ढांचा विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपी बरी, जानिए फैसले पर किसने दी क्या प्रतिक्रिया – अमर उजाला

सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बुधवार को ढांचा विध्वंस मामले में फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ढांचा विध्वंस की घटना पूर्वनियोजित नहीं थी। यह आकस्मिक घटना थी। अदालत ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले, बल्कि इन्होंने उन्मादी भीड़ को रोकने के प्रयास किए थे। 

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संघ ने विशेष अदालत के फैसले का स्वागत किया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले में विशेष अदालत के फैसले का स्वागत किया है। संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा, सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा विवादास्पद ढांचे के विध्वंस मामले में सभी आरोपियों को ससम्मान बरी करने के फैसले का संघ स्वागत करता है। इस निर्णय के बाद समाज के सभी वर्गों को परस्पर विश्वास और सौहार्द के साथ एकजुट होकर देश के सामने आने वाली चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करते हुए देश को प्रगति की दिशा में ले जाने के काम में जुट जाना चाहिए।

विशेष कोर्ट का फैसला न्याय और सत्य की विजय : विहिप
राममंदिर आंदोलन की अगुवाई करने वाले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने विशेष कोर्ट के फैसले को सत्य और न्याय की विजय बताया। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा, अदालतों को न्याय देने में 28 वर्ष लग गए। उम्मीद है कि अब इस निर्णय से उन विषयों का पटाक्षेप हो जायेगा, जो 472 वर्षों से हिंदू मानस को व्यथित करते रहे हैं।

आलोक कुमार ने कहा, रामभक्तों ने इन झूठे मुकदमों का 28 वर्ष धैर्य और साहस से सामना किया। इसमें 49 एफआईआर थी, अभियोजन ने 351 गवाह पेश किए और 600 दस्तावेज दिए गए। हम उन 17 लोगों का स्मरण करते हैं, जो मुकदमे के चलते बैकुंठ सिधार गए। इनमें अशोक सिंघल, महंत अवैद्यनाथ, महंत रामचंद्रदास परमहंस, राजमाता विजयाराजे सिंधिया, आचार्य गिरिराज किशोर, बाल ठाकरे, विष्णुहरि डालमिया जैसे महानुभाव हैं। आलोक कुमार ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के 9 नवंबर 2019 के आदेश से यह सदा के लिए घोषित हो गया कि अयोध्या की वह भूमि रामलला विराजमान की ही है। अब विशेष कोर्ट के आदेश ने षड़यंत्र के आरोपों को खत्म कर दिया अब हमें राजनीति से ऊपर उठकर संगठित और प्रगत भारत के निर्माण के लिए आगे बढ़ना होगा।

ऐतिहासिक फैसला, उम्मीद है विवाद खत्म होगा: जोशी
वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने विवादित ढांचा विध्वंस मामले में विशेष के फैसले को ऐतिहासिक करार देते हुए उम्मीद जताई कि इसके साथ ही विवाद खत्म हो जाएगा। फैसले के बाद मीडिया से चर्चा में जोशी ने कहा, कोर्ट ने एतिहासिक फैसला दिया है। मैं अपनी ओर से पेश हुए वकीलों का धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने सही पक्ष और तथ्य न्यायालय के सामने रखे। उनका परिश्रम था जिससे इस जटिल मामले में सीबीआई अपना पक्ष नहीं रख पाई और जज ने सच को सबके सामने रख दिया। जोशी ने कहा, इस निर्णय से सिद्ध हो गया कि हमारे कार्यक्रम किसी षड्यंत्र के तहत नहीं थे। अब यह विवाद खत्म होना चाहिए। पूरे देश को भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए तत्पर होना चाहिए। मैं एक ही बात कहूंगा कि जय-जय श्री राम और सबको सन्मति दे भगवान।

देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई है : राजनाथ
विशेष अदालत द्वारा ढांचा विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, उमाजी समेत 32 लोगों के किसी भी षड्यंत्र में शामिल न होने के निर्णय का स्वागत करता हूं। यह साबित हुआ कि देर से ही सही मगर न्याय की जीत हुई।

आरोप के कलंक से बरी हो गए : साध्वी ऋतंभरा
धर्म के काम में बड़ी बाधाएं आती हैं लेकिन ईश्वर सत्य के साथ होता है। न्याय हुआ है, हमें खुशी है कि अदालत ने धर्म कार्य को सही माना। हम आरोप के कलंक से मुक्त हो गए। आज सब कुछ दूध का दूध पानी का पानी हो गया।

येदियुरप्पा ने इस फैसले को सत्य की जीत बताया
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस फैसले को सत्य की जीत बताया है तो विपक्षी दल इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। उमा भारती, लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी आदि नेताओं को बरी करने के फैसले को कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ बताया है। विस्तार से जानिए कि इस फैसले को लेकर किसने क्या प्रतिक्रिया दी।   

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