कम उम्र में काफी कुछ मिलने के बाद भी बगावत? सचिन पायलट ने दिया ये जवाब – आज तक

  • सचिन पायलट का पहला इंटरव्यू
  • तमाम सवालों के दिए जवाब
  • बताया- क्यों सीएम पद पर हक जताया

26 की उम्र में सांसद, 32 की उम्र में केंद्रीय मंत्री, 34 की उम्र में प्रदेश अध्यक्ष और 40 की उम्र में उपमुख्यमंत्री. ये वो तथ्य हैं जो सचिन पायलट के सियासी सफर का हिस्सा हैं. इनके आधार पर ही कहा जा रहा है कि सचिन पायलट को कम उम्र में ही कांग्रेस ने इतनी राजनीतिक शक्ति दी. इसके बावजूद उनकी महत्वकांक्षाएं कम नहीं हुईं. कांग्रेस ने तो यहां तक आरोप लगा दिया कि पायलट ने बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान में कांग्रेस सरकार गिराने की कोशिश की.

सचिन पायलट पर ये आरोप 14 जुलाई को तब लगाए गए जब उन्हें उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला सुनाया गया. कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने जयपुर में सीएम आवास के बाहर आकर बताया कि उन्हें दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि सचिन पायलट के रुख के चलते ये फैसला लेना पड़ा है.

अशोक गहलोत के नेतृत्व में लिए गए इस फैसले के बाद आज सचिन पायलट का बयान आया है. इंडिया टुडे मैग्जीन ने सचिन पायलट से यही सवाल किया कि क्या आप बेताब और महत्वकांक्षी नहीं हैं?

इस सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा कि बात मुख्यमंत्री बनने की नहीं है. मैंने पार्टी का नेतृत्व किया और पार्टी ने जीत दर्ज की, इसके बाद ही मैंने सीएम पद पर अपना दावा किया. सचिन पायलट ने कहा कि मैंने जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली तब पार्टी की हालात काफी खराब थी, मैंने 5 साल मेहनत की और पार्टी को जीत मिली. लेकिन पार्टी जीती तो अशोक गहलोत जी ने अपने तजुर्बे को सामने रखते हुए सीएम पद पर हक जता दिया.

यानी सचिन पायलट को कम उम्र में जो भी मिला वो मिला, सीएम पद की चाहत पर उन्होंने कहा कि उनकी मेहनत थी, इस पद पर उनका हक था. गौरतलब है कि 14 जुलाई को कांग्रेस के प्रवक्ता ने भी कहा था कि सचिन पायलट को मनाने का हर मुमकिन प्रयास किया गया लेकिन वो बीजेपी के साथ मिलकर सरकार गिराने की साजिश करते रहे.

इसके साथ ही रणदीप सुरजेवाला ने ये भी कहा कि कम उम्र में सचिन पायलट को इतनी राजनीतिक शक्ति इसलिए दी गई, क्योंकि उनसे सोनिया गांधी, राहुल गांधी का खास लगाव था, लेकिन वो पार्टी के खिलाफ ही चले गए. बता दें कि 1977 में जन्मे सचिन पायलट 2004 में पहली बार कांग्रेस से लोकसभा सांसद बने थे. इसके बाद 2009 में उन्हें मनमोहन सरकार में केंद्र में मंत्री बनाया गया. इसके बाद 2014 में उन्हें राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और 2018 में उपमुख्यमंत्री बनाया गया.

वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी के साथ जाने के आरोप पर पायलट ने कहा है कि वो 100 बार कह चुके हैं कि बीजेपी में नहीं जा रहे हैं, वो अब भी कांग्रेसी हैं.

फिलहाल, अशोक गहलोत सरकार सेफ नजर आ रही है, लेकिन सचिन पायलट आगे क्या कदम उठाते हैं इस पर अभी सबकी नजर है. लेकिन माना जा रहा है कि पायलट के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है, ऐसे में बीजेपी ने भी फिलहाल अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं. इस पूरे घटनाक्रम में जो बड़ी तस्वीर उभरकर आई है वो ये कि सचिन पायलट इस सियासी खेल में एक बार फिर मात खा गए हैं.

Related posts