जयपुर, एजेंसियां। राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच कांग्रेस की ओर से आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई।इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने राजस्थान सरकार को गिराने की कोशिश में भाजपा का हाथ बताया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भाजपा नेता संजय जैन और कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा से जुड़ी बातचीत के ऑडियो टेप को लेकर कई खुलासे किए। सुरजेवाला ने आरोप लगाया है कि भाजपा ने राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिश की।
इस बीच राजस्थान में जारी सियासी लड़ाई अब कोर्ट के दरवाजे तक पहुंच गई है।आज हाइकोर्ट में सचिन पायलट समेत उनके 19 समर्थित विधायकों की याचिका पर दोबारा सुनवाई होने वाली है। इस बीच आज सीएम अशोक गहलोत सुनवाई से पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर सकते हैं। राजस्थान में सचिन पायलट सहित उनके 19 समर्थित विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस देने का मामला गुरुवार को हाई कोर्ट पहुंचा था। पायलट सहित विधायकों ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से जारी अयोग्यता के नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। हाइकोर्ट की डबल बेंच आज इस मामले पर दोपहर एक बजे सुनवाई करेगी।
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– कांग्रेस नेता सुरजेवाला ने बताया कि कल मीडिया द्वारा चौंकाने वाले ऑडियो टेप दिखाए गए, जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भाजपा नेता संजय जैन और कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा ने विधायकों को रिश्वत देने और राजस्थान सरकार को गिराने बात कही। सुरजेवाला ने बताया कि ऑडियो टेप की बातचीत सामने आने के बाद कांग्रेस ने विधायक भंवर लाल शर्मा और विश्वेंद्र सिंह को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है।
– कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी राजस्थान की सरकार गिराने की कोशिश कर रही है, इसके कुछ ऑडियो भी सामने आ रहे हैं, जिसमें राजस्थान के कांग्रेस विधायकों को खरीदने की कोशिश की जा रही है।इस दौरान रणदीप सुरजेवाला ने कांग्रेस नेता भंवरलाल शर्मा और बीजेपी नेता संजय जैन की बातचीत से जुड़े कई खुलासे किए।
– कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने जयपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के बजाय सत्ता हथियाने की मोदी सरकार और भाजपा राजस्थान में सरकार गिराने की कोशिश कर रही है।
आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं गहलोत
राजस्थान में हाइकोर्ट की आज होने वाली सुनवाई से पहले सीएम अशोक गहलोत एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान गहलोत सचिन पायलट के बागी तेवर और विधायकों के हाइकोर्ट जाने को लेकर बात कर सकते हैं।
5 साथियों ने छोड़ा पायलट का साथ
राजस्थान में 6 दिनों से जारी सियासी भूचाल के बीच सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच रस्साकशी जारी है। इस बीच पायलट खेमे में हलचल की खबर है। पायलट के 5 खास साथियों ने उनका साथ छोड़ दिया है।तीन दिन पहले तक अपने साथ 30 विधायकों का समर्थन होने का दावा कर रहे पायलट के पास अब सिर्फ 25 विधायक ही बचे हैं। पायलट का साथ छोड़ने वालों में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास,विधायक दानिश अबरार,चेतन डूडी,रोहित बोहरा व प्रशांत बैरवा शामिल है । ये सभी वे नेता हैं जो पिछले साढ़े छह साल से पायलट के साथ काम कर रहे थे ।
दोपहर एक बजे शुरू होगी सुनवाई
आज हाइकोर्ट में सचिन पायलट समेत उनके 19 समर्थित विधायकों की याचिका पर सुनवाई होने वाली है। यह सियासी घमासान हाई कोर्ट के सिंगल बेंच से होता हुआ मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की डबल बेंच तक पहुंच गया है। मुख्य न्यायाधीश इस मामले की सुनवाई शुक्रवार दोपहर एक बजे करेंगे।
