राजस्थान में चरम पर सियासी रार, फिर भी कांग्रेस क्यों नहीं छोड़ना चाहते सचिन पायलट? – आज तक

  • राज्य में तीसरे मोर्चे की विफलता का इतिहास
  • पायलट के पास सरकार गिराने लायक नंबर नहीं

राजस्थान का सियासी संकट अभी थमा नहीं है. राहुल गांधी ने सचिन पायलट को अपना संदेश भेजा है. राहुल गांधी ने यहां तक कहा है कि उनके लिए कांग्रेस पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले हैं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सचिन पायलट कांग्रेस क्यों नहीं छोड़ना चाहते हैं. आइए एक बार ऐसे ही कुछ सवालों पर नजर मारते हैं-

– सचिन पायलट कांग्रेस पार्टी नहीं छोड़ सकते हैं क्योंकि कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनकी सदस्यता चली जाएगी और बहुत सारे विधायक दोबारा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं.

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– सचिन पायलट के पास गहलोत सरकार गिराने लायक नंबर नहीं है. ऐसे में अगर वह कांग्रेस से अलग होते हैं तो सरकार गिरने का संकट उत्पन्न नहीं होगा.

– सचिन पायलट के साथ बहुत सारे विधायक बीजेपी में नहीं जाना चाहते हैं क्योंकि स्थानीय समीकरण उनके मुफीद नहीं है. बहुत सारे बुजुर्ग विधायक हैं जैसे दीपेंद्र सिंह शेखावत, भंवर लाल शर्मा, हेमाराम चौधरी यह लोग आखिरी चुनाव लड़े हैं और अपने बेटों को विरासत सौंपना चाहते हैं, मगर बीजेपी में जाने के बाद बेटों को विरासत नहीं मिलेगी.

– सचिन पायलट के बहुत सारे साथी जो अशोक गहलोत के साथ हैं, वह कह रहे हैं कि अगर आप कांग्रेस में रहकर संघर्ष करेंगे तो हम आपके साथ रहेंगे.

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– राजस्थान में तीसरी पार्टी का कोई इतिहास नहीं रहा है जो भी तीसरा मोर्चा बनाया है वह बुरी तरह से असफल हुआ है. सचिन पायलट ममता बनर्जी और नीतीश कुमार भी नहीं है जो मेहनत कर सकें. गुर्जर वोट बैंक एक इलाके पूर्वी राजस्थान तक ही सीमित है.

– बीजेपी में सचिन पायलट को वह जगह नहीं मिल पाएगी जो कांग्रेस में है क्योंकि वहां पहले से ही वसुंधरा राजे जैसी कद्दावर नेता हैं जो सचिन पायलट को बिल्कुल पसंद नहीं करतीं. इसके अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत और ओम बिरला जैसे नेता हैं जहां पर सचिन पायलट की ज्यादा नहीं चलेगी.

गहलोत ने लगाए पायलट पर गंभीर आरोप-

राजस्थान के सियासी संग्राम में अशोक गहलोत ने सीधे सचिन पायलट पर विधायकों की खरीद-फरोख्त कर सरकार गिराने का आरोप लगाया था. गहलोत ने यहां तक कह दिया था कि उनके पास इसके सबूत हैं. इसके बाद सचिन पायलट को उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था और प्रदेश अध्यक्ष के पद से भी मुक्त कर दिया था. दरअसल दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर मनमुटाव चल रहा था जो अब खुलकर सामने आ गया. हालांकि पायलट अभी तक खुलकर गहलोत पर हमला करने से बचते रहे हैं.

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