‘CM की तानाशाही के खिलाफ बोलना, बगावत नहीं फ्रीडम ऑफ स्पीच’ – आज तक

  • हरीश साल्वे ने नोटिस पर उठाए सवाल
  • कहा- ये बगावत नहीं फ्रीडम ऑफ स्पीच है

राजस्थान की सियासी लड़ाई अब हाई कोर्ट में लड़ी जा रही है. विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट गुट की याचिका पर सुनवाई चल रही है. सचिन पायलट गुट की पैरवी वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह बगावत नहीं, फ्रीडम ऑफ स्पीच है.

सीनियर वकील हरीश साल्वे की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट में कहा गया कि अगर कोई विधायक अपने मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार और तानाशाही रवैए के खिलाफ बोलता है, अपनी सेंट्रल लीडरशिप को जगाता है, यह उसका फ्रीडम ऑफ स्पीच है, यह बगावत नहीं है. अभी व्हिप पर चर्चा चल रही है.

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सचिन पायलट गुट की पैरवी करते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि स्पीकर इस मामले में भेदभाव कर रहे हैं, स्पीकर की मंशा साफ नहीं है. इस दौरान अदालत में ऑडियो मामले में लिखी गई FIR पर भी चर्चा हुई और हरीश साल्वे ने कहा कि देखिए अब किस तरह FIR लिखी जा रही हैं.

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क्या है पूरा मामला

कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी ने बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने की याचिका लगाई है. इस पर स्पीकर सीपी जोशी ने सचिन पायलट समेत सभी बागी विधायकों को नोटिस जारी किया है और उनसे 17 जुलाई की दोपहर 1 बजे तक जवाब मांगा है. जवाब मिलने के बाद स्पीकर आगे की कार्रवाई करेंगे.

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इन विधायकों को भेजा गया है नोटिस

यह नोटिस सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पी.अर.मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत को भेजा गया है.

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