कृषि विधेयकों का किसान और विपक्षी पार्टियां इसलिए कर रहीं विरोध, मामले से जुड़ी 10 बातें – NDTV India


विपक्षी सदस्‍यों के भारी हंगामे के बीच राज्‍यसभा ने रविवार को भारत के कृषि सेक्‍टर से संबंधित तीन विवादित बिलों में से दो को मंजूरी दे बिल के विरोध में देश में कई किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान राज्‍य में में किसानों ने इन बिलों के विरोध में आवाज बुलंद की है.गौरतललब है कि विपक्षी दलों ने इन बिलों को किसान विरोधी करार दिया है और केंद्र सरकार में अकाली दल के कोटे से मंत्री बनीं हरसिमरत कौर भी इन बिल के विरोध में इस्‍तीफा दे चुकी हैं. दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने इन बिलों को ऐतिहासिक बताया है.

कृषि विधेयक से जुड़ी 10 खास बातें..

  1. ये तीन कृषि बिल हैं-कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार बिल, कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) बिलऔर आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक. इन बिलों में से पहले दो को रविवार को राज्‍यसभा ने मंजूरी दे दी. बिल पर राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्‍ताक्षर होते ही यह कानून का रूप ले लेंगे. 

  2. कृषि उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) विधेयक 2020 के अंतर्गत किसान एवं व्यापारी कृषि उपज मंडी के बाहर भी अन्य माध्यम से उत्पादों का सरलतापूर्वक व्यापार कर सकेंगे. 

  3. इस बिल के अंतर्गत राज्य के भीतर एवं बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज स्वतंत्र रूप से बेचने के लिए अवसर एवं व्यवस्थाएं हैं. मंडियों के अतिरिक्त व्यापार क्षेत्र में फार्मगेट, कोल्डस्टोरेज, वेयर हाउस, प्रसंस्करण यूनिटों पर भी व्यापार की स्वतंत्रता है. किसानों से प्रोसेसर्स, निर्यातकों, संगठित रिटेलरों का सीधा संबंध, ताकि बिचौलिये दूर हों.

  4. भारत में करीब 85 फीसदी किसान दो हेक्‍टेयर से कम जमीन के मालिक है. ऐसे किसानों को बड़े खरीदारों के साथ अपनी फसल के लिए सीधे बात करने में मुश्किल पेश आती है. ऐसे में कृषि उपज मंडी उन्‍हें फसल का सही दाम और सही वक्‍त पर दाम दिलाने के लिहाज से अहम साबित होती हैं.

  5. कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण)  कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक किसानों को व्यापारियों, कंपनियों, प्रसंस्करण इकाइयों, निर्यातकों से सीधे जोड़ता है. यह कृषि करार के माध्यम से बुवाई से पूर्व ही किसान को उपज के दाम निर्धारित करने और बुवाई से पूर्व किसान को मूल्य का आश्वासन देता है. किसान को अनुबंध में पूर्ण स्वतंत्रता रहेगी, वह अपनी इच्छा के अनुरूप दाम तय कर उपज बेचेगा. देश में 10 हजार कृषक उत्पादक समूह निर्मित किए जा रहे हैं. ये एफपीओ छोटे किसानों को जोड़कर उनकी फसल को बाजार में उचित लाभ दिलाने की दिशा में कार्य करेंगे.

  6. हालांकि नए बिल में न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी एमएसपी को नहीं हटाया गया है(पीएम नरेंद्र मोदी देकर यह बात कह चुके हैं कि एमएसपी को खत्‍म नहीं किया जा रहा है) लेकिन ‘बाहर की मंडियों’को फसल की कीमत तय करने की इजाजत देने को लेकर किसान आशंकित हैं.

  7. किसानों की इन चिंताओं के बीच राज्‍य सरकारों-खासकर पंजाब और हरियाणा- को इस बात का भय सता रहा है कि यदि निजी खरीदार सीधे किसानों से अनाज खरीदेंगे तो उन्‍हें मंडियों में मिलने वाले टेक्‍स का नुकसान होगा.

  8. कृषि सुधार के विधेयकों को लेकर मचे घमासान के बीच सरकार ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य का ऐलान कर दिया है. बिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने यह मंजूरी दी है. किसानों की चिंता को देखते हुए एक महीने पहले ही न्यूनतम समर्थन मूल्य मंजूरी दे दी गई है. सरकार ने एमएसपी में 50 रुपये से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की वृद्धि की है.किसानों से उनके अनाज की खरीदी FCI व अन्य सरकारी एजेंसियां एमएसपी पर करेंगी.

  9. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अनुसार, रबी मौसम के लिए चने की एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है और यह बढ़कर 5100 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है और यह 5100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. उन्होंने बताया कि सरसों के एमएसपी में 225 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है और यह बढ़कर 4650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. जौ के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 75 रुपये की वृद्धि के बाद यह 1600 रुपये प्रति क्विंटल और कुसुम के एमएसपी में 112 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ यह 5327 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है.

  10. सोमवार को कृषि बिलों की तारीफ करते हुए पीएम ने कहा, नए कृषि सुधारों ने किसान को ये आजादी दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल अपनी शर्तों बेच सकता है. उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा तो वहां अपनी फसल बेचेगा. मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी.’पीएम ने कहा कि ‘हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे. इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे, जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे.पीएम ने कहा था, ‘कल देश की संसद ने, देश के किसानों को नए अधिकार देने वाले बहुत ही ऐतिहासिक कानूनों को पारित किया है. मैं देश के लोगों को, देश के किसानों, देश के उज्ज्वल भविष्य के आशावान लोगों को भी इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं. ये सुधार 21वीं सदी के भारत की जरूरत हैं.’ 

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