कोरोनाः होते रहे धार्मिक जमावड़े, मिलती रही धर्मगुरुओं की ओट – Navbharat Times

येरूशलम के एक सिनेगॉग में घुसने का प्रयास करते यहूदी कट्टरपंथी
हाइलाइट्स

  • कोरोना वायरस के खतरे से इतर धार्मिक जमावड़े हर देशों में होते रहे
  • इस तरह के जमावड़ों को धर्मगुरुओं का भी समर्थन मिलता रहा
  • सोशल डिस्टेंसिंग को तार-तार करने की वजह से वायरस को फैलने में हुई आसानी

अजेय कुमार/नई दिल्ली

पूजा-स्थलों पर प्रायः लोग अपनी चिंताओं से मुक्ति पाने जाते हैं, परंतु आज ऐसा जान पड़ता है कि भगवान ने भी अपने को क्वारंटीन कर रखा है। धर्मगुरुओं और धार्मिक भावनाओं को भुनाने वाले राजनेताओं के लिए यह एक विचित्र परिस्थिति है, जब उन्हें अपने अनुयायियों को उपासना-स्थलों से दूर रहने की अपील करनी पड़ रही है। विश्व में जहां कहीं भी धार्मिक समागमों पर रोक लगाने में देरी हुई, वहां कोरोना वायरस तेजी से फैला है। धार्मिक समागमों की अवधारणा सोशल डिस्टेंसिंग के एकदम विपरीत है।

मस्जिद में न जाने की अपील पर मौलवी को मिली जान से मारने की धमकी

सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार ईरान में एक मशहूर मस्जिद के मौलवी ने कोरोना को देखते हुए लोगों से अपील की कि वे नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद न आएं। इस अपील से कई लोग भड़क गए और उन्होंने उस मौलवी को जान से मारने की धमकी दे डाली। अंत में उस मौलवी को पद से हटा दिया गया और नए मौलवी ने आते ही नमाज की इजाजत दे दी। 1600 लोगों ने मस्जिद में एकत्र होकर नमाज अदा की। ईरान में दो पवित्र स्थल ऐसे हैं, जहां शिया मुसलमान बड़ी श्रद्धा से जाते हैं। पहला है मशहद शहर और दूसरा कुम शहर में फातिमा मसुमेह का तीर्थ-स्थान। परंपरानुसार यहां श्रद्धालु पहले जमीन को चूमते हैं, फिर प्रवेश करते हैं।

इन दोनों शहरों में घुसने पर ईरान सरकार ने 17 मार्च को पाबंदी लगा दी थी मगर ‘अल्लाह कोरोना से बचाएगा’ कहते हुए श्रद्धालु तीर्थ-स्थलों में घुस गए। ईरान की पुलिस ने बल प्रयोग करके उन्हें खदेड़ा। इन घटनाओं का असर यह हुआ कि ईरान में कोरोना पीड़ितों की संख्या बढ़ती गई और मिडल ईस्ट के मुल्कों में सबसे ज्यादा मौतें ईरान में ही हुईं। इजरायल में भी कोरोना संक्रमित यहूदियों में 35 प्रतिशत उनका है, जो सिनेगॉग (यहूदियों का पूजा-स्थल) खुद गए या उन लोगों से मिले जो वहां गए थे। देश के दकियानूसी और अंधविश्वासी लोग सरकार के निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं और लोगों से कह रहे हैं कि अब्राहम उन्हें बचाएगा।

तबलीगी जमात के कार्यक्रम भी कई देशों में हुए

मलयेशिया में फरवरी में तब्लीगी जमात की एक अंतरराष्ट्रीय सभा हुई जिसमें 1600 लोगों ने शिरकत की। इसके बाद कई प्रचारक आसपास के देशों के अलावा भारत और पाकिस्तान आए। यह सभा इस तथ्य के बावजूद आयोजित हुई कि इससे पहले 30 जनवरी को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना को लेकर हेल्थ इमर्जेंसी घोषित कर चुका था। दिल्ली में हुई तब्लीगी जमात की बैठकों में शामिल हुए लोगों में से अधिकांश कोरोना से संक्रमित निकले।

