बिहार चुनाव 2020: NDA में तय हुआ सीटों का बंटवारा, मिशन 2020 के लिए 2010 का फॉर्मूला तय – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • 2020 में जेडीयू 103 तो बीजेपी 101 सीट पर लड़ सकती है विधानसभा चुनाव
  • 30 सितंबर 3 अक्टूबर के बीच NDA उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की संभावना
  • 2015 की वजह से जेडीयू-बीजेपी के बीच 56 सीटों पर फंसा है पेंच, 2010 के फॉर्मूले से सुलझेगा मामला
  • एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान के हमलावर रूख से नीतीश है नाराज, बीजेपी ने रोक रखा एलजेपी को

नीलकमल, पटना
विधानसभा चुनावों के लिए NDA ने अपना फॉर्मूला तैयार कर लिया है। सूत्रों की माने तो जेडीयू ने ज्यादा सीटों की मांग जरूर की है, लेकिन सीट बंटवारे का फॉर्मूला 2010 की तरह ही करने की बात भी कही गई है। बता दें कि 2010 में जेडीयू 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में जेडीयू ने 115 तो बीजेपी ने 91 सीटों पर जीत हासिल कर लालू यादव की पार्टी आरजेडी को 22 सीट पर ही समेट दिया था।

बीजेपी के दिग्गज दिल्ली में कर रहे मंथन
एनडीए में सीट बंटवारा फाइनल होते ही सबसे पहले बिहार बीजेपी प्रभारी भूपेंद्र यादव शुक्रवार को दिल्ली कूच कर गए थे। बिहार प्रभारी के दिल्ली रवाना होने के बाद प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल, बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीजेपी बिहार विधानमंडल के नेता सुशील कुमार मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और बिहार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय घंटो तक पहले चरण के मतदान के लिए उम्मीदवारों के नम पर चर्चा करते रहे। रविवार को बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल भी दिल्ली रवाना हो गये है। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष पहले चरण के संभावित उम्मीदवारों की सूची भी अपने साथ ले गए है, जिसपर केंद्रीय चुनाव समिति मंथन कर अपनी सहमति प्रदान करेगी। सूत्र के अनुसार बीजेपी द्वारा तैयारी की गई लिस्ट में करीब आठ सीट ऐसी है जहां तीन उम्मीवारों के नाम पर चर्चा की गई है। यानी बीजेपी आठ सिटिंग विधायकों का टिकट काट सकती है।

30 सितंबर 3 अक्टूबर के बीच NDA उम्मीदवारों के नाम की घोषणा
28 अक्टूबर को होने वाले बिहार विधानसभा के पहले चरण के मतदान के लिए बिहार बीजेपी के उम्मीदवारों की घोषणा 3 अक्टूबर से पहले किए जाने की उम्मीद है। दरअसल उम्मीदवारों के नाम को लेकर बिहार चुनाव समिति की बैठक अभी तक नही हो सकी है। सूत्र की माने तो बीजेपी ने नाम तो लगभग फाइनल कर लिया है लेकिन, अब उन नामों को बिहार चुनाव समिति के सामने रखकर चर्चा की जाएगी और चुनाव समिति की सहमति के बाद ही केंद्रीय चुनाव समिति को सूची सौंपा जाएगा। सूत्र बताते है कि 30 सितंबर यानी बुधवार से पहले सीटों के साथ उम्मीदवारों के नाम पर बिहार चुनाव समिति की बैठक हो सकती है। इसके बाद उस सूची पर केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी जिसमें उम्मीदवारों के नाम के साथ उस क्षेत्र का पूरा आंकलन करने के बार मुहर लगाया जाएगा।