पायलट के सामने होगी चुनौती
शुक्रवार दोपहर एक बजे ही विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने 19 विधायकों के निष्कासन को लेकर दिये गए नोटिस का जवाब भी मांगा है। पायलट के लिए परेशानी यह है कि यदि हाई कोर्ट की खंडपीठ का निर्णय आने से पहले 19 विधायकों के जवाब से असंतुष्ट होकर सदस्यता रद करने का आदेश विधानसभा अध्यक्ष दे देते हैं तो मामला पेचीदा हो जाएगा। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि फिर पायलट को सुप्रीम कोर्ट जाना होगा।
कानूनी लड़ाई का मंच तैयार
राजस्थान में पिछले काफी दिनों से जारी सियासी रार में अब कोर्ट में एक बड़ी कानूनी लड़ाई की तैयारी है। इस मामले में दोनों तरफ से दिग्गज वकील भी आमने-सामने हैं। सचिन की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे व मुकुल रोहतगी ने नोटिस को चुनौती दी है। जबकि दूसरे पक्ष की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की। यह सुनवाई ऑनलाइन हुई।
नोटिस पूरी तरह असंवैधानिक- हरीश साल्वे
राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच गुरुवार सुबह पायलट की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे व मुकुल रोहतगी ने हाई कोर्ट में विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान ही व्हिप मान्य होता है। विधानसभा सत्र के अलावा व्हिप मान्य नहीं होता है। ऐसे में नोटिस देना या सदस्यता रद करने की मांग करना गलत है।
साल्वे ने कहा कि सदन के बाहर हुई कार्यवाही के लिए स्पीकर नोटिस जारी नहीं कर सकते। नोटिस की संवैधानिकता नहीं है। उन्होंने दो जजों की बेंच(डबल बेंच) गठित करने की मांग की। इससे पहले मामले की सुनवाई जस्टिस सतीश कुमार शर्मा की बेंच में हुई। कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही हरीश साल्वे ने संशोधित याचिका पेश करने का समय मांगा। इस पर कोर्ट ने उन्हें समय दिया।
कल की सुनवाई में क्या हुआ ?
गुरुवार दोपहर बाद 4:15 बजे फिर सुनवाई हुई। संशोधित याचिका पर हरीश साल्वे और विधानसभा अध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी के बीच बहस हुई। सिंघवी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि बिना आधार के याचिका को कैसे स्वीकार किया जा सकता है। राज्य के महाधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी याचिका का विरोध किया। मुख्य सचेतक की ओर से वकील अजीत भंडारी ने पक्ष रखा। सरकार की ओर से केवियट भी पेश की गई। सरकार की तरफ से कहा गया कि यह मामला संविधान से जुड़ा होने के कारण इसमें दो जजों की खंडपीठ(डबल बेंच) गठित की जाए। इस पर मुख्य न्यायाधीश महांती व जस्टिस गुप्ता की खंडपीठ बनाई गई। देर शाम 7:40 बजे खंडपीठ बैठी और मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार दोपहर एक बजे का समय दिया गया।
क्या है मामला ?
सरकारी मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने तीन दिन पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि पायलट सहित 19 विधायक पार्टी द्वारा व्हिप जारी करने के बावजूद लगातार दो बार विधायक दल की बैठक में नहीं आए, लिहाजा उनकी सदस्यता रद की जाए। याचिका में कहा गया कि नियम के अनुसार व्हिप का उल्लंघन करने वाले किसी भी पार्टी के विधायक की सदन से सदस्यता समाप्त हो जाती है। इस पर स्पीकर ने पायलट सहित सभी 19 विधायकों को नोटिस जारी कर शुक्रवार दोपहर एक बजे तक जवाब मांगा है।
इन विधायकों को दिया गया नोटिस
विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट, हेमाराम चौधरी, भंवरलाल शर्मा, दीपेंद्र ¨सह शेखावत, विश्वेंद्र ¨सह, रमेश मीणा, गजेंद्र ¨सह शक्तावत, इंद्रराज गुर्जर, गजराज खटाणा, राकेश पारीक, पीआर मीणा, मुरारी लाल मीणा, सुरेश मोदी, वेद्रप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावडि़या, हरीश मीणा, बृजेंद्र ओला व अमर सिंह को नोटिस दिया है।
Posted By: Shashank Pandey
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