सचिन पायलट के पक्ष में हाई कोर्ट नहीं देता है फैसला, तो क्या है विकल्प? एक्सपर्ट से जानें – Navbharat Times

राजस्थान कांग्रेस में राजस्थान पायलट और अशोक गहलोत में तनातनी।

जयपुर

सचिन पायलट और 18 अन्य बागी कांग्रेस विधायकों ने उन्हें राज्य विधानसभा से अयोग्य करार देने की कांग्रेस की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा भेजे गये नोटिस को चुनौती दी है। इस मामले में राजस्थान हाई कोर्ट आज सुनवाई करेगा। विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय ने विधायकों को शुक्रवार को दोपहर एक बजे तक ही नोटिस का जवाब देने को कहा है। हालांकि विधानसभा स्पीकर ने इस अवधि को शाम पांच बजे तक कर दिया है।

इस याचिका पर आज अपराह्न करीब तीन बजे न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा ने सुनवाई की। लेकिन, बागी खेमे के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने नए सिरे से याचिका दाखिल करने के लिए समय मांगा। शाम करीब पांच बजे असंतुष्ट खेमे ने संशोधित याचिका दाखिल की और अदालत ने इसे दो न्यायाधीशों की पीठ की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत मोहंती को भेज दिया।

समझें इस केस के कानूनी पहलू-:

विधानसभा स्पीकर दोनों पक्षों को सुनेंगे तभी लेंगे कोई फैसला

राजस्थान विधानसभा के पूर्व उप सचिव सुरेश जैन ने नोटिस को लेकर बताया कि विधानसभा अध्यक्ष ने आरोपों के गुण-अवगुण पर अभी कोई बात नहीं की है। अभी केवल तथ्य जो पेश किए गए हैं, उसपर जवाब मांगा गया है। जवाब आने के बाद और दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही विधानसभा अध्यक्ष कोई निर्णय करेंगे कि दल बदल का कोई आधार बनता है या नहीं। इस बात को कोर्ट में इसलिए चैलेंज किया गया है कि इस नोटिस की विधता क्या है। अगर कोर्ट नोटिस को वैध मानती है तो वर्तमान स्थिति बरकरार रहेगी, वरना विधानसभा अध्यक्ष नये सिरे से आगे की कार्रवाई करेंगे।

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कोर्ट और विधानमंडल एक दूसरे का करते रहे हैं सम्मान

सुरेश जैन ने बताया कि हमारे देश की परंपरा रही है कि कोर्ट विधानमंडल का सम्मान करते हैं। साथ ही विधान मंडल के किसी फैसले पर टिप्पणी करने से बचते रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी ने जवाब देने की समयसीमा डेढ़ बजे से बढ़ाकर पांच बजे तक कर दी है। यह बात दर्शाता है कि विधानमंडल ने न्यायपालिका की गरिमा का ख्याल रखा है। जबकि स्पीकर पर इसके लिए कोई बाध्यता नहीं थी। इसके अलावा स्पीकर ने कहा है कि कोर्ट का जो भी निर्णय आएगा वे उसका पालन करेंगे।



‘पायलट का केस अभी शरद यादव की तरह नहीं’


सुरेश जैन ने बताया कि सचिन पायलट और उनके समर्थकों का मामला अभी शरद यादव या किसी पिछले मामलों वाली हालत में नहीं पहुंचा है। अभी केवल नोटिस दिया गया है। अभी तक ऐसे हालात नहीं हैं कि इन सदस्यों की सदस्यता चली ही जाए।

कोर्ट के फैसले के बाद भी स्पीकर दोनों पक्षों से बात करेंगे। उसमें अगर सचिन पायलट गुट यह समझाने में सफल होते हैं कि उनपर लगे आरोप गलत हैं, तब जाकर स्पीकर कोई फैसला लेंगे। दल-बदल का कानून इनपर लागू होता है या नहीं, यह स्पीकर की संतुष्टि पर निर्भर है।

सचिन पायलट पर भड़के अशोक गहलोत

विश्वेंद्र शर्मा और भवंरलाल का निलंबन कैसे?

