गहलोत के वो सियासी दांव जिसके चलते पायलट के पास नहीं बचा कोई विकल्प – आज तक

  • सचिन पायलट की नाराजगी दूर
  • गहलोत ने कर दिया था मजबूर!
  • राजस्थान में कांग्रेस की सरकार सेफ

राजस्थान सरकार को अल्पमत में लाने का दावा करने वाले सचिन पायलट के तेवर ठंडे पड़ गए हैं. पार्टी हाईकमान के साथ बातचीत के बाद सचिन की नाराजगी दूर हो गई है. जिसके बाद राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर मंडरा रहा खतरा खत्म हो गया है. लंबा सफर तय कर चुके पायलट की घर वापसी पर कई तरह के सवाल भी खड़े हो रहे हैं. कहा ये भी जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सियासी दांव के बाद पायलट विकल्पहीन हो गए थे.

अशोक गहलोत ने इस पूरे सियासी घटनाक्रम में एफआईआर कराई, सचिन पायलट के खिलाफ राजद्रोह की धारा भी लगाई गई, सबूत होने की बात कही गई, ऑडियो रिकॉर्डिंग का भी हवाला दिया गया. इसके अलावा बागियों में पहले दिन से ही फूट देखने को मिली और सचिन पायलट के समर्थक भी गहलोत के खेमे में आ गए. गहलोत ने बीजेपी आलाकमान पर सरकार गिराने की साजिश का आरोप लगाया और सीधे तौर पर सचिन पायलट को इस साजिश का हिस्सा बताया. इसके अलावा कांग्रेस आलाकमान को भी गहलोत ने सरकार बचाने का पूरा भरोसा दिलाया और पायलट के खिलाफ एक्शन की रूपरेखा तैयार कराई. गहलोत ने चौतरफा फील्डिंग लगाई और बीजेपी को अपने विधायक संभालने में जुटना पड़ा. अशोक गहलोत ने विधानसभा स्पीकर के जरिए पायलट गुट के खिलाफ नोटिस भिजवाए. साथ ही विधानसभा सत्र बुलाने के लिए वो राज्यपाल से भी अड़ गए.

सचिन की संख्या पड़ गई कम

सचिन पायलट 12 जुलाई को जब दिल्ली के पास मानेसर पहुंचे तो उनके पास कुल विधायकों की संख्या 25 थी. इनमें से तीन कांग्रेस विधायक किसी बहाने वहां से वापस जयपुर पहुंच गए. पायलट समेत उनके पास कुल 22 विधायक बचे जिनमें तीन निर्दलीय थे. पायलट की इस बगावत का गहलोत पर प्रभाव नहीं पड़ सका और उन्होंने 102 विधायकों के समर्थन की सूची सौंप दी. यानी पायलट के तीन समर्थक विधायकों का वापस आ जाना भी उनकी कमजोरी साबित हो गया.

सचिन पायलट की वापसी पर बोले खाचरियावास- गहलोत गुट में है नाराजगी

इसके अलावा पायलट के साथ मौजूद कुछ विधायकों में भी भविष्य को लेकर संशय पैदा होने लगा था. इस बदलाव में अशोक गहलोत के खुले खत के जरिए विधायकों से अपील का भी असर माना जा रहा है. इंडिया टुडे से कांग्रेस के एक नेता ने बताया है कि भंवरलाल शर्मा और अन्य विधायकों के गहलोत को समर्थन के बाद सचिन पायलट के पास कोई विकल्प नहीं बचा था. तीन निर्दलीय विधायक भी अब पायलट खेमे से गहलोत के पास आ गए हैं.

बीजेपी पर नहीं था पूरा भरोसा!

इतना ही नहीं, दूसरी तरफ बीजेपी खेमा भी पूरी तरह सरकार गिरा पाने और फिर अपनी सरकार बना पाने में सक्षम नजर नहीं आ रहा था. सचिन पायलट को इस बात का भी डर था कि कहीं वसुंधरा राजे गुट के विधायक क्रॉस वोटिंग कर गहलोत की सरकार न बचा लें. पार्टी ने जब विधायकों को राजस्थान के बाहर भेजने का फैसला किया तो सिर्फ 20 विधायक ही गुजरात गए. वसुंधरा गुट के कुछ विधायकों के इंतजार में तो दिनभर हेलिकॉप्टर भी खड़ा रहा लेकिन वो जाने को राजी नहीं हुए थे. अब जबकि 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है तो इसके मद्देनजर माना जा रहा था कि अशोक गहलोत सरकार फ्लोर टेस्ट करा लें. हालांकि, प्रस्ताव में ऐसा कुछ शामिल नहीं था.

लेकिन सत्र चलने की स्थिति में कांग्रेस व्हिप जारी करती और सचिन पायलट समेत अन्य विधायकों को सदन में आना पड़ता. हालात, ऐसे भी उभर सकते थे कि सचिन पायलट और उनके गुट के नेताओं की सदस्यता पर खतरा पैदा हो जाए. हालांकि, अशोक गहलोत ने विधानसभा स्पीकर के जरिए भी इन विधायकों की सदस्यता रद्द कराने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट के दखल के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका.

दूसरी तरफ सचिन पायलट लगातार कह तो रहे थे कि वो पार्टी के साथ हैं, लेकिन उन्होंने मानेसर में ही डेला डाला हुआ था. वो पार्टी नेताओं के संपर्क में थे. कांग्रेस हाईकमान भी पायलट को मनाने में जुटा था. प्रियंका गांधी ने कपिल सिब्बल से लेकर पायलट के ससुर और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूख अब्दुल्ला से भी बात की. सचिन पायलट की मां से भी बात की गई. पारिवारिक संबंधों का हवाला भी दिया गया.

इस तरह सचिन पायलट अपनी कुछ डिमांड पूरा होने के भरोसे पर सत्र शुरू होने से पहले ही मान गए. हालांकि, अशोक गहलोत को भी पायलट कैंप की वापसी और उनकी मांगों पर ध्यान देने के लिए मनाने में मशक्कत करनी पड़ी. लेकिन अब उनका कहना है कि कमेटी सारे मसलों का समाधान निकाल लेगी. पायलट खेमे को ये भी आश्वासन दिया गया है कि न ही अब टेप कांड की जांच होगी और न ही कोई पुलिस एक्शन लिया जाएगा.

फिलहाल, सचिन पायलट की नाराजगी दूर हो गई है और अशोक गहलोत के गंभीर इल्जामों और व्यक्तिगत टिप्पणियों के बावजूद वो रात गई…बात गई…जैसे बयान देकर माहौल को सरल बना रहे हैं.

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