पायलट नई पार्टी बना सकते हैं और गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं; भाजपा अभी वेट एंड वॉच के मोड में

कांग्रेस ने सचिन पायलट को राजस्थान के डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है। उनके खेमे के दो मंत्रियों को भी बर्खास्त कर दिया गया है, लेकिन अभी सियासी तूफान थमता नजर नहीं आ रहा। गहलोत सरकार बचेगी या जाएगी, यह सवाल अभी कायम है। सचिन पायलट अब आगे क्या करने वाले हैं?

1. पायलट नई पार्टी बना सकते हैं
चर्चा है कि पायलट भाजपा के संपर्क में हैं, लेकिन उनके भाजपा में जाने का फैसला कर लेने का सीधा संकेत अभी तक नहीं मिला है। उनके मामले में तीन संभावनाएं बनती दिख रही हैं।

  • पहली- पायलट के पास अगर पर्याप्त विधायकों का समर्थन नहीं हुआ और वे गहलोत सरकार नहीं गिरा पाए तो भाजपा के लिए वे बहुत काम के नहीं रह जाएंगे। ऐसे में पायलट के लिए मुश्किल होगी। भाजपा से सौदेबाजी में उनका दावा कमजोर हो जाएगा।
  • दूसरी- अगर आगे विधानसभा में फ्लोर टेस्ट होता है और गहलोत सरकार गिर जाती है, तब पायलट खुद के लिए और अपने समर्थकों के लिए भाजपा से बेहतर सौदेबाजी की स्थिति में होंगे। ऐसे में सवाल यह उठेगा कि क्या भाजपा उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर मुख्यमंत्री पद देगी?
  • तीसरी- पायलट भाजपा-कांग्रेस से अलग अपनी पार्टी बना सकते हैं, लेकिन यह मुश्किल रास्ता है। राजस्थान का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां टू पार्टी सिस्टम ही चलता है। अगर पायलट तीसरा मोर्चा बनाने का रास्ता चुनते हैं, तो यह जोखिमभरा कदम होगा। हालांकि, इस स्थिति में भाजपा उन्हें समर्थन दे सकती है।

2. गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते हैं
गहलोत अभी फ्रंटफुट पर दिख रहे हैं। पायलट को सरकार और संगठन से बाहर कर गहलोत ने अपनी एक मुश्किल तो हल कर ली है, लेकिन उनकी सरकार अब तलवार की धार पर ज्यादा नजर आ रही है। भाजपा और पायलट खेमा गहलोत सरकार के अल्पमत में होने का दावा कर रहे हैं। अगर कुछ निर्दलीय भाजपा के साथ जाते हैं, तो सरकार पर संकट खड़ा होगा। अगर सरकार गिर जाती है तो गहलोत के राजनीतिक सफर पर विराम लग सकता है। इसकी वजह उनकी उम्र भी है। वे 69 साल के हैं।

बगावत को रोकने के लिए गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं। इस बहाने वे विधायकों को पायलट खेमे में जाने से भी रोक सकते हैं। राजस्थान में 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं। अभी सरकार में 25 मंत्री हैं। इनमें से पायलट समेत 3 को हटाया जा चुका है। इस तरह 22 मंत्री हैं। 8 नेताओं को एडजस्ट करने की गुंजाइश है। अगर गहलोत कांग्रेस की सरकार बचा लेते हैं, तो पार्टी में वे और मजबूत होंगे। वे पहले से ही आलाकमान के भरोसेमंद हैं। इसका राजनीतिक फायदा उनके बेटे वैभव गहलोत को मिलेगा।

3. कांग्रेस सत्ता बचाए रखना चाहेगी
पायलट की बगावत से कांग्रेस को पहले ही नुकसान हो चुका है। आगे भी उसके सामने राजस्थान में सरकार बचाए रखने की चुनौती हमेशा रहेगी। जहां कहीं कांग्रेस आंकड़ों में मजबूत नहीं है, भाजपा उसके सामने वजूद बचाए रखने की चुनौती पेश कर रही है। राजस्थान की सरकार बचाए रखना कांग्रेस के लिए इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि इस राज्य की फिलहाल पार्टी फंडिंग में भूमिका अहम है। सचिन पायलट को बाहर करने से राजस्थान की जातीय राजनीति में गुर्जर समुदाय कांग्रेस से नाराज हो सकता है।

4. भाजपा अभी इंतजार कर रही
भाजपा वेट एंड वॉच की स्थिति में है। अगर पायलट के पास इतने विधायक हुए कि सरकार गिर जाए, तो वह उनकी मदद करेगी। भाजपा चाहेगी कि वे पार्टी में शामिल हो जाएं, जैसे मध्यप्रदेश में सिंधिया ने दल बदला था। अगर पायलट अलग पार्टी बनाते हैं, तो भाजपा सरकार बनाने के लिए उन्हें समर्थन भी दे सकती है।

आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें

फोटो सोमवार को सीएम हाउस पर हुई विधायकों की बैठक की है। गहलोत मास्क पहन रहे हैं। तब राज्य की सियासत में कुछ स्पष्ट नहीं था। पर अब गहलोत ने काफी कुछ कवर करने की कोशिश की है। मंगलवार को पायलट पार्टी और सरकार में पदों से हटा दिए गए। गहलोत अब विधायकों को साधने की जुगत में हैं।

Source: DainikBhaskar.com

Related posts