लद्दाख गतिरोध: भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता – अमर उजाला

भारत और चीन सेनाओं के बीच मंगलवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर पर तीसरे दौर की बातचीत हुई जिसके केंद्र में पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देना था। सरकारी सूत्रों ने बताया कि वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास चुशूल सेक्टर में भारतीय जमीन पर हुई।

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पहले दो दौर की वार्ताओं में भारतीय पक्ष ने यथास्थिति की बहाली और गलवां घाटी, पैंगोंग त्सो और अन्य क्षेत्रों से चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दिया था। पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर पिछले सात सप्ताह से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। गलवां घाटी में 15 जून को हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैन्यकर्मियों के शहीद हो जाने के बाद तनाव और बढ़ गया है।

चीनी पक्ष के जवान भी हताहत हुए हैं, लेकिन उसने इस बारे में जानकारी नहीं दी है। दोनों पक्षों के बीच 22 जून को हुई वार्ता में पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले सभी स्थानों पर पीछे हटने को लेकर परस्पर सहमति बनी थी।

पहले दो दौर की बातचीत एलएसी के पास चीनी जमीन पर मोल्डो में हुई थी। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिला के मेजर जनरल लियु लिन ने किया।

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गलवां घाटी में हुई हिंसा के बाद सरकार ने सशस्त्र बलों को एलएसी के पास चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी छूट दे दी है। सेना ने पिछले दो सप्ताह में सीमा के पास अग्रिम स्थानों पर हजारों अतिरिक्त बल भेजे हैं। वायुसेना ने भी अहम वायुसेवा अड्डों पर हवाई रक्षा प्रणालियां, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर तैयार रखे हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की छह जून को हुई पहले दौर की वार्ता में दोनों पक्षों ने उन बिंदुओं से बलों को धीरे-धीरे पीछे हटाने पर सहमति जताई थी, जहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध की स्थिति है।

गलवां घाटी में हुए संघर्ष के बाद हालांकि स्थिति बिगड़ गई और दोनों पक्षों ने एलएसी से लगे इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी। दोनों देशों के करीब 250 सैनिकों के बीच गत पांच और छह मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में झड़प हुई थी। इसके बाद नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे।

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सूत्रों ने बताया कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा तनाव को कम करने के लिए बैठकों में बनाई गई योजनाओं पर अमल न करने से भारतीय पक्ष खासा नाराज है। पीएलए इन योजनाओं को जमीन पर उतारने में नाकाम रही है। 

उन्होंने कहा कि इस बैठक में भारत का उद्देश्य अतिरिक्त आत्मविश्वास निर्माण उपायों के साथ तनाव को कम करने और विवाद को खत्म करने के लिए बनाई गई योजना को अंतिम रूप देने के तरीकों पर चर्चा करना था। 

सूत्रों ने बताया कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर ‘फिंगर 4 से फिंगर 8’ के इलाके पर अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है और चीनी सैनिक भारतीय गश्ती दल को लगातार रोक रहे हैं। साथ ही चीनी सैनिक गलवां घाटी में पेट्रोलिंग प्वाइंट-14 और डेपसांग क्षेत्र में भी भारतीय गश्ती दल को रोकने में लगे हुए हैं। 

हिंसा वाली जगह पर चीनी सैनिकों को पीएलए ने अपना पूरा समर्थन दिया हुआ है। साथ ही उन्हें पीएलए की ‘4 मोटराइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन’ और ‘6 मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री डिवीजन’ से टैंक और हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं। इसके अलावा पश्चिमी थिएटर कमांड की रिजर्व बटालियन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ तैनात किया गया है। 
 

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