रेस में बरकरार Oxford University की Coronavirus Vaccine, इंसानों पर पहले टेस्ट में पास – Navbharat Times

अगले महीने मिल जाएगी कोरोना वैक्‍सीन: दावा
हाइलाइट्स

  • ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वायरस वैक्सीन के नतीजे
  • इंसानों पर पहले ट्रायल में दिखी वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता
  • सिर्फ ऐंटीबॉडी नहीं, वाइट ब्लड सेल (किलर T-Cell) भी विकसित
  • आधिकारिक ऐलान के बाद ज्यादा वॉलंटिअर्स पर फिर होगा ट्रायल

लंदन

अमेरिका की Moderna Inc के बाद अब ब्रिटेन की ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन (Oxford University Coronavirus Vaccine) के नतीजे भी सफल आए हैं। ऑक्सफर्ड की दवा में भी वॉलंटिअर्स में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती पाई गई है। ऑक्सफर्ड के वैज्ञानिक न सिर्फ वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 (अब AZD1222) के पूरी तरह सफल होने को लेकर आश्वस्त हैं बल्कि उन्हें 80% तक भरोसा है कि सितंबर तक वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। ऑक्सफर्ड की वैक्सीन का उत्पादन AstraZeneca करेगी।

वॉलंटिअर्स में देखी गई इम्यूनिटी

ऑक्सफर्ड के ट्रायल के नतीजों की आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है और इनके गुरुवार को ‘द लैंसेट’ में छपने की उम्मीद है। इसका ट्रायल 15 वॉलंटिअर्स पर किया गया था और आने वाले हफ्तों में करीब 200-300 और वॉलंटिअर्स पर इसका ट्रायल किया जाएगा। दावा किया गया है कि ऑक्सफर्ड के ट्रायल में जिन लोगों को वैक्सीन दी गई थी उनमें ऐंटीबॉडी और वाइट ब्लड सेल्स (T-Cells) विकसित होते पाए गए हैं जिनकी मदद से वायरस से इन्फेक्शन होने पर उनके शरीर प्रतिरोधक क्षमता के साथ तैयार हो सकते हैं।

Moderna Coronavirus Vaccine: कोरोना वायरस से जंग, पहले टेस्‍ट में सफल रही अमेरिकी वैक्‍सीन

सफल हुए टेस्ट तो हजारों पर ट्रायल

खास बात यह है कि अमूमन वैक्सीन के जरिए ऐंटीबॉडी पैदा होने पर गौर किया जाता है लेकिन ऑक्सफर्ड की वैक्सीन में ऐंटीबॉडी के साथ-साथ वाइट ब्लड सेल (किलर T-cell) भी पैदा हो रहे हैं। शुरुआती ट्रायल्स में बिना किसी नुकसान के सफल रहने पर हजारों की संख्या में लोगों पर इसका टेस्ट करने की ओर बढ़ा जा सकेगा। इस वैक्सीन के ट्रायल में ब्रिटेन में 8 हजार और ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में 6 हजार लोग शामिल हैं। ऑक्सफर्ड की वैक्सीन का ब्रिटेन में सबसे पहले इंसानों पर ट्रायल किया गया था।

Moderna भी तेज, लेकिन AstraZeneca आगे

  • Moderna भी तेज, लेकिन AstraZeneca आगे

    स्वामिनाथन ने कहा, ‘हमें पता है कि Moderna की वैक्सीन भी तीसरे फेज के क्लिनिकल ट्रायल में पहुंचने वाली है, शायद जुलाई में, इसलिए वे भी ज्यादा पीछे नहीं हैं।’ हालांकि उन्होंने कहा कि अगर यह देखा जाए कि वे अपने ट्रायल कहां प्लान कर रहे हैं और कहां करेंगे, तो AstraZeneca का ग्लोबल स्कोप ज्यादा है।’ यह वैक्सीन ChAdOx1 वायरस से बनी है जो सामान्‍य सर्दी पैदा करने वाले वायरस का एक कमजोर रूप है। इसे जेनेटिकली बदला गया है इसलिए इससे इंसानों में इन्‍फेक्‍शन नहीं होता है।
  • Moderna भी इस महीने तैयार

