बेटे को संन्यासी देख अवाक रह गए थे पिता, पढ़ें-अजय से योगी आदित्‍यनाथ बनने की कहानी Gorakhpur News – दैनिक जागरण

Publish Date:Mon, 20 Apr 2020 10:30 PM (IST)

गोरखपुर, जेएनएन। आज जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह विष्ट इस दुनिया में नहीं हैं, तो उनसे जुड़े उस संस्मरण की खूब चर्चा है, जिसमें उन्होंने कलेजे पर पत्थर रख बेटे अजय सिंह विष्ट को नाथ पीठ के लिए समर्पित कर दिया था। बात 1993 की है, जब अजय अपनी मां सावित्री देवी से अनुमति लेकर गृहग्राम पंचूर (पौड़ी गढ़वाल) से गोरखपुर के लिए निकले थे। मां ने अनुमति यह सोचकर दे दी कि बेटा शायद नौकरी की तलाश में जा रहा है।

छह महीने बाद ली गई खोज-खबर

छह महीने तक अजय की खोज खबर नहीं मिली तो घरवालों को चिंता हुई। शादी के बाद दिल्ली में बसी उनकी बड़ी बहन पुष्पा ने पिता को गोरखनाथ मंदिर जाने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि अखबार में खबर थी कि गोरक्षपीठाधीश्वर ने अपने उत्तराधिकारी की घोषणा कर दी है। योगी आदित्यनाथ नाम के उत्तराधिकारी पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले हैं। पिता आनंद सिंह विष्ट गोरखनाथ मंदिर पहुंचे तो देखा, भगवा वस्त्र में एक संन्यासी फर्श की सफाई कार्य का मुआयना कर रहा था। पास पहुंचे तो वह उनका बेटा ही था। वह अवाक रह गए। उन्होंने निर्देश दिया, यहां से तत्काल चलो। योगी ने उन्हेंं समझाया और मंदिर कार्यालय ले गए। महंत अवेद्यनाथ उस समय मंदिर में नहीं थे, उन्हें सूचना दी गई तो उन्होंने फोन पर उनसे बात की और चार पुत्रों में से एक को समाज सेवा के लिए समर्पित करने का अनुरोध किया। आनंद सिंह विष्ट कुछ बोल नहीं सके और गांव लौट गए।

भिक्षा देकर पूरा किया योगी बनने का विधान

घर पहुंचे आनंद सिंह विष्ट ने पत्नी को बेटे की पूरी बात बताई। मां के दिल को यकीन नहीं हुआ और पति के साथ गोरखपुर पहुंच गईं। बेटे को संन्यासी रूप में देख वह फूट-फूट कर रोने लगीं। योगी ने भावनाओं को काबू में रख माता-पिता से कहा, छोटे परिवार से एक बड़े परिवार में उनका मिलन संन्यासी के रूप में हुआ है। फरवरी 1994 को अजय सिंह विष्ट दीक्षा लेकर बाकायदा योगी आदित्यनाथ बने थे। इसके दो वर्ष बाद उन्होंने अपने गांव की पहली यात्रा की। यह यात्रा माता-पिता से भिक्षा लेने के विधान को पूरा करने के लिए थी। माता-पिता ने भिक्षा में चावल, फल और सिक्का दिया। उसके बाद पिता आनंद सिंह विष्ट एक-दो बार और गोरखपुर आए, लेकिन उन्होंने अपने पुत्र को महाराज कहकर संबोधित किया। इस प्रकरण का जिक्र कई लेखकों ने अपनी पुस्तक में किया है।

Posted By: Satish Shukla

डाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस

Related posts