उन्होंने बताया कि याचिका में कई पेंच हैं। उदाहरण के तौर पर पहले कहा गया है कि सचिन पायलट समेत सभी बागी विधायकों ने स्वेच्छा से पार्टी से अलग होने का फैसला लिया है। उसके बाद कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने भंवरलाल शर्मा और विश्वेंद्र शर्मा को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से बर्खास्त करने की बात कही है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब आप पहले याचिका में कह रहे हैं कि बागी विधायकों ने स्वेच्छा से पार्टी से अलग होने का फैसला लिया है तो फिर आपको उन्हें बर्खास्त करने का अधिकार कहां से हो गया। इस तरह के कई सवाल हैं जिनके जवाब आने बाकी हैं।

पायलट स्पीकर को जवाब नहीं देंगे तो निर्णय एकतरफा आ सकता है

विधानसभा के पूर्व उप सचिव सुरेश जैन ने कहा कि हम जो देख सुन रहे हैं, उसके आधार पर विधानसभा के स्पीकर फैसला लेंगे ऐसा नहीं है। वहां केवल तर्क और तख्त के आधार पर फैसले लिए जाएंगे। अगर सचिन पायलट स्पीकर को जवाब ही नहीं देते हैं तो उनके पास पावर है कि जिस पक्ष ने याचिका पेश की है उसके तर्कों को सुनकर, अगर उन्हें उचित मानते हैं, नियमों के अनुसार मानते हैं तो फैसला कर सकते हैं। अगर सचिन पायलट पक्ष भी अपना जवाब दाखिल करता है तब स्पीकर दोनों पक्षों की बातों की विवेचना करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंचेंगे। लेकिन इन सबके लिए सचिन पायलट गुट को विधि सवंत आरोपों का खंडन करना होगा।

सचिन पायलट और उनके सहयोगियों पर आरोप लगाने वाले पक्ष को विधानसभा स्पीकर के सामने प्रमाण के साथ सिद्ध करना होगा कि इन्होंने कौन सी पार्टी विरोधी गतिविधियां की। जब तक स्पीकर संतुष्ट नहीं होंगे तब वह और भी प्रमाण मांग सकते हैं। या पूरे मामले को खारिज भी कर सकते हैं।

राजस्थान सियासी संकट: विधायकों की खरीद-फरोख्त पर सचिन पायलट सार्वजनिक तौर से स्थिति स्पष्ट करें, कांग्रेस की मांग
राजस्थान सियासी संकट: विधायकों की खरीद-फरोख्त पर सचिन पायलट सार्वजनिक तौर से स्थिति स्पष्ट करें, कांग्रेस की मांगराजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सियासी खींचतान जारी है। पूरे मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पिछले करीब एक महीने विधायकों के खरीद फरोख्त की चर्चा चल रही है। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप में एक मुकदमा दर्ज है, जिस पर जांच भी चल रही है। सुरजेवाला ने कहा कि कल शाम मीडिया के माध्यम से दो ऑडियो टेप सामने आए हैं, जिसमें तथाकथित तौर से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, कांग्रेस विधायक भंवरलाल शर्मा और बीजेपी एमएलए संजय जैन की बातचीत सामने आई है। इस तथाकथित बातचीत में पैसों की सौदेबाजी, विधायकों की निष्ठा खरीदने और राजस्थान की सरकार गिराने का षडयंत्र सामने आया है। ये अपने आप में लोकतंत्र का काला अध्याय है।

अगर हाई कोर्ट में सचिन पायलट की याचिका खरिज होती है तो?

1. सचिन पायलट इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। ऐसे मामलों में दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट में जाने को स्वतंत्र है। आरोप लगाने वाला भी और जिसपर आरोप लगे हैं वह भी। यानी स्पीकर भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला ले सकते हैं।

2. इसमें यह देखना होगा कि अगर फैसला विपरीत आता है तो दोनों पक्षों के वकील इसपर क्या राय देते हैं। वकील ही हाई कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर सुप्रीम कोर्ट जाने की सलाह दे सकते हैं।

साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस द्वारा अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सचिन पायलट नाराज चल रहे थे। राजस्थान की 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 और बीजेपी के पास 72 विधायक हैं। यदि 19 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया जाता है तो राज्य विधानसभा की मौजूदा प्रभावी संख्या घटकर 181 हो जाएगी, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 91 पर पहुंच जाएगा और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए बहुमत कायम रखना आसान होगा।

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