Corona effect: अमेरिका में मुफ्त मिल रहा क्रूड ऑयल, इतिहास में पहली शून्य डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे – दैनिक जागरण (Dainik Jagran)

Publish Date:Tue, 21 Apr 2020 01:05 AM (IST)

जेएनएन, नई दिल्ली। ग्लोबल इकोनॉमी पर कोरोना का क्या और कितना असर हो सकता है, इसका भयावह उदाहरण सोमवार को अमेरिकी बाजारों में देखने को मिला है। यूएस क्रूड ऑयल फ्यूसर्च में सोमवार को डब्ल्यूटीआइ क्रूड ऑयल की कीमत 18 डॉलर प्रति बैरल के भाव से एकदम भरभराते हुए 104 प्रतिशत से अधिक की गिरावट के साथ इतिहास में पहली शून्य डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे चली गई।

समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक मई महीने के लिए वायदा कारोबार में डब्ल्यूटीआइ (वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट) क्रूड की कीमत खबर लिखे जाने तक शून्य डॉलर से भी नीचे -1.43 डॉलर प्रति बैरल के डिस्काउंट के स्तर पर कारोबार कर रही थी। इस दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत भी थोड़ा गिरकर 26.33 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर थी।

हालांकि इस गिरावट के बावजूद भारतीय ग्राहकों को पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कोई राहत मिलने के आसार नहीं है। एक महीने से भी ज्यादा समय से देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें कमोवेश एक ही स्तर पर कायम हैं। लॉकडाउन की वजह से पेट्रोल व डीजल की मांग एकदम घट गई है।

भारतीय तेल कंपनियों का कहना है कि क्रूड की कीमत कम होने के बावजूद वे अभी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ज्यादा खरीदारी नहीं कर रही हैं। इसके पीछे वजह यह है कि उनके पास अतिरिक्त भंडारण की जगह नहीं है। साथ ही लॉकडाउन को लेकर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। तीन मई को लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी सब सामान्य हो जाएगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता। ऐसे में भारतीय तेल कंपनियां वायदा सौदों में भी ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रही।

दरअसल, दुनियाभर की पेट्रोलियम कंपनियां भंडारण क्षमता के अभाव में ज्यादा खरीदारी करने से हिचक रही हैं। इससे तेल की मांग पर असर पड़ रहा है व कीमतें भी दबाव में हैं। कोरोना की वजह से तकरीबन 200 करोड़ लोग घरों में बंद हैं और 60 फीसद से ज्यादा वाहन सड़कों से गायब हैं। हवाई जहाजों की उड़ानें भी पूरी तरह से बंद हैं। ऐसे में क्रूड ऑयल की खपत घट गई है।

डब्ल्यूटीआइ उत्तर अमेरिका में उत्पादित क्रूड ऑयल का ग्रेड है और यह ब्रेंट के साथ दुनियाभर में कच्चे तेल के दो प्रमुख बेंचमार्क के तौर पर स्थापित है। ब्रेंट क्रूड अफ्रीका, यूरोप और पश्चिम एशियाई देशों में उत्पादित कच्चे तेल की कीमतों के लिए बेंचमार्क के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया की दो-तिहाई कच्चे तेल की कीमत ब्रेंट क्रूड बेंचमार्क के तहत तय होती है। भारतीय कंपनियों के लिए ब्रेंट क्रूड का ज्यादा महत्व है, क्योंकि इनकी ज्यादातर खरीदारी इसी आधार पर होती है। भारत ने अमेरिका से महज दो वषरें से ही तेल खरीदना शुरू किया है।

 मांग में गिरावट मुख्य कारण

कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दुनियाभर में लॉकडाउन और यात्रा पर पाबंदी चल रही है। इसके कारण क्रूड की मांग में भारी गिरावट आई है। सऊदी अरब और रूस के बीच प्राइस वॉर शुरू होने से तेल की कीमत गिरावट और गहरा गई। हालांकि, इस महीने के शुरू में दोनों देशों तथा कुछ अन्य देशों ने मिलकर तेल की कीमत बढ़ाने के लिए उत्पादन में करीब 1 करोड़ बैरल रोजाना की कटौती करने का फैसला किया, लेकिन कीमत में गिरावट जारी है। विश्लेषकों का कहना है कि मांग में जितनी गिरावट आई है, उत्पादन उसके अनुरूप नहीं घटाया जा रहा है।

कोरोना से पूरी दुनिया की हालत खराब

कोरोना वायरस के कारण अमेरिका समेत पूरे विश्व की हालत खराब है। इससे एनर्जी सेक्टर बुरी तरह प्रभावित है। फैक्ट्री में कामकाज घटा है और एविएशन सेक्टर में मंदी के कारण तेल की डिमांड काफी गिर गई है, जिससे कीमत पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी तेल कंपनियों पर कर्ज का बोझ बैंकिंग और फाइनैंशल सेक्टर के लिए भी खतरा है। अगर कोई भी कंपनी दिवालिया होती है तो इससे अमेरिका की पूरी अर्थव्यवस्था पर असर होगा। 

Posted By: Sanjeev Tiwari

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