अमिताभ बच्चन ने बताया- अच्छा शॉट देने पर किस तरह शाबाशी देती थीं सरोज खान, उनसे मिली सबसे अच्छी तारीफ का किस्सा भी लिखा

बॉलीवुड की दिग्गज कोरियोग्राफर सरोज खान अब हमारे बीच नहीं हैं। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए महानायक अमिताभ बच्चन ने अपनी इंस्टाग्राम वॉल पर एक बड़ी सी पोस्ट लिखी, जिसमें उन्होंने सरोज खान से पहली मुलाकात से लेकर उनसे मिली अबतक कि सबसे अच्छी तारीफ के किस्से बताए।

अमिताभ ने लिखा, ‘आपको सूचित किया जाता है कि सरोज खान अब नहीं रहीं… और समय की दौड़ का एक पूरा इतिहास आपके दिमाग के सामने आ जाता है… उस वक्त मैं लाखों दिलों की धड़कन मुमताज के साथ डायरेक्टर ओपी राल्हन की फिल्म ‘बंधे हाथ’ की शुरुआत करने जा रहा था।’
‘सरोज जी तब के प्रमुख नृत्य निर्देशकों में से एक की युवा, उत्साही और जिंदादिल डांस असिस्टेंट थीं… ये मुमताज की कृपा से हो रहा था, क्योंकि उन्होंने इस नए कलाकार के साथ काम करने की सहमति दे दी थी… वो एक बहुत बड़ी सितारा थीं और मैं कुछ भी नहीं था।’

‘मैंने बड़ी सावधानी से उन्हें देखा था’

‘सरोज जी एक गीत के लिए डांसर्स की भीड़ में थीं… जब वे वहां से हटीं… तो मैंने उन्हें काफी सावधानी से देखा, और ऐसा लगा जैसे वे गर्भवती हैं, लेकिन फिर थोड़ी देर बाद ही वे बिना किसी परेशानी के डांस करने लगीं।’

‘उनके मूव्स के साथ हर कलाकार प्रसिद्ध होने लगा’

‘और फिर आने वाले कुछ ही सालों में वे डांस डायरेक्टर बन गईं… या बदली हुई भाषा में कहें तो वे कोरियोग्राफर बन गईं। उनके मूव्स की वजह से हर कलाकार जिनके साथ वे काम कर रही थीं वो भी प्रसिद्ध होने लगा।’

‘अच्छा शॉट देने पर एक रुपए का सिक्का देती थीं’

‘जब कभी वे किसी कलाकार को अपनी देखरेख में अच्छा शॉट देते हुए देखतीं, तो वे उसे एक तरफ बुलातीं और एक रुपए का सिक्का देती थीं… शाबाशी के रूप में या कहें शगुन के रूप में। कई, कई, कई सालों बाद एक फिल्म के लिए गाने की सीक्वेंस करने के दौरान मैं भी उस सिक्के को पाने वाला बन गया… वो एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।’

‘उन्होंने शब्दों को डांस का अर्थ देने की कला दी’

‘सरोज जी आपने हमें और फिल्म इंडस्ट्री को लय, शैली, ग्रेस ऑफ मूवमेंट और गीत के बोलों को डांस के अर्थ में परिवर्तित करने की कला दी। कई-कई सालों पहले हुई एक मुलाकात के दौरान उन्होंने मुझसे मेरी तारीफ के लिए सबसे शब्द कहे थे…’

‘डॉन की रिलीज के वक्त वे दुबई में रह रही थीं’

‘शादी के बाद वे दुबई में रह रही थीं, और जब डॉन रिलीज हुई तो उन्होंने कहा, ‘मैंने फिल्म देखी और उसके बाद, मैं उस थिएटर गई जहां इसे रिलीज किया गया था, उस समय जब आपका गाना ‘खइके पान बनारस वाला…’ शुरू होता, मैं उसे देखती और बाहर आ जाती… मैं नियमित रूप से रोजाना ऐसा करने लगी…’

एक गाना देखने के लिए रोजाना थिएटर जाती थीं

‘मैंने गेटकीपर से कहा कि मुझे उस गाने को देखने के लिए अंदर जाने दो और मैं बाहर आ जाऊंगी… आप समझ सकते हैं, उस गाने में मैंने आपके डांस मूव्स का कितना आनंद लिया था… उनसे ये तारीफ मिलना परम सुखदायी था। उनके जाने से एक विरासत का निधन हो गया।’

अमिताभ ने बताया कि सरोज जी जब कभी किसी कलाकार को अच्छा शॉट देते हुए देखतीं, तो वे उसे एक तरफ बुलाकर एक रुपए का सिक्का शगुन के रूप में देेती थीं।

Source: DainikBhaskar.com

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