    अमेरिका की Moderna Inc अपनी वैक्सीन mRNA-1273 के दूसरे चरण के ट्रायल शुरू कर चुकी है। कंपनी दवाई बनाने वाली Catalent Inc के साथ 2020 की पहली तिमाही तक 100 मिलियन डोज बनाने की कोशिश में है। Catalent की वैक्सीन की पैकेजिंग, लेबलिंग, स्टोरेज और डिस्ट्रिब्यूशन करेगी जब Moderna की वैक्सीन लेट-स्टेज क्लिनिकल ट्रायल में पहुंच जाएगी। Catalent ने Johnson & Johnson और AstraZeneca के साथ भी पार्टनरशिप की है। Moderna जुलाई में 30 हजार लोगों पर फाइनल स्टेज ट्रायल के लिए तैयार है और इस साल नवंबर में इसके डेटा के आने की उम्मीद में है।
  • ​Sanofi-GSK

    फ्रांस की फार्मासूटिकल कंपनी Sanofi ने हाल ही में कहा है कि उसने दिसंबर की जगह अपनी वैक्सीन का ट्रायल सितंबर में करने की तैयारी शुरू कर दी है। कंपनी का दावा है कि वह कई ‘कैंडिडेट्स’ पर काम कर रही है और इस साल की चौथी तिमाही तक इंसानों पर ट्रायल शुरू कर देगी। Sanofi ने यह भी ऐलान किया है कि वह अमेरिका की स्टार्टअप Translate Bio के साथ वैक्सीन डिवेलपमेंट में अपने विस्तार के लिए 425 मिलियन डॉलर का निवेश भी करेगी।
  • थाइलैंड भी इंसानों पर ट्रायल की तैयारी में

    थाइलैंड में सात COVID-19 वैक्सीन पर काम कर चल रहा है। अलग-अलग तरीकों से वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगे थाइलैंड का कहना है कि उसकी एक कैंडिडेट इंसानों पर ट्रायल के लिए अक्टूबर में तैयार हो सकती है। ब्लूमबर्ग के मुताबिक बंदरों में इंजेक्शन पर ऐंटीबॉडी बनती पाई गई हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि कई बंदरों में ऐसी ऐंटीबॉडीज बनीं जो वायरस को सेल में घुसने या नुकसान पहुंचाने से रोक सकती हैं। इसमें mRNA वैक्सीन टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जा रहा है और जानवरों पर टेस्ट के फाइनल रिजल्ट दो हफ्ते में आ सकते हैं।

Moderna की वैक्सीन भी सफल

इससे पहले अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्‍सीन (Moderna Coronavirus Vaccine) अपने पहले ट्रायल में पूरी तरह से सफल रही। न्‍यू इंग्‍लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे अध्‍ययन में कहा गया है कि 45 स्‍वस्‍थ लोगों पर इस वैक्‍सीन के पहले टेस्‍ट के परिणाम बहुत अच्‍छे रहे हैं। इस वैक्‍सीन ने प्रत्‍येक व्‍यक्ति के अंदर कोरोना से जंग के लिए ऐंटीबॉडी विकसित किया। इस पहले टेस्‍ट में 45 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जो स्‍वस्‍थ थे और उनकी उम्र 18 से 55 साल के बीच थी।

कोई बड़ा साइड इफेक्ट नहीं

दिग्गज दवा निर्माता कंपनी मॉडर्ना अब कोरोना वायरस वैक्सीन के लेट स्टेज ट्रायल की तैयारी कर रही है। कंपनी के अनुसार, 27 जुलाई के आसपास इस ट्रायल को शुरू किया जा सकता है। इसका इतना कोई खास साइड इफेक्‍ट नहीं रहा जिसकी वजह से वैक्‍सीन के ट्रायल को रोक दिया जाए। ट्रायल के दौरान वैक्‍सीन के तीन डोज देने के बाद आधे लोगों को हल्‍की थकान, शरीर में दर्द और सिर दर्द हुआ। करीब 40 प्रतिशत लोगों ने वैक्‍सीन देने के बाद हल्‍का बुखार महसूस किया।

कोरोना : एक और देसी वैक्‍सीन का इंसानों पर ट्रायल
कोरोना : एक और देसी वैक्‍सीन का इंसानों पर ट्रायलभारत में कोरोनावायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच अच्छी खबर यह है कि देश में बनी कोरोना वायरस की दो वैक्‍सीन का इंसानों पर ट्रायल शुरू हो गया है। पहले इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का ट्रायल इसी हफ्ते शुरू हुआ और अब जायडस कैडिला हेल्‍थकेयर ने भी अपनी कोरोना वैक्‍सीन कैंडिडेट जायकोव-डी (ZyCoV-D) का ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया है।

कोरोना वायरस वैक्सीन
कोरोना वायरस वैक्सीन

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