अफ्रीका महाद्वीप के 55 में से 10 देशों के पास वेंटिलेटर ही नहीं, दक्षिण सूडान में उपराष्ट्रपति तो 5 हैं, लेकिन वेंटिलेटर महज 4

रूथ मैक्लीन/साइमन मार्क्स. कोरोनावायरस के कारण दुनियाभर में सेनिटाइजर, मास्क और मेडिकल उपकरणों की कमी सामने आई है। इनमें अफ्रीकी देशों के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं, यहां सेनिटाइजर से लेकर वेंटिलेटर तक की किल्लत है। अफ्रीका महाद्वीप के कुल 55 देशों में से 10 देश ऐसे हैं, जहां वेंटिलेटर की सुविधा ही नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक41 अफ्रीकी देशों में करोड़ों की जनसंख्या के बीच केवल दो हजार वेंटिलेटर ही काम कर रहे हैं।

हालात यह हैं किएक करोड़ से ज्यादा आबादी वाले दक्षिण सूडान में पांच उपराष्ट्रपति हैं। लेकिनवेंटिलेटर यहां महज चार ही हैं। करीब 50 लाख की जनसंख्या वाले सेंट्रल अफ्रीकन रिप्बलिक में तीन और लाइबेरिया में केवल 6 वेंटिलेटर काम कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक अफ्रीकी देशों मेंमास्क, साबुन, ऑक्सीजन जैसे मूल सुविधाओं की भी खासी कमी है।

महाद्वीप में तेजी से फैल रही है महामारी
बाकी दुनिया की तरह अफ्रीका में भी टेस्टिंग का स्तर बेहद खराब है। कई देशों में अब महामारी तेजी से फैल रही है। शुक्रवार की रिपोर्ट के मुताबिकगिनी में हर छठवें दिन संक्रमण के मामले दोगुने हो रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में 2600 मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना की चपेट में आए शुरुआती देशों में से एक पश्चिम अफ्रीकाके बुर्किनाफासो में दो करोड़ की अबादी पर महज 11 वेंटिलेटर हैं।

तस्वीर बुर्किनो फासो की है। यहां विधानसभा गॉड चर्च में जाने से पहले सेनिटाइजर का इस्तेमाल करते लोग।

हाथ धोने तक की सुविधाओं का अकाल
2015 में आई संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिककेवल 15 सब सहारा अफ्रीकियों के पास साफ पानी और साबुन की सप्लाई थी। वहीं, 2017 में लाइबेरिया में 97 प्रतिशत घरों में साफ पानी और साबुन नहीं था। सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट में ग्लोबल हेल्थ पॉलिसीके डायरेक्टर कलीप्सो चल्किदोउ के मुताबिक यहां लोगों को सामान्य चीजों की जरूरत है।

अफ्रीका सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के लिए हेल्थ डिप्लोमेसी और क्म्युनिकेशन के प्रमुख बेंजामिन जुदालबाय के अनुसार, सारे अफ्रीकन देश यह जानना ही नहीं चाहते कि उनके पास कितने वेंटिलेटर हैं। कुछ के लिए यह जानकारी उनकी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की आलोचनाओं के साथ-साथ राजनीतिक परेशानियां भी बढ़ा सकती हैं। अफ्रीका सीडीसी हर देश में वेंटिलेटर्स और आईसीयू की जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इस काम आसान नहीं है और बेहद खर्चीला है।

वेंटिलेटर्स लाने की कोशिश कर रही सरकार
नाइजीरिया के वित्त मंत्री ने 1 अप्रैल को ट्वीटरपर एलन मस्क से मदद मांगी। उन्होंने ट्वीट किया कि हमें मदद की जरूरत है और 100 वेंटिलेटर्स देने की अपील की। हालांकि बाद में यह ट्वीट डिलीट कर दिया गया। चीनी उद्योगपति जैक मा ने अफ्रीकामहाद्वीप के देशों को500 वेंटिलेटर्स डोनेट करने की घोषणा की है। सूचना मंत्री इयूजीन नाग्बे के मुताबिक लाइबेरिया ने 20 वेंटिलेटर्स का ऑर्डर दिया है। लेकिन दुनियाभर में मांग ज्यादा होने के कारण परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा किदूसरे ताकतवर राष्ट्रों से बराबरी करना भी कठिन है। एक बार कॉन्ट्रेक्ट में आने के बाद वेंडर पलट जाता है और तय कीमतें बढ़ा देता है। हम हमारे पड़ोसियों और बड़े देशों के साथ मिलकर लड़ रहे हैं।

