भगवान राम पर बेतुके बयान के लिए नेपाल के पीएम ओली अपने ही देश में बने मजाक – दैनिक जागरण

Publish Date:Wed, 15 Jul 2020 02:17 AM (IST)

काठमांडु, एजेंसियां। भगवान राम पर अपने बेतुके बयान के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपने ही देश में मजाक बन गए हैं। राम का जन्मस्थान नेपाल के बीरभूमि के थोरी गांव में बताने पर उनकी कड़ी आलोचना करते हुए नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने कहा, ‘पीएम ओली ने सारी हदें पार कर दी हैं। अब हमें उनसे कलयुग की नई रामायण सुनने की उम्मीद करनी चाहिए।’ नेपाल के विभिन्न राजनीतिक दलों ने ओली के राम पर दिए विवादित बयान को वापस लेने की मांग की है। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टाराई ने मंगलवार को ट्वीट करके कहा, ‘इतने अतिरेक से केवल मुसीबत बढ़ती है। प्रधानमंत्री ओली ने अपने बयान में सारी हदें पार कर दी हैं।’

नेपाल और भारत के संबंध बिगाड़ने पर पूरा ध्‍यान 

इसी तरह नेपाल के हिंदूवादी राजनीतिक दल हिंदू राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री कमल थापा ने कहा कि प्रधानमंत्री से ऐसे बेतुके, अपुष्ट और अस्वीकार्य बयान की उम्मीद नहीं थी। ऐसा लगता है ओली ने भारत से संबंध सुधारने के बजाय अपना पूरा ध्यान नेपाल और भारत के संबंध बिगाड़ने पर केंद्रित कर दिया है। यह बात बिलकुल भी ठीक नहीं है।

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नेपाल में और नेपाल के बाहर भी भारी रोष

इसी तरह, सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता बाम देव गौतम ने कहा कि प्रधानमंत्री ओली को अयोध्या पर अपना विवादित बयान वापस ले लेना चाहिए। गौतम ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि प्रधानमंत्री ओली ने यह बयान बिना किसी सुबूत के दिया है। इससे देश में और देश के बाहर भी भारी रोष पैदा हो गया है। उन्हें अपना बयान वापस लेकर माफी मांगनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि भगवान राम के भक्त बड़ी तादाद में नेपाल और भारत में हैं। किसी को भी लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए। एक सच्चे कम्युनिस्ट को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए कि भगवान राम का जन्म वहां हुआ है या यहां। इसी तरह, सत्तारूढ़ दल की प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने कहा कि इतने ऊंचे पद पर बैठे व्यक्ति के ऐसे बेबुनियाद और असंगत बयान से देश की प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जाएगी।

विदेश मंत्रालय ने किया बचाव 

हालांकि, मंगलवार को नेपाल के विदेश मंत्रालय ने ओली के बयान पर सफाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के कथन का अर्थ अयोध्या और उसकी सांस्कृतिक विरासत के महत्व को कम करना नहीं था। वह सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि इस दिशा में और शोध किए जाने की जरूरत है। उनके इस बयान का मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या किसी राजनीतिक विचारधारा पर प्रहार करने का नहीं था।

मंत्रालय ने जारी बयान में कहा कि हर साल मनाया जाने वाला विवाह पंचमी बेहद अहम परंपरा है जिसमें अयोध्या से बारात जनकपुर आती है। 2018 में नेपाल और भारत के प्रधानमंत्री ने रामायण सर्किट शुरू किया था जिसके तहत जनकपुर-अयोध्या की बस सेवा शुरू की गई है।

Posted By: Arun Kumar Singh

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