शिवराज ने एक महीने के बाद बनाई कैबिनेट, मंत्रियों के विभागों का अब भी नहीं कर सके बंटवारा – आज तक

  • शिवराज चौहान कैबिनेट में पांच मंत्रियों ने ली मंगलवार को शपथ
  • शिवराज ने मंत्रियों को विभाग के बजाय दी संभाग की जिम्मेदारी

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने करीब एक महीने के बाद कैबिनेट का गठन भले ही कर लिया हो, लेकिन मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा वह अब भी नहीं कर सके हैं. राज्यपाल लालजी टंडन ने मंगलवार को राजभवन में बीजेपी के वरिष्ठ विधायक नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल, मीना सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के तुलसी सिलावट व गोविंद सिंह राजपूत को मंत्री पद की शपथ दिलाई.

कोरोना संकट के बीच मंगलवार को मध्य प्रदेश में शिवराज कैबिनेट का गठन किया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक की, लेकिन अभी तक किसी भी मंत्री को विभाग का कार्यभार नहीं दिया है. उन्होंने सभी मंत्रियों को दो-दो संभागों का प्रभार जरूर सौंपा है. माना जा रहा है कि 3 मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद वो एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार करेंगे और उसी के बाद मंत्रियों के विभागों का बंटवारा किया जाएगा.

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मध्य प्रदेश में कैबिनेट गठन न होने की वजह से कोरोना संकट से अभी तक मुख्यमंत्री शिवराज अकेले जूझ रहे थे. फिलहाल मंत्री बने नरोत्तम मिश्रा को भोपाल और उज्जैन संभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि तुलसी सिलावट इंदौर और सागर संभाग की कमान संभालेंगे. वहीं, गोविंद सिंह राजपूत को ग्वालियर और चंबल संभाग का प्रभार दिया गया है तो मीना सिंह को रीवा और शहडोल व कमल पटेल को जबलपुर और नर्मदापुरम संभाग की जिम्मेदारी दी गई है.

राजभवन में शपथ लेने के बाद शिवराज के मंत्री

मध्य प्रदेश में विपरीत हालात में कमल नाथ सरकार के पतन के बाद शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च की रात को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. शिवराज ने सत्ता की कमान जिस समय अपने हाथों में ली, उस समय कोरोना महामारी की आहट राज्य में सुनाई पड़ने लग गई थी. अगले ही दिन 24 मार्च से देशव्यापी लॉकडाउन शुरू हो गया और सब कुछ ठहर गया.

हालांकि, शिवराज इस बार उनकी राह उतनी आसान नहीं है जितनी बतौर मुख्यमंत्री पिछले तीन कार्यकालों के तेरह सालों में रही है. पिछले कार्यकाल में बगैर रोक-टोक सरकार चलाने वाले शिवराज सिंह चौहान के सामने शायद यह पहला मौका होगा जब वे टीम गठित करते वक्त पूरी तरह अपने मन की नहीं कर पाए हैं.

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माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश के सियासी फैसले अब सूबे में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय नेतृत्व के स्तर पर भी किए जा रहे हैं. मंत्रिमंडल के गठन का फैसला अकेले शिवराज सिंह चौहान को लेना होता तो कभी का ले लिया गया होता. बीजेपी राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी नामों को लेकर काफी मंथन किया है, जिसके बाद ही पांच मंत्रियों के नाम पर मुहर लगी है.

कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंत्री बनाए जाने के लिए अपने दोनों समर्थकों के नाम पार्टी आलाकमान को दे दिए थे जबकि बीजेपी के तीन नाम तमाम स्तरों पर चर्चा के बाद फाइनल किए गए. बीजेपी ने अपने पुराने और निष्ठावान नेताओं को फिलहाल जगह दी है. इस तरह से अब उनके विभागों को लेकर भी मंथन हो रहा है. हालांकि, जल्द ही उन्हें विभाग भी बांट दिए जाएंगे.

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