टेक डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Tue, 30 Jun 2020 12:45 AM IST
सार
- सरकार ने 59 चाइनीज एप्स पर लगाया प्रतिबंध
- भारत में चाइनीज DIY एप्स की भरमार
- चाइनीज प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए भी एप्स का होता है इस्तेमाल
विस्तार
भारत में चीन के बहिष्कार के बात लंब समय से हो रही थी, लेकिन सीमा विवाद के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। कुछ दिन पहले ही भारतीय खुफिया एजेंसियों ने 52 चाइनीज मोबाइल एप्स को लेकर सरकार को आगाह किया था और देश की जनता को इस्तेमाल ना करने की सलाह दी थी, वहीं अब भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर 59 चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को भी अपने नेटवर्क पर इन एप्स को ब्लॉक करने को कहा है। सभी एप्स की लिस्ट आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं। इस लिस्ट में पहला नाम टिकटॉक (Tiktok) का है और इसके अलावा हेलो (Helo), लोकप्रिय डॉक्यूमेंट स्कैनर एप कैम स्कैनर (Cam Scanner) जैसे एप्स के नाम हैं। आइए उन चार चाइनीज एप्स के बारे में जानते हैं जिनकी भारत से मोटी कमाई होती है…
भारत के करीब 80 करोड़ यूजर्स पर चीन की नजर
भारत में मोबाइल एप का बाजार चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। भारत के करीब 80 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स मोबाइल पर न्यूज पढ़ते हैं, गेम खेलते हैं, शॉर्ट वीडियो बनाते हैं और सोशल मीडिया एप्स का इस्तेमाल करते हैं। पिछले दो महीने से चाइनीज प्रोडक्ट के बहिष्कार की बात हो रही थी और अब सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है, हालांकि इससे चीन और भारत दोनों को आर्थिक तौर पर नुकसान होगा लेकिन देश की सुरक्षा से समझौता किसी भी कीमत पर नहीं किया जा सकता। भारत में चीन की कमाई मुख्यतः चार तरह के एप्स से सबसे ज्यादा होती है।
शॉर्ट वीडियो एप और DIY एप का है बड़ा बाजार
- पहला- शॉपिंग करने और लोन देने वाले एप (आर्थिक एप)
- दूसरा- मेकअप, सेल्फी, फोटो एडिटिंग यानी वैनिटी एप
- तीसरा- साउंड रिकॉर्डर, कॉल रिकॉर्डर, स्क्रीन रिकॉर्डर (apps with nuisance value)
- चौथा– चाइनीज प्रोपेगेंडा का भारत में प्रसारित करने वाले एप्स।
मोबाइल एप्स के बाजार में चीन की तीन बड़ी कंपनियों का कब्जा है जिनमें Baidu, Alibaba और Tencent के नाम हैं। भारत सरकार के इस फैसले से इन कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। चाइनीज एप्स का भारत में कितना बड़ा बाजार है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि टिकटॉक के कुल यूजर्स के 30 फीसदी यूजर्स भारत में ही हैं और इसकी कमाई की 10 फीसदी हिस्सा भारत से जाता है।
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