लंदन, एपी। ब्रिटेन, अमेरिका और कनाडा ने रूस पर कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण से जुड़े शोध की जानकारियों को चोरी करने की कोशिश का आरोप लगाया है। वहीं, रूस ने इस आरोप का खंडन किया है। तीनों देशों ने कहा है कि एपीटी 29 नाम का डाटा हैकिंग ग्रुप रूसी खुफिया सेवा का हिस्सा है। वह उन संस्थाओं के डाटा पर हमला कर रहा है जो कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया से जुड़ी हैं। रूस का यह हैकिंग ग्रुप कोजी बियर के नाम से भी जाना जाता है।
डाटा हैकिंग के जो प्रयास किए जा रहे हैं उनसे सूचनाएं चोरी होने के साथ ही शोध कार्य में रुकावट आने की भी आशंका है। बयान में बताया गया है कि ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्युरिटी सेंटर ने अमेरिका और कनाडा की एजेंसियों के सहयोग से इस रूसी हरकत को पकड़ा है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि कोई सूचना चोरी हुई है या नहीं। कोजी बियर का नाम 2016 के अमेरिकी चुनाव में हेरफेर करने की कोशिश में भी सामने भी आया था।
कोजी बियर नाम का ग्रुप सक्रिय, कर रहा साइबर हमला
तीनों देशों का कहना है कि रूस इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी चुराने की कोशिश में साइबर हमले कर रहा है ताकि वह सबसे पहले या उनके साथ कोरोना वैक्सीन विकसित कर सके। तीनों देशों ने एक संयुक्त बयान जारी कर दावा किया कि एपीटी 29 (कोजी बियर) नाम के हैकिंग ग्रुप ने अभियान छेड़ रखा है। यह ग्रुप रूस की खुफिया एजेंसियों का हिस्सा है और क्रेमलिन के इशारे पर काम करता है।
रूस का साइबर हमला स्वीकार नहीं
इस बारे में जानकारी नहीं दी गई है कि ये साइबर हमले कहां किए गए हैं लेकिन बताया जा रहा है कि तीनों देशों के फार्मास्यूटिकल और शोध संस्थानों को निशाना बनाया गया। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने कहा है कि सहयोगियों के साथ मिलकर इन हमलों के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। महामारी से लड़ रहे संस्थानों पर रूस की खुफिया एजेंसियों का हमला करना स्वीकार नहीं होगा।
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रूस का विश्व को सबसे पहले वैक्सीन देने का दावा
रूसी वैज्ञानिकों का दावा किया है कि विश्व की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन अगस्त में लांच हो जाएगी। गैमेलेई नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के निदेशक अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग ने कहा कि कोरोना वैक्सीन 12 से 14 अगस्त तक लोगों को दी जाने लगेगी। मॉस्को टाइम्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर सितंबर से इसका उत्पादन शुरू होने की संभावना है।
रूस का दावा है कि मॉस्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी ने दुनिया के पहले कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए क्लिनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसलेशन मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के निदेशक वादिम तरासोव ने कहा कि वालेंटियर्स के पहले बैच को 15 जुलाई और दूसरे बैच को 20 जुलाई को छुट्टी दे दी जाएगी। क्लिनिकल ट्रायल्स गैमेलेई नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में 18 जून से शुरू हुए थे।
रूस के अनुसार, टीके का पहला मानव ट्रायल 38 लोगों पर एक महीने तक चला। यह परीक्षण इसी सप्ताह समाप्त हुआ। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि यह उपयोग के लिए सुरक्षित है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून रिस्पांस) को प्रेरित करता है, हालांकि उस प्रतिक्रिया की ताकत के बारे में अब तक स्पष्ट नहीं है। कई हजार लोगों को शामिल करने वाला एक बड़ा चरण तीसरा परीक्षण अगस्त में शुरू होने की उम्मीद है।
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Posted By: Arun Kumar Singh
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