जमात नेतृत्व की इस गैर-जिम्मेदाराना और आपराधिक हरकत का खामियाजा वे तमाम लोग भुगत रहे हैं जो बैठक के भागीदारों से मिले। साधारण मुसलमान भी जनता के रोष का शिकार हो रहे हैं, जिनका तब्लीगी जमात से कोई लेना-देना नहीं है। यह समागम तब हुआ जब दिल्ली में दंगे हो चुके थे और कट्टर हिंदू संगठन मुस्लिम विरोधी प्रचार में जुटे थे। तब्लीगी जमात ने इनका काम आसान कर दिया। यह भी समझ से परे है कि 20-21 मार्च को एक और समागम प्रशासन ने कैसे होने दिया, जबकि समागम-स्थल से दस कदम पर पुलिस स्टेशन मौजूद है।

पढ़ें- देश में करीब 30% कोरोना के मरीज तबलीगी जमात से

तब्लीगी जमात का इससे कहीं बड़ा आयोजन मार्च के पहले सप्ताह में लाहौर में होना तय था जिसे पाकिस्तान की सरकार ने रद्द कर दिया। गड़बड़ यह हुई कि जब तक निषेधाज्ञा की घोषित हुई, कई विदेशी तब्लीगी लाहौर पहुंच गए और संक्रमण बढ़ गया। ‘अल्लाह हमें मस्जिदें न छोड़ने की सलाह दे रहा है’, ‘हम डॉक्टरों की सलाह नहीं मानेंगे’- इस तरह के ऑडियो क्लिप भेजे जा रहे हैं। लेकिन ऐसे विचार मौलाना साद के हो सकते हैं, सभी मुसलमानों के नहीं। सऊदी अरब ने तो 20 मार्च को ही मक्का और मदीना के धार्मिक स्थलों पर ताले जड़ दिए हैं।

पंजाब में भी कोरोना बढ़ने के पीछे यही रहा कारण

पंजाब के एक ग्रंथी बलदेव सिंह रागी अपनी कीर्तन मंडली लेकर इटली और जर्मनी गए और वहां से कोरोना लेकर आए। लेकिन यह बात उन्होंने प्रशासन से छुपा ली। आनंदपुर साहिब में होली के दिन एक बड़ा उत्सव होला मोहल्ला मनाया जाता है जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेते हैं। बलदेव सिह जी की मंडली ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और श्रद्धालुओं को कोरोना के रूप में प्रसाद बांटा। नतीजा यह कि पंजाब में कोरोना के मामले बढ़ गए।

अयोध्या में सीएम योगी आदित्यनाथ ने की थी रामनवमी पर पूजा

हिंदू धर्म की बात करें तो लॉकडाउन के बीच रामनवमी के अवसर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या पधारे और सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह न करते हुए वहां पूजा-अर्चना की। वहां उपस्थित अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष आचार्य परमहंस ने कहा कि भगवान राम अपने भक्तों को कोरोना से बचाएंगे। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे का बयान आया कि श्रीराम से लेकर भोलेनाथ तक सभी कोरोना वायरस से रक्षा करेंगे। 16-17 मार्च तक सिद्धि विनायक मंदिर, उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर, शिरडी का साईं मंदिर, तिरुपति का वेंकटेश्वर मंदिर और वैष्णो देवी मंदिर खुले रहे। बनारस का काशी विश्वनाथ मंदिर 20 मार्च तक खुला रहा और भक्त इकट्ठा होते रहे।

चर्चों में भी लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए

अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया और कई अन्य देशों में हर संडे को चर्च में होने वाली मास प्रेयर ने कोरोना फैलाने में अहम भमिका निभाई। मार्च के आखिरी रविवार को अमेरिकी राज्य लुइसियाना में 1600 लोग चर्च के समागम में शामिल हुए, जहां लोगों का आपस में गले मिलना, हाथ मिलाना और चूमना, सब कुछ देखा जा सकता था। भागीदारों का विश्वास था- गॉड हमें बचाएगा। साउथ कोरिया की राजधानी सियोल में 22 फरवरी को चर्च बंद करने के सरकारी आदेश के विरोध में एक रैली निकाली गई। मानवता आज एक ऐसे खतरे का सामना कर रही है जो यह नहीं देखता कि आप आस्तिक हैं या नास्तिक, हिंदू हैं या मुसलमान। यह तथ्य ही जनता को अंधविश्वास और अंधश्रद्धा पर विजय प्राप्त करने में मदद करेगा और हम एक तार्किक समाज की रचना करने में सफल होंगे।

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