ऑडियो लीक से भाजपा के बड़े नेता सवालों के घेरे में, लेकिन वसुंधरा चुप; पायलट खेमा भी उन पर गहलोत की मददगार होने का आरोप लगा रहा

राजस्थान में पायलट-गहलोत के विवाद के बीच वायरल ऑडियो ने सियासी भूचाल ला दिया है। ऑडियो को लेकर कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। भाजपा की कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इस मामले में शुरूसे चुप हैं। लीक ऑडियो के बाद भी उनकी चुप्पी बरकरार है। भाजपा के सहयोगी दल रालोपा के नेता हनुमान बेनीवाल ने गुरुवार को वसुंधरा पर सीधा आरोप लगाया था कि वे गहलोत सरकार को बचा रही हैं। पायलट खेमे ने भी उन पर यही आरोप लगाया।

न पार्टी बैठक में आईं, न ऑडियो लीक पर पार्टी का बचाव किया

विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में गहलोत खेमे के आक्रामक रुख के बाद पायलट के बाद राजस्थान भाजपा पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में वसुंधरा को पार्टी के बचाव में उतरना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया है। पिछले कुछ दिन से वसुंधरा अपने गृह नगर धौलपुर में हैं। उनको मंगलवार को जयपुर में भाजपा की बैठक में शामिल होना था,लेकिन वे नहीं पहुंचीं। इसके बाद पार्टी नेताओं ने कहा कि वे बुधवार को होने वाली बैठक में शामिल होंगी, लेकिन वे फिर जयपुर नहीं आईं।

गजेंद्र सिंह शेखावत वसुंधरा विरोधी गुट के माने जाते हैं

वसुंधरा के नजदीकी नेता का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम में सक्रिय भाजपा नेताओं ने वसुंधरा को विश्वास में नहीं लिया। ऐसे में उनके लिए चुप्पी साधना ही बेहतर है। वैसे भी मौजूदा समीकरण में इस बात की संभावना कम है कि गहलोत सरकार गिरने के बाद भाजपा वसुंधरा को मुख्यमंत्री बनाएगी। इसलिए भी वसुंधरा कोई दिलचस्पी नहीं ले रही हैं। बल्कि अंदरखाने यह चर्चा है कि वे गहलोत सरकार की मदद कर रही हैं।

वसुंधरा यह भी नहीं चाहतीं कि पार्टी में उनका कोई नया विरोधी तैयार हो। इसलिएचुप हैं। वहीं, भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री औरजोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत इस मामले में बहुत मुखर हैं। गजेंद्र वसुंधरा के विरोधी गुट के हैं। ऑडियो लीक प्रकरण में गजेंद्र का नाम आया है।

भाजपा विधायकों में वसुंधरा की अच्छी पकड़

प्रदेश में भाजपा के 72 विधायकों में से 45 से अधिक वसुंधरा राजे के कट्‌टर समर्थक माने जाते हैं।मोदी-शाह ने वसुंधरा को केंद्र मेंले जाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसके लिए वे तैयार नहीं हुईं।वे राजस्थान में ही रहना चाहतीहैं। हनुमान बेनीवाल को भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का करीबी माना जाता है। बेनीवाल ने ही वसुंधरा पर गहलोत सरकार की मदद का आरोप लगाया है, इससेवसुंधरा समर्थक भी मोर्चा खोल सकते हैं। ऐसा हुआ तोभाजपा की गुटबाजी खुलकर सामने आ जाएगी।

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प्रदेश में भाजपा के 72 विधायकों में से 45 से अधिक वसुंधरा राजे के कट्‌टर समर्थक माने जाते हैं। 

Source: DainikBhaskar.com

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