Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में चुनावी दुंदुभी तो बज गई लेकिन कई योद्धा अभी भी नहीं तय कर पाए ‘जंग’ में आखिर किस खेमे में जाएं – Navbharat Times

हाइलाइट्स:

  • बिहार में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को 3 चरणों में होंगे विधानसभा चुनाव, 10 नवंबर को नतीजे
  • बिहार में मुख्य मुकाबला जेडीयू की अगुआई वाले एनडीए और आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच है
  • चुनाव के तारीखों का ऐलान तो हो गया लेकिन अभी कई छोटी पार्टियां यही नहीं तय कर पाई हैं कि किस पाले में रहें
  • एनडीए की सहयोगी एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ तो महागठबंधन की सहयोगी आरएलएसपी ने आरजेडी के खिलाफ खोल रखा है मोर्चा

नई दिल्ली
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान कर दिया। लेकिन अभी भी दोनों प्रमुख गठबंधनों से कौन जाएगा और किसकी नई एंट्री होगी, इसे लेकर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं। सूबे में 28 अक्टूबर को पहले चरण की वोटिंग है लेकिन सत्ताधारी एनडीए की प्रमुख सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी कौन सी राह पकड़ेगी इसे लेकर सस्पेंस बना हुआ है। एलजेपी ने संकेत दिया है कि वह 143 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जिनमें वे सीटें भी शामिल होंगी जहां से एनडीए की सहयोगी जेडीयू चुनाव लड़ेगी। हालांकि, एलजेपी बीजेपी उम्मीदवारों का सपोर्ट करेगी। सीटों पर भी जहां बीजेपी या जेडीयू के उम्मीदवार मैदान में होंगे। सूबे में 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को तीन चरणों में चुनाव होंगे। 10 नवंबर को नतीजे घोषित होंगे।

ऐसा नहीं है कि सिर्फ एनडीए में ही अंदरूनी घमासान है। विपक्षी महागठबंधन की स्थिति तो और भी खराब दिख रही है। ऐसा लग रहा है कि महागठबंधन सिर्फ नाम का रहेगा, असल में आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन के रूप में सिमट जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की अगुआई वाली आरएलएसपी और विकासशील इंसान पार्टी तो महागठबंधन छोड़ने की कगार पर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांजी पहले ही महागठबंधन का दामन छोड़कर जेडीयू मुखिया और बिहार के सीएम नीतीश कुमार से हाथ मिला चुके हैं।












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उपेंद्र कुशवाहा भी आरजेडी नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। पार्टी सूत्रों का तो यहां तक दावा है कि कुशवाहा कभी भी महागठबंधन से अलग होने का ऐलान कर सकते हैं।

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आरएलएसपी नेता माधव आनंद ने गुरुवार को कहा था, ‘हमने महागठबंधन को बनाए रखने के लिए हर मुमकिन चीज की लेकिन आरजेडी का हठी रवैये से हम त्रस्त आ चुके हैं। हम जिन सिद्धांतों को लेकर चले हैं उसके प्रति हमेशा प्रतिबद्ध बने रहेंगे। लेकिन अब हमें तथाकथित महागठबंधन से कोई खास उम्मीद नहीं बची है जिससे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की HAM पहले ही अलग होकर एनडीए में जा चुकी है।’











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विपक्षी खेमे में असल रार इस बात पर मची है कि तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर पेश किया जाए या नहीं। लालू प्रसाद यादव की आरजेडी चुनाव में तेजस्वी को सीएम कैंडिडेट के तौर पर पेश करना चाहती है।

बिहार चुनाव की तारीखों की घोषणा हो गई है। चुनाव आयोग के फ़ैसले का लोक जनशक्ति पार्टी सहर्ष स्वागत करती हैं। साल 2020 के चुनाव बिहार में बेहतरी की नई कहानी लिखेंगे।
चिराग पासवान, प्रमुख, लोक जनशक्ति पार्टी

दूसरी तरफ जेडीयू और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान की एलजेपी के बीच बढ़ती तल्खी से एनडीए खेमा भी बिखरता दिख रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के शीर्ष नेता इस बात पर जोर देते रहे हैं कि एनडीए की सभी तीनों पार्टियां यानी बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी। मगर एलजेपी चीफ चिराग पासवान ने अभी तक ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई है।












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कोरोना महामारी के वक्त बिहार विधानसभा चुनाव न कराने की मांग कर चुकी एलजेपी ने अब चुनाव कार्यक्रम घोषित होने का स्वागत किया है। एलजेपी चीफ चिराग पासवान ने कहा है कि ये चुनाव राज्य में बेहतरी की नई इबारत लिखेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित बिहार के सपने और उनके अभिभावक रामविलास पासवान के 50 वर्षों के कार्यों को बिहारवासियों के सामने रखने का मौका है।

चिराग पिछले कुछ समय में कोविड-19 महामारी से लेकर प्रवासी मजदूर संकट तक तमाम मुद्दों को लेकर नीतीश कुमार पर तंज कसते रहे हैं। वह चाहते हैं कि बीजेपी ही बिहार में एनडीए का नेतृत्व करे और जेडीयू से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़े। दूसरी तरफ जेडीयू अकसर एलजेपी पर बरसती रही है। उसका तो यहां तक कहना है कि उसने पासवान की पार्टी के साथ कभी गठबंधन ही नहीं किया और सीटों के तालमेल को लेकर एलजेपी की चिंताओं को बीजेपी को दूर करना है।

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