- अमित शाह ने ममता सरकार को लिखा पत्र
- ममता सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया
- शाह के पत्र पर टीएमसी ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
कोरोना लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया है. अमित शाह ने ममता सरकार से पूछा कि वह पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर चुप क्यों है? वहीं अमित शाह के पत्र पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है.
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट किया कि इस संकट की घड़ी में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने वाले केंद्रीय गृह मंत्री झूठ के पुलिंदा के साथ लोगों को गुमराह करने के लिए हफ्तों की चुप्पी के बाद बोल रहे हैं! विडंबना यह है कि लोगों को अपनी सरकार ने ही उनके हाल पर छोड़ दिया है. अमित शाह, अपने फर्जी आरोपों को साबित करें या माफी मांगें.
A HM failing to discharge his duties during this crisis speaks after weeks of silence, only to mislead people with bundle of lies! Ironically he’s talking about the very ppl who’ve been literally left to fate by his own Govt. Mr @AmitShah, prove your fake allegations or apologise https://t.co/HeWYWFafZ5
— Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) May 9, 2020
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असल में, गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखा है. अमित शाह ने पूछा है कि प्रवासी मजदूरों पर ममता बनर्जी चुप क्यों हैं? दूसरे राज्यों में फंसे बंगाल के मजदूरों की ट्रेन से वापसी क्यों नहीं हो रही है. ममता सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए कदम उठाएं, पश्चिम बंगाल में प्रवासी मजदूर परेशान हैं.
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अमित शाह ने पत्र में लिखा है कि अभी तक ट्रेन के जरिये 2 लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाया जा चुका है. बाकी राज्यों की तरह पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिक भी अपने गृह राज्य में जाने के लिए व्याकुल हैं और उनके जाने की व्यवस्था भी केंद्र सरकार ने की है. लेकिन मुझे दुख है कि बंगाल सरकार से हमें इसमें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है.
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अमित शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को दूसरे राज्यों से लेकर बंगाल पहुंचाने वाली श्रमिक रेलगाड़ियों को राज्य सरकार द्वारा अनुमति नहीं प्रदान की जा रही है. ऐसा करना पश्चिम बंगाल के श्रमिकों के साथ अन्यायपूर्ण होगा. यह पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को कठिन परिस्थिति में धकेल सकता है.