तावेज़ है जो इस बात की गवाही देता है कि मृतक के पार्थिव शरीर को उसके परिवार के मुखिया को फ़लां जगह पर फ़लां समय सौंपा गया? क्या उस दस्तावेज़ पर मृतक के पिता के हस्ताक्षर हैं?”

“उत्तर प्रदेश पुलिस दावा कर रही है कि अंतिम संस्कार रीति रिवाज के साथ किया गया है, ऐसे में क्या पुलिस के पास वीडियो ग्राफ़िक साक्ष्य हैं जो कि ये साबित करें कि परिवार की ओर से पूरे रीति रिवाजों का पालन करके अंतिम संस्कार किया गया है?…आने वाले दिनों में पुलिस को ये जवाब देने होंगे. और अगर जैसा कि मीडिया रिपोर्ट्स में आ रहा है और यूपी पुलिस का दावा ग़लत साबित होता है तो ये संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि आर्टिकल 21 जो कि सम्मान से जीने का अधिकार देता है वो जीवन के उपरांत मृत्यु पर भी लागू होता और मृतक के पार्थिव शरीर का उसके सामुदायिक क्रिया कर्मों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए. यूनियन कमिशन ऑन ह्यूमन राइट्स अपने 2005 प्रस्ताव में कह चुका है कि अंतिम संस्कार के दौरान परिवार की भावनाओं का भी ख्याल रखा जाना चाहिए.”

ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब उत्तर प्रदेश सरकार को देने होंगे. क्योंकि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में इस मामले से जुड़ी पीआईएल दाख़िल की जा चुकी है.

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