  • अफ्रीका महाद्वीप केदेशों में वेंटिलेटर्सकी स्थिति-
देश वेंटिलेटर्स वेंटिलेटर प्रति व्यक्ति
सोमालिया 0
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कॉन्गो 5

20,356,053

माली 3 6,517,799
मैडागास्कर 6 4,492,623
साउथ सुडान 4 2,640,311
सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक 3 1,996,952
बुर्किना फासो 11 1,894,127
नाइजीरिया 169 1,266,440
मालावी 17 1,246,861
नाइजर 20 1,138,618
बुरुंडी 12 988,818
जिम्बाब्वे 16 909,145
सेनेगल 20 786,818
मोजाम्बिक 34 885,241
युगांडा 55 786,418
लाइबेरिया 7 724,757
सुडान 80 569,519
सियेरा लियोन 13 509,610
नामीबिया 10 263,007
केन्या 259 206,672
इथियोपिया 557 194,099
घाना 200 146,701
लीबिया 350 19,687

ऑक्सीजन और प्रोफेशनल्स की भी कमी

इथियोपिया के एक अस्पताल में प्लमोनरी और क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट किब्रोम गेब्रिसेलाजी बताते हैं किकेवल 3 फीसदी मरीजों को वेंटिलेटर्स की जरूरत है। लेकिन गंभीर रूप से बीमार 20 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत है। एडर कॉम्प्रेंहेंसिव अस्पताल, जहां किब्रोम काम करती हैं, वहां केवल दो ऑक्सीजन प्लांट हैं, जिसमें से एक खराब हो चुका है। यहां स्थानीय स्वास्थ्य सेवाएं ऑक्सीजन के लिए गार्मेंट कंपनियों की मदद लेने के बारे में विचार कर सकती हैं। आमतौर पर गार्मेंट निर्माता ब्लीचिंग के लिए ऑक्सीजन प्रोड्यूस करते हैं। कई अफ्रीकी सरकारें महामारी की शुरुआत में ही सतर्क हो गईं थीं। कुछ मामले सामने आने पर ही कई जगहों पर कर्फ्यू और ट्रैवल बैन लगा दिया गया था।

तस्वीर कांगो की है। यहां बेनी में डॉक्टर्स बिदाउट बॉर्डर्स की टीम अभी इबोला के इलाज में जुटी हुई है।

स्वास्थ्य सेवाओं के हालात बेहद खराब

  • दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ विटवॉटर्सरैंड में इंटरनेशनल रिलेशन की लेक्चरर एमी नियांग के मुताबिक इस संकट ने यह बता दिया है कि अफ्रीका को आत्म निर्भर होना होगा। अफ्रीका में इबोला संकट के बाद सीडीसी की स्थापना हुई थी। बीते कुछ सालों में नाइजीरिया ने लस्सा फीवर, मीजल्स और पोलियो से निपटने में संघर्ष किया। डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो अब तक इबोला से उबर नहीं पाया है। पूरे महाद्वीप पर मामूली बीमारी मलेरिया से लाखों लोगों की मौत हो जाती है।
  • हालात इतने खराब हैं कि लोग अस्पताल को अपनी आखिरी उम्मीद की तरह देखते हैं। नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में एंथ्रोपोलॉजिस्ट आदिया बेंटन कहती हैं कियहां सभी को यह नहीं लगता कि स्वास्थ्य सेवाएं उन्हें ठीक करने के लिए बनाई गई हैं। कई बार सिएरा लियोन में भी लोग अस्पताल में मरने के लिए जाते हैं। यह सब कोरोना के बाद भी बदलने वाला नहीं है।

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10 out of 55 countries in the continent of Africa have not only ventilators, Vice President 6 in South Sudan, but ventilator is only 4

Source: DainikBhaskar.com

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