इस बार JDU 103 तो 101 सीट पर लड़ेगी BJP, सहयोगियों के लिए 39 सीट
विधानसभा चुनावों के लिए NDA ने अपना फॉर्मूला तैयार कर लिया है। सूत्र की माने तो विधानसभा चुनाव 2020 में जेडीयू 103 और बीजेपी 101 सीट पर चुनाव लड़ने जा रही है। आपको बता दें कि 2010 में जेडीयू 141 और बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन इस बार एनडीए में एलजेपी और जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ भी एनडीए में शामिल है। लिहाजा इस बार 39 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई है। बता दें कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों में से 178 पर महागठबंधन की जीत हुई लेकिन इस जीत में जेडीयू से अधिक विधायक आरजेडी के जीते थे। बीजेपी से अलग हुए नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 2010 के चुनाव में 142 सीटों पर लड़ा था लेकिन 2015 में महागठबंधन में शामिल हुए जेडीयू 101 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस लिहाज से देखा जाए तो 2015 में जेडीयू 2010 के मुकाबले 41 कम सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इसके अलावा 101 सीटों पर लड़कर जेडीयू ने 71 सीटें जीती थी, जो 2010 के मुकाबले 44 सीट कम थी। वहीं 167 सीट पर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी भी 2015 में महज 53 सीट जीत हासिल कर सकी थी।

2015 की वजह से जेडीयू-बीजेपी के बीच कई सीटों पर फंसा है पेंच
पिछले विधानसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस वजह से बिहार विधानसभा की कई सीटें ऐसी हैं जहा पिछली बार बीजेपी ने जेडीयू के खिलाफ उम्मीवार उतारे थे तो जेडीयू ने बीजेपी के खिलाफ। जानकारी के अनुसार 56 सीटें ऐसी है जहां बीजेपी-जेडीयू ने 2015 में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ा था। अब उस सीट पर किसका दावा होगा इसपर मंथन जारी है। सूत्र की माने तो 2010 का फॉर्मूला तय हो चुका है इसलिए फसें सीटों पर ज्यादा माथापच्ची नही करना होगा। यानी 2010 में जिन सीटों पर बीजेपी ने चुनाव जीता था बीजेपी वहां से और जेडीयू ने जहां जीत हासिल की थी वह सीट जेडीयू के खाते में जाएगी।

बीजेपी चाहती है एनडीए में ही रहे एलजेपी
बताया जा रहा है कि एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान के लगातार हमलावर रूख से जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेहद नाराज है। सूत्र बताते है कि नीतीश कुमार ने इसी वजह से महादलित समुदाय से आने वाले अशोक चौधरी को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। सूत्र यह भी बताते है कि नीतीश कुमार एलजेपी का एनडीए से बाहर जाने का इंतजार कर रहे है। लेकिन बीजेपी चाहती है कि एलजेपी फिलहाल एनडीए में रहें। इसके पिछे कारण यह है कि, कृषि बिल को लेकर शिरोमणि अकाली दल एनडीए से अलग हो गया है। और ऐसे में बीजेपी नहीं चाहती कि उसके अन्य सहयोगी भी एनडीए से अलग हो जाएं। यहा वजह है कि बीजेपी की ओर से चिराग पासवान को मनाने की पूरी कोशिश की जा रही है। बता दें कि एलजेपी को 2015 एनडीए की ओर से 42 सीटें दी गई थी लेकिन उसके दो अम्मीदवार ही जीत पाने में सफल हुए थे। इस बार बीजेपी की ओर से चिराग पासवान को 25 सीट देने की बात कही जा रही है। .

उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए में शामिल होने के लिए दिल्ली तक लगा रहे दौड़
महागठबंधन के साथी रहे उपेंद्र कुशवाहा क्या एक बार फिर एनडीए में लौट सकते हैं। बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी 2019 लोकसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के साथ चली गई थी। सूत्र का कहना है कि रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बीजेपी से वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट और 12 विधानसभा सीट की मांग की है। आपको यह भी बता दें कि जदयू सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो के निधन की वजह से खाली हुई, वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट उपचुनाव होना है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा में कोई दिलचस्पी ना दिखाते हुए कहा कि रालोसपा पर फैसला बीजेपी को करना है। नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि जीतनराम मांझी को भी बीजेपी ही लेकर आयी है। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में उपेंद्र कुशवाहा की बात बीजेपी के नेताओ से हुई है और बीजेपी ने उपेंद्र कुशवाहा को पांच सीट का आफर दिया है।

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